तब और अब-गांधी जयंती विशेष -महात्मा गांधी की यादों को इस भवन में संजोया गया है, शहर के लोगों की जुड़ी है भावनाएं,,,,पर अब बदलने लगा है यहां का माहौल

बालोद। बालोद शहर के हृदय स्थल बुधवारी बाजार में एक भवन है जिसे लोग गांधी भवन के नाम से जानते हैं। इस स्थल पर कभी महात्मा गांधी जी तो नहीं आए थे लेकिन गांधी के आदर्शों को आत्मसात करके इस भवन व स्थान को एक नया नाम मिला था जिसके चलते आज बरसों बाद भी इस जगह की अपनी अलग पहचान है हालांकि अब भवन जीर्णोद्धार के बाद पहले जैसा माहौल अब यहां का नहीं रहता। अब काफी कुछ बदल चुका है लेकिन महात्मा गांधी के यादों व उनके आदर्शों को इस भवन निर्माण व शुरुआत से जुड़े हुए हर परिवार व शहर के उन जागरूक जनता की जहन में वह यादें आज भी जिंदा है ।उनके सम्मान में हर साल गांधी जयंती पर इस गांधी भवन की महत्व को वे याद करते हैं। इस भवन से हर किसी की भावना जुड़ी हुई है। एक समय यह भवन खंडहर हो चुका था इसका जीर्णोद्धार नगर पालिका प्रशासन ने किया लेकिन इसका जीर्णोद्धार करवाने में भी प्रशासन तक को भी काफी संघर्ष करना पड़ा था। काफी अड़चनें आई। कई बार आंदोलन तक हुआ तब जाकर इसका नव निर्माण हुआ और आज आलीशान गांधी भवन तैयार है जो अब नए लुक में नजर आ रहा है तब और अब में काफी फर्क आ चुका है लेकिन गांधी की यादें इस भवन से जुड़ी होने के कारण इसका महत्व आज भी बरकरार है।
इलाके में मानी जाती थी पवित्र जगह
गांधी भवन में कभी नगरवासी गांधी जी के प्रिय भजन, धार्मिक व साहित्यिक कार्यक्रम सहित बैठकर बालोद के विकास की चर्चा करते थे। साल में दर्जनों बार बड़े आयोजनों का महत्वपूर्ण केंद्र था। दूर-दूर से लोग यहां कार्यक्रम देखने आते थे। महत्वपूर्ण स्थल होने के कारण हर बड़े सार्वजनिक कार्यक्रम के लिए इसी स्थल को चुना जाता रहा है।
उपलब्धियों से भरा रहा है इस गांधी भवन का इतिहास

1.सन 1973 से 1983 तक नव युवक मंडल बालोद द्वारा गांधी भवन को महाविद्यालय के रूप में बीए व बीकॉम के विद्यार्थियों को प्रशिक्षण कोचिंग के रूप में दिया जाता था।
2.गांधी भवन पूर्णत: दान दाताओं के सहयोग से बना है। पहले यहां प्रति सप्ताह सांस्कृतिक व साहित्यिक गतिविधियां आयोजित की जाती थी।
4.पूर्व विधायक स्वर्गीय लोकेन्द्र यादव, पुरूषोत्तम पटेल, जयप्रकाश योगी, राम प्रसाद यादव, हसमुख पटेल और अशोक कश्यप इस भवन में संचालित कॉलेज के विद्यार्थियों को मार्गदर्शन देते थे।
5.प्रदेश स्तर की कुश्ती, कबड्डी आदि प्रदेश स्तरीय खेल स्पर्धा आयोजित होती थी।
गीतकार विट्ठुल भाई, विद्याचरण शुक्ल, अरविन्द नेताम, दिग्विजय सिंह, झुमुक लाल भेडिय़ा, संत कवि पवन दीवान, शंकर गुहा योगी,आदि गांधी भवन के कार्यक्रम में शामिल हो चुके हैं।
इस तरह बना है नया गांधी भवन
नए दो मंजिला गांधी भवन में 10 काम्प्लेक्स हैं, जिसमें सामने पार्किंग है। विभिन्न कार्यक्रमों के लिए सामने मंच व एक काम्प्लेक्स को दुर्गा, गणेश व विभिन्न उत्सव में प्रतिमा रखने रिजर्व रखा गया है। दूसरे तल पर नगर विकास व विभिन्न कार्यों की चर्चा के लिए तीन कमरे तथा महिला व पुरुष सुलभ भी बनाए गए हैं।
दानदाताओं के सहयोग से बना था पहले भवन
बता दें कि गांधी भवन का निर्माण सन् 1969 में हुआ था, जिसका उद्घाटन अविभाजित मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री पं. श्यामाचरण शुक्ला ने 7 अक्टूबर 1969 को किया था। यह भवन नगर के दानदाताओं के सहयोग से बना था। इस जगह में भूदान आंदोलन के दौरान कई सभाएं भी होती थी विनोबा भावे की यादें भी इस जगह से जुड़ी हुई है।