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डैम के साथ नदी को भी बचाने की जरूरत,, तांदुला बदहाली की कगार पर,,,बननी होगी हर किसी को इसकी अब आवाज!

बालोद। इन दोनों बालोद शहर की जीवनदायनी तांदुला नदी अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रही है। वर्तमान स्थिति को देखते ऐसे लगता है

कि नदी नाले में परिवर्तित हो सकती है। इस नदी को बचाने के लिए अब लोगों को ही इसकी आवाज बननी होगी। एक अभियान छेड़ने की जरूरत है।

डेली बालोद न्यूज भी इसके लिए लोगों से अपील करती है। इस बीच कुछ जागरूक नागरिकों ने अपने विचार और सुझाव भी भेजे हैं। नगर वासी संतोष राव कृदत्त ने कहा जिसका खाया, जिसका पिया जब उस पर मुसीबत आई तो मुंह फेर लिया । नदी की ऊपर बनी पूल से जिम्मेदार लोगो की गाड़िया गुजरती है पर उनकी स्थिति उस बिल्ली की तरह है जो आंख बंद कर मलाई खाने में लगी हुई है।बात केवल जिम्मेदार लोगो की ही नहीं प्रत्येक नागरिक की भी है पर नागरिक भी शुतुरमुर्ग की व्यवहार को अपनाता है, आपदा के वक्त अपनी गर्दन रेत में छुपाकर सोचता है हमे क्या मतलब? निर्मल निश्छल प्रवाह से बहती नदी स्वास्थ समाज संपन्न शहर की पहचान होती है। यद्यपि नदी की सफाई के लिए पूर्व में भी प्रयास हुए हैं,लेकिन ढाक के तीन पात, शहर के सभी आयु वर्ग के नागरिकों से अनुरोध है कि नदी की सफाई को एक विचार क्रांति, एक मिशन के रूप अंजाम देना होगा। आप अपने मोबाइल माध्यम से प्रतिदिन अपनी जीवनदायनी तांदुला के संरक्षण संवर्धन के लिए संवाद करे । इसके वीडियो फोटो आप हमें डेली बालोद न्यूज वॉट्सएप नंबर ,9755235270 पर भी भेज सकते हैं। नदी संरक्षण को लेकर जागरूक लोगों का मानना है कि निश्चित ही हमारी विचार क्रांति से गूंगा भी बोलेगा बहरा भी सुनेगा ,अंधा भी देखेगा । प्रशासन की नींद खुलेगी। हम नदी की सफाई इसके तटो के सुंदरता बढ़ाने जैसे साबरमती रिवर फ्रंट गोमती रिवर फ्रंट तंदुला रिवर फ्रंट बने। तांदुला बांध एक पर्यटक स्थल के रूप में पूर्ण विकसित हो। पर तांदुला नदी के साथ बांध के महत्व को समझते हुए प्रतिवर्ष तांदुला महोत्सव आयोजित हो। तांदुला शहर की पहचान है स्वाभिमान है। उसे बचाना सबका कर्तव्य है। जिला प्रशासन सिर्फ डैम के आसपास सौंदर्यीकरण पर ध्यान दे रही लेकिन नदी बेहाल है। इसकी सफाई और ट्रीटमेंट जरूरी है। यह सिर्फ बालोद ही नहीं आसपास के कई गांव के वाटर लेवल का स्रोत भी है। जलकुंभी इसकी अहम समस्या है। हाल ही में हीरापुर में जलकुंभी में फसने से एक शादी में आए मेहमान की मौत भी हो गई । इसके बाद भी शासन प्रशासन इसके संरक्षण को लेकर ध्यान नहीं दे रहा है।

रामघाट की स्थिति बदहाल

तांदुला का रामघाट तट की स्थिति काफी बदहाल नजर आ रही हैं यहां विभिन्न क्रियाकर्म के नाम से आने वाले लोग गंदगी के चलते परेशान होते हैं। रामघाट मंदिर वालों ने कुछ हद तक घाट की साफ सफाई कर इसे बचाकर रखा है लेकिन नदी का अधिकांश हिस्सा जलुकुंभी से पटा हुआ है।

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