बंगाली प्रसाद ताम्रकार जयंती मनाई गई , समिति ने क्षेत्र के साहित्यकारों का किया सम्मान

बालोद। हस्ताक्षर साहित्य समिति दल्ली राजहरा के तत्वाधान में पुत्र सुशील कुमार ताम्रकार ने पिता बंगाली प्रसाद ताम्रकार के जयंती के उपलक्ष्य में निषाद भवन में साहित्यिक सम्मान समारोह तथा काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस समारोह के मुख्य अतिथि श्री आर बी गहरवार महाप्रबंधक लोह अयस्क समूह राजहरा थे। विशेष अतिथि डॉ शैवाल जाना प्रभारी शहीद अस्पताल, डॉ राजीव लोचन शर्मा प्रभारी संजीवनी अस्पताल दल्ली राजहरा , आचार्य जे आर महिलागे तथा डॉ इकबाल खान अध्यक्ष वनांचल साहित्य समिति मोहला मानपुर थे। कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों द्वारा माता सरस्वती पूजन तथा स्व बंगाली प्रसाद ताम्रकार के चित्र पर माल्यार्पण से किया गया। समिति के अध्यक्ष संतोष कुमार ठाकुर सरल ने स्वागत भाषण में समस्त अतिथियों का स्वागत किया तथा समिति के संस्थापक स्वर्गीय बंगाली प्रसाद ताम्रकार के व्यक्तित्व तथा कृतित्व को याद करते हुए भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित किया। पुत्र सुशील कुमार ताम्रकार ने उनके जीवन से जुड़े महत्वपूर्ण संस्मरण साझा करते हुए साहित्य के प्रति उनके समर्पण और उनकी रचनाओं को याद किया। साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट सेवा के लिए समाजसेवी समिति के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ शिरोमणि माथुर , आनंद बोरकर तथा डॉ इकबाल खान अध्यक्ष वनांचल साहित्य सृजन समिति मानपुर मोहला का श्रीफल तथा स्मृति चिन्ह से सम्मान किया गया। इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आर बी गहरवार ने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम साहित्य के साथ महान विभूतियों को जीवित रखने का उन्नत प्रयास है। साहित्य में समाज की विविधता, जीवन दृष्टि और लोक कलाओं का संरक्षण होता है। साहित्य समाज को स्वस्थ कलात्मक, ज्ञानवर्धक मनोरंजन प्रदान करता है जिससे सामाजिक संस्कारों का परिष्कार होता है। रचनाएं समाज की धार्मिक भावना भक्ति समाज सेवा के माध्यम से मूल्य के संदर्भ में मनुष्य हित की सर्वोच्चता का अनुसंधान करती है। विशेष अतिथि डॉ शैवाल जाना कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि साहित्य समाज के मूल्यों का निर्धारक होता है। जीवन के सत्य को प्रकट करने वाले विचारों और भावों की सुंदर अभिव्यक्ति है। साहित्य के जरिए हम समाज की समस्याओं परिस्थिति और भावनाओं के बारे में जान सकते हैं। साहित्य में हमारे समाज के सुख – दुख तथा उत्थान – पतन का स्पष्ट चित्रण होता है। विशेष अतिथि डॉ राजीव लोचन शर्मा जी ने स्वरचित कविता झूठ तथा भ्रष्टाचार के माध्यम से तात्कालिक विकृत परिस्थितियों पर करारा प्रहार किया। साथ ही उन्होंने कहा कि समाज की गतिविधियों से साहित्य प्रभावित होता है। साहित्यकार में स्रष्टा और द्दृष्टा दोनों का गुण होना आवश्यक है ।स्रष्टा में वह नई रचनाओं का सृष्टि करता है। दृष्ट में वह समाज में व्याप्त सूक्ष्म से सूक्ष्म समस्याओं को देखने की क्षमता रखता है। आचार्य जे आर महिलंगे ने स्व ताम्रकार जी को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि वे कुशल सामाजिक चिंता तथा साहित्यकार थे। समाज में होने वाली संस्कृतिक विकृति पर चिंतित रहते थे और लिखते भी भी रहते थे। उनके द्वारा रचित कई कविताओं पर चर्चा किये जैसे

बनिया साहेब बाबू जागो, जागो कुली किसान रे

छत्तीसगढ़ के माटी जागीस,जागो उठो जवान रे

तत्पश्चात काव्य गोष्ठी आरंभ हुआ जिसमें अंचल के समस्त साहित्यकारों ने अपने विचार रखें तथा काव्य पाठ किए।गोष्ठी में डॉ इकबाल खान अध्यक्ष वनांचल साहित्य सृजन समिति मोहला, अमित सिंहा प्रबंधक राजहरा माइंस, आशुतोष त्रिपाठी सहायक प्रबंधक दल्ली माइंस, हास्य व्यंग्यकार घनश्याम पारकर, शमीम अहमद सिद्दीकी, कामता प्रसाद देशलहरा, जसवंत कुमार मंडावी, अशोक कुमार सिन्हा ,जितेंद्र पटेल ‘ विद्रोही’ , लखन लाल कलामे, शोभा बेंजामिन राजेश्वरी ठाकुर तथा प्रतिभाशाली छात्रा कुमारी लक्ष्मी कुशवाहा, कुमारी यामिनी आदि ने काव्य पाठ किया। कार्यक्रम का संचालन युवा साहित्यकार अमित प्रखर तथा तामसिंह पारकर ने किया। इस समारोह में वरिष्ठ साहित्यकार स्व चांद मुबारक चांद कुरैशी की धर्मपत्नी, कमल शर्मा पत्रकार , प्रतिभा ताम्रकार, विद्या रावते अध्यक्ष हल्बा समाज, धनेश्वरी निषाद अध्यक्ष निषाद समाज जिला बालोद, देवनतीन पारकर उपाध्यक्ष निषाद समाज, द्रोपती साहू महिला प्रकोष्ठ सदस्य साहू समाज, कल्याणी निषाद अध्यक्ष निषाद समाज महिला प्रकोष्ठ, रेखा पारकर सचिव छत्तीसगढ़ समन्वय समिति महिला प्रकोष्ठ समेत अन्य साहित्यकार तथा पदाधिकारी उपस्थित थे।

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