सांकरा ज शाला प्रबंधन समिति करेगी कलेक्टर से सवाल? जर्जर भवन को तोड़ने के साथ नया भवन बनाने की उठी मांग

जनवरी से मिडिल स्कूल में लग रही है कक्षाएं, आखिर कब तक चलेगा ये वैकल्पिक इंतजाम!
वित्त विभाग में टेंडर प्रक्रिया ना होने के चलते दो साल से लटका है मामला
आसपास कई पंचायत के सरपंच हो रहे इस मुद्दे को लेकर एकजुट, बड़े आंदोलन की हो रही तैयारी
बालोद। बालोद ब्लाक के सांकरा (जगन्नाथपुर) में संचालित हायर सेकेंडरी स्कूल भवन का मुद्दा एक बार फिर से गरमाने वाला है। शाला प्रबंधन सहित आसपास के सभी पंचायत के सरपंच/ पंचायत प्रतिनिधि भवन को जल्द से जल्द बनवाने को लेकर अब शासन प्रशासन के समक्ष एकजुट होकर जाएंगे। जन दर्शन के साथ-साथ संबंधित विभागों में जाकर संबंधित विभाग के अफसरों और कलेक्टर तक से भी जवाब मांगा जाएगा कि आखिर सिर्फ झूठा आश्वासन देकर क्यों बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है? भवन के मुद्दे को लेकर शाला प्रबंधन समिति सहित आसपास के पंचायत के सरपंचों की मौजूदगी में आगामी रणनीति को लेकर एक बैठक स्कूल में रखी गई थी। जिसमें तय हुआ है कि आगामी मंगलवार को जनदर्शन में जाकर कलेक्टर से लंबित प्रक्रिया के संबंध में सवाल पूछा जाएगा। तो वही जर्जर भवन को तोड़कर जगह खाली करने और फिर वहां नवीन भवन स्वीकृत करवा कर जल्द से जल्द निर्माण करने की मांग की जाएगी। ताकि अगले सत्र में बच्चों को नया भवन नसीब हो सके।
जनवरी से मिडिल स्कूल में दो पाली में लग रही है हायर सेकेंडरी स्कूल की क्लास, जगह की हो रही कमी
वर्तमान में जनवरी से बच्चों को मिडिल स्कूल के कमरों में बैठाया जा रहा है। स्वयं जिला शिक्षा अधिकारी पीसी मर्कले के द्वारा पूर्व में खबर प्रशासन के बाद स्थिति का जायजा लेकर भवन की जर्जर हालत को देखते हुए इसे बच्चों के बैठने लायक ना बताते हुए भवन खाली करवाया गया था। तब से लेकर आज तक वैकल्पिक व्यवस्था के तहत हायर सेकेंडरी स्कूल के बच्चों को मिडिल के भवनों में ही बैठना पड़ रहा है। जहां दो पाली में कक्षाएं लगानी पड़ रही है। अभी तो जैसे तैसे काम चल जा रहा है लेकिन बरसात आने पर समस्या बढ़ सकती है। आखिर कब तक दूसरे स्कूल भवन के भरोसे हायर सेकेंडरी स्कूल चलता रहेगा? शाला प्रबंधन समिति के अध्यक्ष भूपत बघेल ने बैठक में कहा कि हमारे साथ कहीं ना कहीं राजनीति हो रही है। पूर्व में इस भवन के लिए एक करोड़ 21 लाख रुपए की स्वीकृति 15 मई 2023 को मिल भी चुकी थी। भूमिपूजन तक हो चुका। प्रशासकीय और तकनीकी स्वीकृति दोनों मिल जाने के बावजूद वित्त विभाग में टेंडर प्रक्रिया लटकने से संबंधित पत्र हमें प्राप्त हुआ है। आखिर नई सत्ता आने के बावजूद आगे प्रक्रिया क्यों नहीं बढ़ी है यह सवालिया निशान है! हम भाजपा और कांग्रेस दोनों के ही जनप्रतिनिधियों के जरिए बच्चों के हित में इस मुद्दे को लेकर आगे आने की अपील कर रहे हैं ताकि जल्द से जल्द सांकरा स्कूल को नया भवन प्राप्त हो सके और वर्षों से उपेक्षित हो रहे बच्चों के साथ न्याय हो। बता दे कि बाहर से सलामत दिखने वाला स्कूल भवन अंदर से काफी खंडहर हो चुका है। कई बार मलबा यहां गिर चुका है। तो चलता पंखा भी एक छात्र पर गिर चुका है। इसी इन्हीं सब घटनाओं को देखते हुए और मीडिया में मामला प्रकाश में आने के बाद से जिला शिक्षा अधिकारी ने भवन को खाली करवा दिया है। बच्चों को दूसरे स्कूल भवन में पढ़ाया जाता है। तो वही परीक्षाएं भी दूसरे भवनों में हो रही है। एक दो कमरों को छोड़ दे तो शेष सभी कमरों की स्थिति काफी खराब है। ऐसे में अब ठोस रणनीति के साथ भवन बनाने को लेकर शाला प्रबंधन समिति और आसपास के पंचायत सरपंच एकजुट होने लगे हैं। बैठक में तय किए हैं कि जनदर्शन में कलेक्टर को आवेदन देकर वित्त विभाग में जो मामला लटका हुआ है उस संबंध में ठोस जवाब मांगा जाएगा। तो वहीं इस मामले में मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री से भी पत्राचार कर या प्रत्यक्ष मुलाकात कर जवाब मांगा जाएगा ।
मुद्दे को लेकर पालकों को भी करेंगे जागरूक, जरूरत पड़ी तो करेंगे तालाबंदी
बैठक में तय हुआ कि संबंधित आसपास के सभी पंचायत और गांव में भी बैठक लेकर पालकों को इस आंदोलन से जोड़ा जाएगा। ताकि आगे जो आंदोलन होने हैं उसमें सभी की सहभागिता हो। शाला प्रबंधन समिति के अध्यक्ष भूपत बघेल ने सभी सरपंचों से कहा कि बच्चों के हित में पालकों, पंचों और ग्रामीणों को आगे आना होगा। पंचायत प्रतिनिधियों को भी इसमें सजकता दिखानी होगी। इसके बाद भी अगर हमारी मांगे पूरी नहीं हुई तो फिर हमें तालाबंदी करनी पड़ेगी। इसके लिए चाहे सड़क पर भी उतरना पड़े, हमें सब परिस्थितियों के लिए तैयार रहना होगा। क्योंकि इतना तो समझ आ चुका है कि कहीं ना कहीं हमारे स्कूल भवन को लेकर राजनीति हो रही है और बच्चों के हित के बारे में अधिकारी भी ध्यान नहीं दे रहे हैं। सिर्फ वैकल्पिक व्यवस्था बनाकर खानापूर्ति की जा रही है। जर्जर हो चुके भवन को बैठने लायक न होने की बात कहने के बावजूद उसे तोड़ने के लिए आगे कोई कार्रवाई ही नहीं हो रही। जब तक पुराना भवन तोड़ नहीं दिया जाता, जगह खाली नहीं हो पाएगा और इसे तोड़ने पर ही नवीन भवन बनाने के लिए जगह उपलब्ध होगी।
कई बार अवगत करा चुके हैं उच्च अधिकारियों को, प्रत्यक्ष स्थिति देखकर भी जा चुके हैं
बैठक में स्कूल के प्रभारी प्राचार्य टीआर ठाकुर ने कहा कि हमने समय-समय पर भवन की स्थिति से विभाग के उच्च अधिकारियों को अवगत कराया है। स्वयं जिला शिक्षा अधिकारी यहां देखकर गए हैं। उन्होंने फिर इसे बैठने योग्य न पाते हुए बच्चों को मिडिल स्कूल में शिफ्ट करवाया था। हम भी चाहते हैं कि जल्द से जल्द नवीन भवन का निर्माण हो। सांकरा सरपंच लता चुरेंद्र, जगन्नाथपुर की सरपंच देव कुमार कोसिमा ने भी कहा कि बच्चों के हित में शासन प्रशासन को इस ओर जल्द से जल्द ध्यान देना चाहिए। हम सभी आसपास के पंचायत सरपंच इस मुद्दे को लेकर एकजुट होकर लड़ाई लड़ेंगे और पालकों को भी इसमें जागरूक करेंगे।
जिला पंचायत सदस्य पूजा साहू ने भी किया था आकस्मिक निरीक्षण
विगत दिनों जिला पंचायत सदस्य पूजा साहू ने भी इस स्कूल भवन का आकस्मिक निरीक्षण किया था। जिसमें उन्होंने भी पाया कि स्कूल की दशा काफी खराब हो गई है कि अब तक इसे तोड़ कर नया भवन बना दिया जाना था। लेकिन अब तक नहीं बन पाना दुर्भाग्य की बात है। इधर नए सिरे से आंदोलन की रणनीति बनाने हुई बैठक में प्रमुख रूप से शाला प्रबंधन समिति अध्यक्ष भूपत बघेल, सांकरा सरपंच लता चुरेंद्र, जगन्नाथपुर सरपंच देव कुंवर कोसिमा, डेंगरापार सरपंच डोमेंद्र ठाकुर, निर्मल ठाकुर भुनेश्वर साहू, नोहरू चंद्राकर, दरबारी नवागांव से बहुर सिंह ठाकुर, परसदा से दशरू राम साहू, दौलत कोसमा, दीपक यादव आदि मौजूद रहे।
फैक्ट फाइल
30 साल पहले बना था यह स्कूल भवन।
475 विद्यार्थी अध्यनरत है यहां।
12 गांव के बच्चे आते हैं पढ़ने के लिए।
5 साल से है भवन की जर्जर है स्थिति।
121.16 लाख करोड रुपए की मिल चुकी है पहले से ही निर्माण कार्य हेतु स्वीकृति।
108.76 लाख का अधीक्षण अभियंता दुर्ग के द्वारा 21 अगस्त 2023 को दी गई है तकनीकी स्वीकृति।
2023 से अधीक्षण अभियंता कार्यपालन दुर्ग के द्वारा निविदा आमंत्रित किया गया।
02 साल से लंबित है वित्त विभाग में निविदा की कार्रवाई।