राष्ट्रीय बालिका दिवस विशेष-पढ़िए राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष किरणमई नायक की नसीहत-प्रेम प्रसंग के चलते बढ़ते दुष्कर्म के मामलों पर बालोद पहुंची नायक फिर क्या बोली?
बालोद। राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष किरणमई नायक ने कहा कि छत्तीसगढ़ में मानसिक प्रताड़ना और दैहिक शोषण के मामले ज्यादा आ रहे हैं। हमारी सुनवाई में यह केस आते हैं। जिन्हें हम सुलझाने का पूरा प्रयास करते हैं। वहीं उन्होंने प्रेम प्रसंग व रिलेशनशिप के कारण सामने आ रहे दुष्कर्म के केस पर दुबारा मुखर होते हुए बेटियों व युवाओं दोनों को नसीहत भी दी कि वे उम्र का ख्याल रखें और गलत कदम न उठाएं। पॉक्सो एक्ट जैसे गंभीर मामले पर उन्होंने कहा कि युवा और नाबालिग लड़कियां दोनों को ही इस पर ध्यान देना चाहिए। श्रीमती नायक ने कहा कि मैं अपने पुराने बयान पर आज भी अडिग हूं।
उन्होंने मीडिया के सवाल पर कहा कि जब तक मैं उस केस में के बारे में नही बताऊंगी आप उस बयान के पीछे के ताकत को नहीं जान पाएंगे कि असल में घटना क्या हुई थी। मामला यह था कि बिलासपुर में सुनवाई हो रही थी और एक पुलिस आरक्षक का जो पहले से शादीशुदा था और उसके तीन बच्चे थे, उसको जानते हुए एक महिला लिव इन रिलेशनशिप में 4 साल रही। उसके बाद शादी का दबाव का डालने लगी कहने लगी कि आरक्षक अपनी पहली पत्नी को तलाक दें और उससे शादी करें। जब उसने मना किया तो उसके ऊपर 376 की रिपोर्ट लिखवा दी।
जब वह रिपोर्ट लिखा चुकी थी तब आयोग में आने का कोई औचित्य नहीं था। हमने कहा जब रिपोर्ट लिखा चुकी हो वह जमानत पर छूटगया है तो हमसे आप क्या चाहती हो। तो कहने लगी मेरी उससे शादी करवा दो। मैं उससे कैसे शादी करवा सकती थी। यह इल्लीगल है। उसके जगह मुझे पहले उसकी पहली पत्नी से तलाक देना पड़ता तो इसमें उस पहली पत्नी की क्या गलती है। आप दोनों बालिग से समझदार है, जानबूझकर इस रिश्ते को आगे बढ़ाया तो उसकी पहली पत्नी का घर मैं क्यों तोड़ू। मैं किसी का घर तोड़कर इललीगल तरीके से दूसरे का घर बसाने का काम नहीं कर सकती। इसलिए मैंने यह बयान दिया था और ऐसे बयान के पीछे हमारे पास पुख्ता जानकारी होती है। ऐसे बहुत सारे मामले आते हैं हमारे आयोग के कई कर्मचारी कहते हैं मैडम एक लिव इन रिलेशनशिप वाला एक सील बना लेते हैं। लिविंग वाले हमारे पीछे पड़े रहते हैं। जब लिविंग को कोई मान्यता नहीं है तो मैं इस पर क्यों पहल करूं। ऐसी चीजों के लिए मैंने बयान दिया। मैं खुली सुनवाई करती हूं। मीडिया वहां उपस्थित रहती है। बिलासपुर में मीडिया ने कोई मसालेदार न्यूज़ नही दी पर रायपुर की मीडिया ने उस प्वाइंट को हाई लाइट कर दिया। जिसे सिर्फ भाजपाई ने पढ़ा और विरोध करने लग गए खबर के भीतर पूरी बात भी थी। मेरे कांग्रेस के कुछ नेता भी खुश हुए और संवैधानिक पद पर होने पर मेरे पुतला फूंकने की बात करने लगे। मैंने कहा कोई दिक्कत नहीं है। यदि किसी महिला का घर बचता है तो मैं यह करूंगी।
पॉक्सो एक्ट के कारण बढ़ती दुष्कर्म के ग्राफ के सवाल पर उन्होंने कहा कि पॉक्सो के कारण दुष्कर्म हो रही वाली बात नहीं है। लड़कियों की उम्र कम है। पहले रेप के अंतर्गत यह हुआ करता था कि लड़की की उम्र 16 साल से ऊपर का है साबित करता है, कोर्ट में तो वह अभियुक्त बच जाता था ।यह माना जाता था कि वह सहमति देने के काबिल थी। लेकिन अब नियम बदलकर उसे ऐसा बना दिया गया है। अब इस एक्ट में लड़कियों को अब यह नहीं बोल सकते कि तुम प्रेम प्रसंग के चक्कर में ना रहो, कौन हमारी बात सुनेगा। लिविंग के चक्कर में ना रहे कोई बात नहीं मानता। हम यह बोल भी नहीं सकते। जो अपराध हो रहे हैं उसमें लड़कों को भी समझदारी रखनी चाहिए कि लड़की कम उम्र की है तो इस चक्कर में ना पड़ें। लड़कियों को भी समझदारी रखने की जरूरत है। प्रेस वार्ता के दौरान अपनी सुनवाई के बारे में भी उन्होंने बताया कि एक प्रकरण हमारे पास ऐसा आया था जिसमें महिला ने आरोप लगाया कि डॉक्टर व एस आई ने उसके साथ बदतमीजी की। कोई कार्यवाही नहीं की गई। उल्टा उनकी पति के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई है। जिस पर पत्नी ने महिला आयोग में शिकायत है कि उसके साथ नाइंसाफी हुई है। उन्होंने कहा कि इस मामले में एडिशनल एसपी को जांच कर दोषी पाए जाने पर डॉक्टर व एसआई के खिलाफ कार्यवाही करने का निर्देश दिए हैं। आयोग की इस सुनवाई में कुल 13 मामले रखे गए थे। इसमें आठ में सुनवाई हुई। कुछ मामलों में शिकायत करने वाले ही अनुपस्थित रहे, इस वजह से उनकी कार्यवाही नहीं हो पाई और उन्हें अगली सुनवाई तारीख दी गई। इस सुनवाई के दौरान महिला आयोग अध्यक्ष के साथ महिला एवं बाल विकास विभाग मंत्री अनिला भेड़िया, बालोद विधायक संगीता सिन्हा, जिला पंचायत अध्यक्ष सोना देवी देशलहरा सहित अन्य संबंधित व्यक्ति मौजूद रहे।