जो व्यक्ति धर्म को आचरण में लेकर चलता है तो उनके जीवन में जो भी आवश्यकता होती है उसे परमात्मा स्वयं पूर्ण करते हैं- बालक दास
बालोद/ डौंडीलोहारा| ज्ञान और धर्म के मोती से सबको पिरोये हुए सत्संग की गंगा मे डुबकी लगाते हुए सामाजिक तो समसामयिक विषयों से अवगत कराते हुए मधुर भजनों से सुशोभित हिंदू सनातन धर्म के प्रमुख पर्वो के गुण मूल रहस्य को अवगत कराने वाला हिंदुत्व के महत्व को बताने वाला गौ माता से हमें जोड़ने वाला, छोटे-छोटे बच्चों की किलकारी एवं भजनों से आनंदित करा देने वाला, माताओं बहनों की रामचरितमानस की चौपाइयां का सुंदर गायन, सत्संगी भाइयों के सुंदर सुंदर मनमोहक भजन, छत्तीसगढ़ के विशिष्ट कवियों, के द्वारा आयोजित आनंददायक कवि सम्मेलन, देशव्यापी संतो के ज्ञान वाणी से परिपूर्ण
संत राम बालक दास जी के अद्भुत ज्ञान एवं चिर परिचित वाणी से सुशोभित सीता रसोई संचालन ग्रुप के ऑनलाइन सत्संग जो कि आज संपूर्ण भारतवर्ष में अपना परचम लहरा चुका है को पूरे 7 माह पूर्ण हुए
जिसका सभी सत्संगी भाइयों माताओ ने बाबा जी को बधाई प्रेषित किया एवं बाबा जी ने भी इस सत्संग से जुड़ने वाले सभी भाइयों बहनों माताओं एवं बच्चों को धन्यवाद प्रेषित किया, एवं आज के दीपावली पर्व की सभी ने बधाइयां शुभकामनाएं दी
बधाई और शुभकामनाओं के बीच सत्संग परिचर्चा को आगे बढ़ाते हुए प्रतिदिन की भांति, सुंदर जिज्ञासाओं, हिंदू धर्म में विशेष रुचि रखने वाले, रामचरितमानस के गायक रामफल जी ने धर्मशील पही जाई सुभाय।। के भाव को स्पष्ट करने की विनती की इन पंक्तियों के भाव को स्पष्ट करते हैं बाबा जी ने बताया कि जो व्यक्ति धर्म को आचरण में लेकर चलता है तो उनके जीवन में जो भी आवश्यकता होती है उसे परमात्मा स्वयं पूर्ण करते हैं जिसे कुछ भी नहीं चाहिए उसे भी भगवान वह सब प्रदान करते हैं जिससे वह अपेक्षा भी नहीं कर पाता सत्य ही उनका मन पवित्र होना चाहिए, जैसे हम माता शबरी और केवट दोनों को ही देख ले वे निर्धन थे परंतु उनका हृदय निश्चल निष्कपट था इसीलिए स्वयं प्रभु श्री राम उन्हें मिल गए प्रभु श्री राम के चरण उन्हें मिले, जब धर्म मार्ग पर चलने पर प्रभु श्रीराम मिल सकते हैं तो सोचिए, अन्य तुच्छ चीजें की क्या बात है , आपके घर में स्वयं रिद्धि सिद्धि का वास रहेगा आचरण धर्मशील होना चाहिए