देव उठनी विशेष- क्षिर सागर का दृश्य देखना है तो चले आइए बालोद जिले के इस मंदिर में, जो है आसपास के कई जिलों का धार्मिक पर्यटन स्थल, देखिए तस्वीरें और जानिए इस जगह के बारे में
बालोद/दुर्ग। बालोद व दुर्ग जिले की सीमा पर बसा एक गांव है ओटेबंद। जो वो बालोद जिले में गुंडरदेही ब्लॉक में आता है। इस गांव के मंदिरों की अपनी विशेष पहचान है। जहां के विष्णुधाम में फागुन माह में होली के पहले 11 दिवसीय यज्ञ व मेला का आयोजन होता है। इस जगह पर एक ऐसी मूर्तियों की श्रृंखला है, जो देव उठनी पर केंद्रित है। तो उसकी बनावट ही उसकी खास पहचान बताती है। बालोद जिले में यह एकलौता मंदिर है। जहां पर भगवान विष्णु शयन और लक्ष्मी के पैर दबाते क्षिर सागर में आराम की मुद्रा को दिखाया गया है। अब तक लोग तस्वीरों में ही इस तरह के दृश्य देखते रहते हैं या धार्मिक सीरियल में। लेकिन इस गांव के मंदिर में आप वृहद रूप से एक बड़े भूभाग पर बने इस मूर्तियों के श्रृंखला को देखकर आश्चर्य रह जाएंगे कि इसकी बनावट बहुत ही सुंदर कलाकृति के साथ की गई है हर कोई जब इस मंदिर में जाता है तो इस क्षिर सागर रुपी मुद्रा को देखने के लिए आतुर होता है और यहां पहुंच कर लोग भगवान विष्णु लक्ष्मी सहित अन्य देवी-देवताओं के दर्शन करते हैं।
आज देव उठनी पर भी मंदिर समिति द्वारा इस जगह पर पूजा पाठ किया जाता है। आसपास के गांव के लिए यह देवस्थल प्रमुख माना जाता है। शादी विवाह के समय भी लोग यहां पर पूजा करने के लिए आते हैं। देव उठनी के साथ ही इस जगह का महत्व और बढ़ जाता है। फरवरी में फागुन के दौरान जब यहां यज्ञ व मेला होता है तो दूसरे राज्यों से भी संत महात्मा आकर पूजा-पाठ और यज्ञ में शामिल होते हैं। तो वही लोग भी बड़ी संख्या में यहां जुटते हैं। बता दें कि इस मंदिर का निर्माण रायपुर के बंजारी धाम की तर्ज पर किया गया है।