एक्सपायरी ग्लूकोज के साथ आदेश भी हुआ एक्सपायरी- कलेक्टर साहब, आपने जांच के लिए आदेशित किया था, यहां तो लापरवाही की जांच में ही हो गई लापरवाही?, एसडीएम चली गई, जांच अटकी
बालोद। पिछले दिनों ग्राम सरेखा के एक कोरोना पीड़ित मरीज को जिला कोविड-19 अस्पताल में एक्सपायरी ग्लूकोज बोतल चढ़ा दिया गया था। जिसका वीडियो जमकर वायरल हुआ था। तो वहीं सभी मीडिया ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया था ।इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कलेक्टर द्वारा तत्काल में तो रात्रि कालीन ड्यूटी में तैनात एक स्टाफ नर्स तारिणी साहू को बर्खास्त कर दिया था लेकिन इस बर्खास्तगी के बाद कई तरह के सवाल उठने लगे थे। वह इसलिए क्योंकि सिर्फ नर्स पर ही कार्यवाही करके औपचारिकता पूरी की जा रही थी। लोगों व इसके अलावा विभिन्न संगठनों द्वारा इस मुद्दे पर सूक्ष्मता से जांच की मांग की जा रही है। पिछले दिनों भाजयुमो द्वारा भी इस संबंध में ज्ञापन सौंपा गया था लेकिन अब तक ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। हाल ऐसा है कि कलेक्टर द्वारा एसडीएम को जांच अधिकारी नियुक्त करते हुए 3 दिनों के भीतर जांच रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा गया था। उन्हें आदेशित किया गया था कि 3 दिनों के भीतर मामले की सूक्ष्मता से जांच की जाए ताकि और भी कोई दोषी पाए जाते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई हो सके। लेकिन हाल ऐसा है कि 3 दिन बीत गए लेकिन मामले में अब तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है इधर अब अधिकारी एक-दूसरे पर जिम्मेदारी थोप रहे हैं। दरअसल में यह मामला इसलिए भी लटका हुआ है क्योंकि बालोद एसडीएम जांच अधिकारी बनाया गया था, उनका तबादला हो गया है। पहले एसडीएम शिल्ली थॉमस थी, अब उनके जगह राम सिंह ठाकुर को एसडीएम नियुक्त किया गया है। कलेक्टर के निर्देश पर बालोद जिले में कई अफसरों के प्रभार बदले गए हैं। जिसके मद्देनजर शिल्ली थॉमस को अलग विभाग दे दिया गया है। उनकी जगह पर बालोद एसडीएम का दायित्व राम सिंह ठाकुर को सौंपा गया है। कलेक्टर द्वारा जो आदेश जारी किया गया था वह एसडीएम के नाम था। यह स्पष्ट नहीं था कि कौन एसडीएम इस मामले की जांच करेंगे। अब तत्कालीन एसडीएम द्वारा यह कहकर इस केस बचा जा रहा है कि मैं तो अब एसडीएम नहीं हूं। मेरा ट्रांसफर दूसरे विभाग में हो गया है। जो है वह जांच करेंगे। मैं जांच नहीं करूंगी ।तो वहीं वर्तमान में जिन्होंने चार्ज लिया है उनका कहना है कि अभी कार्रवाई शेष है। इस तरह देखा जाए तो कुल मिलाकर मामले की लीपापोती अभी भी जारी है। अब तक मामले में ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
सिर्फ छोटी सी कर्मचारी नर्स पर कार्रवाई उचित नहीं
ज्ञात हो की लोगों में इस बात से नाराजगी है कि इस मामले में जिम्मेदार डॉक्टर और लापरवाही बरतने वाले अधिकारी खुद को बचा रहे हैं। और सिर्फ छोटे से कर्मचारी स्टाफ नर्स की बर्खास्तगी करके मामले को दबाया जा रहा है। क्योंकि स्टाफ नर्स से ज्यादा कहीं बड़ी गलती इस एक्सपायरी हो ग्लूकोस बोतल की सप्लाई करने वाले स्टोर कीपर सहित अन्य लोगों की है। जो इसमें संलिप्त है लेकिन कहीं ना कहीं इस मामले में बड़ी मछली को बचाने का खेल जमकर चल रहा है। जिसको लेकर इन दिनों स्वास्थ्य अमला बालोद जिले में सुर्खियों में बना हुआ है। हर कहीं किसी न किसी रूप में स्वास्थ्य विभाग और इस प्रशासन की निंदा करने में लगा हुआ है कि आखिर एक स्टाफ नर्स की नौकरी की बलि देकर इस मामले में दबा दियागया है जिसकी नाममात्र गलती थी कि वह ग्लूकोज बोतल की तारीख नहीं देख पाई बल्कि इससे कहीं बड़ी गलती उनकी है जिन्होंने इसे मरीजों को चढ़ाने के लिए दिया और अस्पताल में इसकी सप्लाई की गई ।गंभीर बात यह है कि यह एक्सपायरी हो चुकी ग्लूकोज की बोतल कोरोना मरीज को चढ़ाई जा रही थी। जो कि अभी संवेदनशील मुद्दा बना हुआ है।
लोगों में है नाराजगी, कह रहे हैं हो उचित कार्यवाही
भाजपा नेता नितेश वर्मा ने कहा कि यह जनहित का मुद्दा है। आए दिन लगातार जिला अस्पताल प्रबंधन द्वारा लापरवाही बरती जाती है। कोरोना केस में तो इस तरह की लापरवाही कतई बर्दाश्त नहीं की जाएगी । सूक्ष्मता से जांच की जानी चाहिए लेकिन अफसोस जनक बात है कि अब तक इस मामले में उचित कार्यवाही नहीं हुई है। स्टाफ नर्स को बर्खास्त करके विभाग अपने आप को संतुष्ट कर ही है। लेकिन असल दोषी कोई और ही हैं जिन पर सूक्ष्मता से जांच करके कार्रवाई की जानी चाहिए ।
अधिवक्ता दीपक सामटकर ने कहा कि मामले में बारीकी से जांच हो तो कई सफेदपोश बेनकाब हो सकते हैं यहां आलम ऐसा है कि अस्पताल में सही तरह से दवाई तक नहीं मिलती है। कई दवाई एक्सपायरी हो जाती है। इनकी किसी को खबर तक नहीं रहती है। नाम मात्र के लिए वहां पर डिस्प्ले बोर्ड में दवाइयों का नाम लिखा जाता है लेकिन वास्तविक स्थिति कुछ और ही रहती है। इसी का नतीजा है कि यहां एक्सपायरी बोतल चढ़ा दी गई और अधिकारी भी विभाग की लापरवाही के साथ-साथ इस मामले को नजरअंदाज कर रहा है।
हमने की है कार्यवाही की मांग, वरना करेंगे आंदोलन
भाजयुमो के जिलाध्यक्ष अमित चोपड़ा ने कहा कि हमने इस पूरे मामले पर एसडीएम को ज्ञापन सौंपकर उचित कार्यवाही की मांग की है। सूक्ष्मता से जांच की जानी चाहिए। अगर ऐसा नहीं हुआ तो भाजयुमो द्वारा इस पर आंदोलन की चेतावनी भी दी गई है। अब देखते हैं कि आखिर प्रशासन इस मुद्दे को कितनी गंभीरता से लेता है। ज्ञात हो कि लगातार शिकायत आ रही है कि जिला अस्पताल में इलाज को लेकर घोर लापरवाही बरती जाती है लेकिन कोरोना जैसे मुद्दे पर इस तरह की लापरवाही देखने को मिलेगी, हमने भी कभी नहीं सोचा था।
अब क्या कह रहे हैं अफसर,जरा इनकी भी सुनिए
मैंने कोई जांच नहीं की – शिल्ली थॉमस
तत्कालीन एसडीएम शिल्ली थॉमस ने कहा कि मैं इस मामले की जांच नहीं कर रही हूं। कलेक्टर महोदय द्वारा भले ही आदेश दिया गया। एसडीएम के नाम से भले आदेश जारी हुआ था। क्योंकि पिछले दिनों ही मेरा विभाग बदल दिया गया है। अब मैं कलेक्ट्रेट में बैठ रही हूं। मैंने अपना चार्ज भी दे दिया है। इसलिए इस मामले में अब मैं कुछ नहीं बता सकती ।आगे की जांच जो भी एसडीएम के प्रभार में है, वह कर रहे हैं। मैं इस संबंध में मैंने कोई जांच भी अब तक नहीं की है।
डॉक्टर है आइसोलेट, बयान बांकी- राम सिंह ठाकुर
वर्तमान एसडीएम राम सिंह ठाकुर ने कहा कि मामले में जांच के संबंध में आदेश मुझे प्राप्त हुआ है। जांच चल रही है क्योंकि अभी कुछ डॉक्टर होम आइसोलेट हैं इसलिए उनका बयान नहीं हो पाया है। इस वजह से जांच प्रक्रिया लटकी हुई है। जैसे ही जांच पूरी होती है, हम कलेक्टर महोदय को प्रतिवेदन दे देंगे अभी फिलहाल मामले में जांच अधूरी है अभी किसी निष्कर्ष तक नहीं पहुंच पाए हैं।