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छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस पर वनांचल गेड़ी नृत्य दल चिलमगोटा द्वारा तरंग संगोष्ठी का आयोजन, क्या खोया – क्या पाया थीम पर देखिए प्रदर्शनी की तस्वीरें

बालोद। छत्तीसगढ़ राज स्थापना दिवस के अवसर पर “छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के 20 वर्ष-क्या खोया – क्या पाया” विषय पर साहित्य, कला, संस्कृति, राजनीति व शिक्षा क्षेत्र से आमन्त्रित वक्ताओं ने अपने विचार रखे। इस संगोष्ठी का आयोजन ऑनलाइन रखा गया था। जिसे तरंग संगोष्ठी नाम दिया गया। जिसमें छत्तीसगढ़ के बदलते परिवेश पर चर्चा करते छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना के प्रांतीय उपाध्यक्ष यशवंत वर्मा ने 20 वर्षों बाद भी छत्तीसगढ़ की संस्कृति, भाषा, साहित्य और जनजीवन के संरक्षण के नाकाफी प्रयास व वर्तमान दशा पर चिंता जाहिर की। उन्होंने समाज के बिखराव पर कहा “जात पात के करव बिदाई, छत्तीसगढ़िया भाई-भाई”।

जिला पंचायत बालोद के उपाध्यक्ष मिथलेश निरोटी ने आदिवासी समाज और छत्तीसगढ़ विषय पर अपने विचार रखे। महिला क्रांति सेना की ओर से रेणु जांगड़े ने नारी सशक्तिकरण व छत्तीसगढ़ विषय पर जुड़ते नारी अस्मिता पर केंद्रित विचार रखे। अंचल के सँस्कृति प्रेमी व शिक्षाविद जितेंद्र देशमुख ने छत्तीसगढ़ के संस्कृति, तीज त्यौहार के सरंक्षण की बात करते हुए वनांचल गेंड़ी नृत्य समूह के संस्कृतिपरक कार्यों के लिए बधाई दी। शिक्षक खेमन्त साहू ने युवा छत्तीसगढ़ के समक्ष चुनौतियां और छत्तीसगढ़ में नशाखोरी के प्रभाव पर अपनी पीड़ा रखी। लोक साहित्यकार परमानन्द करियारे ने छत्तीसगढ़ का चित्रण किया।

कार्यक्रम का संचालन युवा साहित्यकार व शिक्षक द्रोणकुमार सार्वा ने किया। कार्यक्रम का संयोजन वनांचल गेंड़ी नृत्य दल द्वारा व आभार प्रदर्शन संस्कृति कर्मी शिक्षक सुभाष बेलचंदन द्वारा करते हुए लोककलाकारों की व्यथा पर चिंता जाहिर की।

धनेश साहू के चित्रकला का प्रदर्शनी
आज के दौर में अभावों के बीच संघर्ष करता कलाकार माटी की सौंधी महक और जनमानस की पीड़ा को अपनी तूलिका से कैसे परिभाषित करता है। ये धनेश साहू के चित्रों की अभिव्यक्ति में मिलती है। उनके बनाये चित्रों में छत्तीसगढ़ महतारी आज अनेक लोग अपने वाट्सप चित्र के रूप में शेयर किए। उनके चित्रों में कोरोना काल के दौरान मजदूरों की भूख, पीड़ा, छत्तीसगढ़ का परिवेश, गांव का जनजीवन, भारत माता के प्रति छत्तीसगढ़ के युवक के जस्बात जैसे अनेक विषय शामिल है।

चित्रकला का प्रदर्शनी सुभाष बेलचंदन ने करते हुए यह बताया कि प्रकृति का कुशल चितेरा यह कलाकार इतना कलासम्पन्न होते हुए भी आज अपनी रोजी-रोटी के लिए मजदूरी कर रहा है।प्रदर्शनी के दौरान वो मजदूरी के लिए गए होने के कारण अपनी उपस्थिति दर्ज नही करा सके। प्रतिभा सम्पन्न धनेश साहू की सभी अतिथियों ने मुक्तकंठ से प्रसंशा की।

आज के इस कार्यक्रम में कला साहित्य व संस्कृति से जुड़े लोग शामिल रहे। कार्यक्रम को सफल बनाने में जितेंद्र साहू, अमित सिन्हा, शिवार्द्ध देशमुख, वेदप्रकाश साहू, पुष्पकराज देशमुख, ईश्वरी ठाकुर, देव हरमुख, मोरजध्वज इसदा, अशोक निषाद सहित वनांचल गेंड़ी नृत्य समूह के कला साधक साथियो का योगदान रहा।

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