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नई शिक्षा नीति 2020 के तहत् बच्चों ने तीन दिवसीय प्रशिक्षण में सीखा मिट्टी के जानवर, पक्षी, फल, सब्जी और यातायात के साधन के आकर्षक खिलौने बनाना

सूरजपुर । नई शिक्षा नीति 2020 के तहत् विद्यालयीन छात्रों को खिलौना निर्माण करने हेतु प्रशिक्षित करने का प्रावधान किया गया है। बच्चों के लिए खिलौना उसके बचपन का सबसे अच्छा पसंदीदा साथी होता है । बच्चा जहाँ भी जाता है, अपने खिलौने को अपने साथ लेकर ही जाता है। बच्चे में सोचने की शक्ति का विकास करने के लिए खिलौना काफी उपयोगी साबित होता है । यह बच्चे के व्यक्तित्व और संज्ञानात्मक विकास में काफी महत्वपूर्ण होता है ।

इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए जिले के शासकीय प्राथमिक शाला झारपारा (पम्पापुर) के शिक्षक गौतम शर्मा की पहल पर मोहल्ला क्लास में बच्चों को जिले के कुशल प्रशिक्षक नन्द कुमार सिंह के मार्गदर्शन में मिट्टी के खिलौने बनाने का कौशल विकसित करने के लिए तीन दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया।

शिक्षक गौतम शर्मा ने चर्चा के दौरान बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ‘मन की बात’ रेडियो कार्यक्रम के दौरान ‘दुनिया के लिए खिलौने’ बनाने की बात की और भारत को दुनियाँ का ‘खिलौना केंद्र’ यानी ‘टॉय हब’ बनाने की क्षमता पर प्रकाश डाला था। उन्होंने कहा, “हमारे देश में स्थानीय खिलौनों की समृद्ध परंपरा रही है। भारत में कई प्रतिभाशाली और कुशल कारीगर हैं जो अच्छे खिलौने बनाने में विशेषज्ञता रखते हैं। भारत के पास पूरी दुनिया के लिए खिलौने बनाकर एक खिलौना हब बनने की भरपूर क्षमता है।“ ये आत्मनिर्भर लोगों में शुरुआती स्तर से ही आ जाए, इसलिए नई शिक्षा नीति 2020 में भी इसे जगह दी गयी है। इस फैसले का उद्देश्य स्कूली बच्चों में खिलौना बनाने के कौशल और जानकारी बढ़ाने का है।

नई शिक्षा नीति 2020 के तहत् खिलौना बनाने वाले उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए खिलौना बनाने का बच्चों के पाठ्यक्रम शुरू किया जाएगा। वहीं स्थानीय खिलौने बनाने जैसे लोक-शिल्पों को वोकेशनल कोर्सेस का हिस्सा बनाया जाएगा। इससे इस क्षेत्र में और दक्षता आएगी और भारत में बनने वाले खिलौनों की गुणवत्ता भी बढ़ेगी। खिलौना बनाने का यह विषय नियमित रूप से सभी प्रकार के स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों में पढ़ाया जाएगा।

इस तीन दिवसीय प्रशिक्षण में प्रशिक्षक नन्द कुमार सिंह के द्वारा बच्चों को मिट्टी के खिलौनों में हाथी, चूहा, गाय, बंदर, मछली, मोर, बतख, कबूतर, बाज, तोता, जीप, कार, नाव, गणेशजी, करेला, टमाटर, बैंगन, भिंडी, मूली, गाजर, मिर्ची, आलू, जामुन, सेब, अनार, आम, केला, पपीता, संतरा, गुलदस्ते, झोपड़ी इत्यादि बनाना सिखाया गया। इस प्रशिक्षण को सफल बनाने में शिक्षक राजेन्द्र जायसवाल का विशेष सहयोग रहा।

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