“जरूरी नही रौशनी चिरागों से ही हो, शिक्षा से भी घर रौशन होते है’,,,इस बात को सार्थक की अनुराधा ने
“शिक्षिका के द्वारा अभ्यास पुस्तिका के माध्यम से लेखन कार्य को बेहतर बनाया गया”,जिनकी सफलता की कहानी लिखीं है राज्य स्तरीय ब्लॉग लेखक विवेक धुर्वे ने
राजनांदगांव-कोहकाबोड,जिला राजनांदगांव की शिक्षिका अनुराधा सिंह बनी छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा विभाग के पढ़ई तुंहर दुआर की हमारे नायक,,,,,
जहाँ आज एक विद्यार्थी विद्यालय से दूर है | वही इस दूरी को मिटाने के लिए छत्तीसगढ़ शासन की ‘पढ़ई तुंहर दुआर” ने ये दूरी कम कर दी और अपनी नई-नई योजना से शिक्षको व विद्यार्थियों को आज भी जोड़ के रखा है | जिसके चलते छत्तीसगढ़ राज्य शिक्षा विभाग की योजना “पढई तुंहर दुआर” को भारत देश के अलावा अन्य देशों में भी सराहा गया है,और इसका लाभ वहाँ भी उठा रहे है | उसी कड़ी में आज की नायक अनुराधा बनी है। जिनकी सफलता की कहानी विवेक धुर्वे राज्य स्तरीय ब्लॉग लेखक ने लिखी है। जो आपको एक ऐसी शिक्षिका से परिचित करवाते हैं | जिन्होंने शिक्षा को बच्चों से कभी दूर नही होने दिया और छत्तीसगढ़ शासन के द्वारा प्रदान अभ्यास पुस्तिका के माध्यम से पालको व जनसमुदाय को जोडकर बच्चों को शिक्षा प्रदान कर रही है | सभी बच्चों को अभ्यास पुस्तिका दी जा चुकी है |
बच्चों के बड़े भाई,बहन,माता,पिता,ग्रुप लीडर का एक विद्यालय स्तर का व्हाट्सएप ग्रुप बनाया गया है | मोबाइल फोन के माध्यम से मोहल्ला क्लास में जाकर शिक्षा मित्र के सहयोग से बच्चों के अभिभावकों से संपर्क कर सबसे पहले मोहल्ला क्लास में पुरी अभ्यास पुस्तिकाओं का पठन कार्य पूर्ण कराया गया | क्योकि सभी बच्चों को ऑनलाइन क्लास मे जोड़ना संभव नहीं था | तो लाउडस्पीकर के माध्यम से भी पठन कार्य कराया गया है | घर पर पढने का समय निश्चित करने से पहले अभिभावकों से संपर्क कर बच्चों की निगरानी करने के लिए तैयार किया गया | इसमें ग्रुप का लीडर एवंं शिक्षा मित्रों का सहयोग लिया गया | सर्वप्रथम इनके द्वारा अभ्यास पुस्तिकाओं का अभ्यास कार्य की कापी ग्रुप लीडर को दी गई | बच्चे अपनी समस्या स्कूल के व्हाट्सएप ग्रुप मे डालते हैं | जिनका कार्य बहुत अच्छा रहता है, उन्हें समय समय पर पुरस्कार भी दिया जाता है | इससे बच्चे सीखने मे रूचि ले रहे और प्रोजेक्ट बनाने मे रूचि अधिक ले रहे है | अभी इनके द्वारा सभी बच्चों को अपने गाँव या आसपास की समस्या पर लिखने या बोलने का अवसर दिया गया है | एक बच्चे का जवाब था ? समस्या नहीं है तो क्या गांव मे साल भर त्यौहार को कोरोना के रहते कैसे मनाए लिखते है। इस काम को इन्होंने ग्रुप मे विचारों का आदान-प्रदान कर रहे हैं | ताकि कुछ नया करने का उत्साह उनमें बना रहे | ग्रुप मे 10 से 12 बच्चे प्रति दिन जुडते है,और कोई एक अक्षर या शब्द दिया जा रहा, उस पर शब्द या वाक्य बनाने मे आनंद ले रहे है | किसी चित्र को वाट्सएप मे डालने पर उसके बारे मे लिखते या कॉल करके बोलते है | इस तरह नये पैटर्न देकर सिर्फ उन्हें बोलने और पढ़ने लिखने के अभ्यास से जोड़कर रखा गया है | पर विद्यालय के शत् प्रतिशत बच्चे इस काम को नहीं कर पा रहे है | इसमें सबसे पहले उनके द्वारा “कर्सिव राइटिंग वर्क बुक” का अध्यापन कार्य कराया गया और चार लाइन की कॉपियां बच्चों को बांटी गई,जिसमे जनसमुदाय का सहयोग भी लिया गया | और आज उन सभी बच्चों की हैंडराइटिंग सुधर गई | बच्चों के अभिभावकों से जानकारी मिली “लईका मन बने लिखत हे” इसके बाद “गढ़बो नवा भविष्य” पुस्तक अभिभावकों को पढ़ने पढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया गया | ग्रुप लीडर, शिक्षा मित्र की सहायता से पुस्तक पढ़ाते है | इसे पढ़ने से व्यवहार में परिवर्तन दिखा | रात में कहानी की तरह उस पर चर्चा करते थे | गांव में सबकी मदद करने लगे | अपने छोटे भाई बहन को भी वो पुस्तक पढ़ने प्रोत्साहित करने लगे |
बच्चों को प्रोत्साहित-ऑनलाइन कक्षा का संचालन टीएलएम के नवाचार के माध्यम से किया गया | ऑनलाइन कक्षा में सबसे पहले अभ्यास पूरा करने वाले छात्र को एक पेन या कॉपी पुरुस्कार के रूप में दी गई | जिससे सभी का पढाई में मन लगा रहे | व इसके साथ सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जाता था |
सबसे पहले विकासखंड में लाउडस्पीकर शरू करने वाली शिक्षिका– ऑफलाइन कक्षाओ के रूप में विकासखंड में सबसे पहले लाउडस्पीकर की कक्षा कोहकाबोड़ में शुरू की गई | इसमे शिक्षा मित्रों का भी सहयोग लिया गया | बच्चों के स्तर के अनुसार विभिन्न गतिविधियां, सहायक शिक्षण सामग्री का उपयोग ,परिवेशीय चीजों का उपयोग आदि के द्वारा समय-समय पर कक्षा का संचालन किया गया |
निखार पाठ्यक्रम – निखार पाठ्यक्रम के अनुसार भी कक्षाओं के संचालन कक्षा स्तर पर मासिक आंकलन के साथ,खिलौना, चित्रकला, हस्तकला व अन्य प्रतियोगिता भी छात्र/छात्राओं के लिए संचालित की जाती है |
टीएलएम का प्रदर्शन- संकुल स्तर पर टीएलएम प्रतियोगिता भी रखी गई,जिसमे इनके द्वारा 30 टीएलएम का प्रदर्शन किया गया जो सराहनीय रहा |