November 22, 2024

अपने मन रूपी कल्पतरु का सही इस्तेमाल करना सीखे, खुशहाल जीवन की राह आसान होगी

बालोद। सहजानंद चातुर्मास में प्रवचन श्रृंखला के चौथे दिन महावीर भवन में विराजित परम पूज्य ऋषभ सागर जी ने कहा कि एकमात्र मनुष्य को ही मन रूपी ऐसी चीज मिली है जो देवताओं के पास भी नहीं है। हालांकि हम सभी चाहते हैं कि हमें कल्प तरु मिल जाए चिंतामणि कल्पवृक्ष उसे कहते हैं जिससे जो मांगो,जो चाहो वह इच्छा पूरी हो जाती है। लेकिन वास्तव में हमें मन के रूप में अद्भुत कल्पवृक्ष मिल चुका है। क्योंकि यह मन ही है जो हमें जो मांगेंगे उसे देने की ताकत रखता है। कई बार हमने देखा कि हमारे भीतर अच्छे भाव आते हैं तो सामने वाले के भीतर अच्छे भाव नहीं आते। थोड़ी देर बाद भी हम कितना अच्छा बार करें तो आगे वाले सुधरने वाले नहीं होते हैं। नकारात्मक सोच वैसे ही स्थिति वापस ला देती है। इसलिए हमें मन रूपी कल्प वृक्ष तो मिल गया है लेकिन हमें उसके नीचे क्या बैठकर सोचना चाहिए क्या नहीं सोचना है यह हम पर निर्भर है।दिनभर शुभ अच्छा सोच सकते हैं उससे धीरे-धीरे परिस्थितियां बदल जाएगी। हमें बेहतर संकल्प लेना होगा कि मुझे जो भी दिखे उसके बारे में मुझे अच्छा ही सोचना है। गलत भी होता है तो भी फायदेमंद होता है ।बचपन से यह सब सुनते रहे फिर भी क्यों नहीं कर पा रहे ।आज हमें निर्णय करना है। हम क्या चाहते हैं परिवार के सदस्यों से क्या चाहते हैं यही हमें पता नहीं ।एक बार सब लिख ले। जिन्होंने भी बदलाव किया वही वातावरण को ही बदलने में कामयाब हुए। इसलिए कहते हैं कि महापुरुष जिन्हें परिस्थितियां नहीं बल्कि वे खुद परिस्थितियो को बनाते हैं। जो परिस्थितियों का निर्माण करने की ताकत रखते हैं जो चाहते हैं वह मांगे। हम सम्मान चाहते हैं तो हम सम्मान करना सीखें तो हमें मिलना महसूस होगा। हमारे भारत में एक ऐसी विशेष परंपरा है एक दूसरे को राम-राम बोलते हैं जय जिनेंद्र बोलते हैं। यह विश्व में अलग ही विशेषता है। विश्व में कहीं भी कोई ऐसी व्यवस्था नहीं है। हम ऐसा बोलकर एक दूसरे के जरिए भगवान को याद कर लेते हैं। और जब हम एक दूसरे में भगवान को देखने लगे तो उसके लिये ग़लत विचार कैसे ला सकते है?अगर हम किसी के ज्यादा तारीफ कर दे तो वह हमारे साथ चाह कर भी गलत करना चाहे तो कर नहीं पाता। एक गलत मान्यता हमारी हो चुकी है कि वक्त पर कोई काम नहीं आता। तो वैसे ही होने लगता है। अगर हम सोचेंगे कि वक्त पर सभी मेरे काम आते हैं तो वक्त पर सब खड़े हो जाएंगे ।यही नियम है। आज पूरा जगत इस बात को स्वीकार कर रहा। सिर्फ हमें विचारों को थोड़ा सा बदलना है। सकारात्मक रहना है। मुझे जो भी दिखे अब अच्छा सोच अच्छा दिखे जो भी दिमाग में कचरा डालने के लिए कोशिश करें उनसे थोड़ी समय के लिए दूर हो जाए। जब हम मन की शक्ति को समझ पाएंगे और सही उपयोग करने की ललक आएगी तो हमारे आसपास की परिस्थितियों का सदुपयोग करेगी। और हमें समझा देगी इसलिए हमें जो भी मिले इसकी एक तारीफ करने का प्रयास करना है। क्योंकि वह तारीफ हमें उसके निकट ले आती है। गलत बातों को अच्छे विचारों से तुरंत हटाए। धीरे-धीरे गलत आना बंद हो जाएगा। ना हमें गलत सुनना है, ना बोलना है, ना देखना है। किसी चीज को कठिन भी नहीं मानना है। कठिन कहने का मतलब है हम उसे करना नहीं चाहते। जो हम पढ़ना नहीं चाहते थे उसे हम कठिन मान लेते हैं। जो करना नहीं चाहते उसे कठिन मान लेते हैं। कौन सी चीज हमें कठिन लगती है। परिवार को संभालना बहुत कठिन कार्य है ऐसा सोच लेते हैं। पर भीतर झांक कर देखें कि शायद आप संभालना ही नहीं चाहते हैं।महसूस करिए कि यह शब्द कहां से आ रहे हैं। जहां चाहत नहीं होती है वहां आसान चीज भी कठिन हो जाती है और जहां चाहते हैं वहां सब आसान हो जाता है। अगर मुझे जगत को सुधारना है तो जितना आप सोच कर गलत रास्ते पर चले गए तो वापस लौट आइए और सही रास्ते पर चलिए सब ठीक हो जाएगा। गलती हो गई तो रोने से कोई फायदा नहीं है। सिर्फ मुझे रुकना है और पलटना है ,पलट कर देखिए आपके भाव बदलने लगेंगे। ऐसे बहुत सारे उदाहरण हमारे जीवन में है। आपको अपनी भूल स्वीकार करनी है और जो भी दिखे उन्हें जय जिनेंद्र बोलना है। कोई भी दिखे तो हमें भगवान याद आएंगे। सब में भगवान है। जब हमें किसी के अंदर भगवान दिखेगी तो उसे भी भगवान दिखाई देगा। एक भगवान दूसरे भगवान से अच्छा ही व्यवहार करेंगे, ऐसा सोचने की कोशिश करिए ।ना हमें वाणी से क्रोध करना है ना आंखों से। कई बार हमारी आंखें भी क्रोध कर देते हैं। हम किसी को ऐसी नजर से देखते हैं कि कई दफ़े वह सामने वाले को चुभ जाता है। इन बातों का भी हमें ध्यान रखना है। वाणी से नकारात्मक बोलना नहीं है ना क्रोध करना है। आंखों से भी कुछ नहीं करना है। कानों से भी हमें बुरी चीज नहीं सुननी है। मन, हाथों से भी पांव से भी कुछ नहीं करना है। उपरोक्त बातों को ध्यान में रखकर जीने वालों के जीवन में ख़ुशियों को आने से कोई रोक ही नहीं सकता है।

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