November 23, 2024

नारायणपुर के इस गांव में हुआ नक्सली हमला, 3 जवान शहीद होने की पुष्टि, और बढ़ सकता है शहादत का आंकड़ा

नारायणपुर। छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले के कन्हार गांव के बीच बड़ा नक्सली हमला हुआ है. माओवादियों ने IED ब्लास्ट कर सुरक्षा बल के जवानों से भरी बस को उड़ा दिया है. इस नक्सली हमले में 4 डीआरजी के जवान शहीद हो गए हैं. जिसमें एक ड्राइवर और तीन जवान शामिल है. जवानों की शहादत की संख्या और भी बढ़ सकती है.
बताया जा रहा है कि डीआरजी के सभी जवान नक्सल ऑपरेशन से लौट रहे थे

. इस हमले में 20 जवान गंभीर रूप से घायल है. जिनको अस्पताल में भर्ती करवाने की तैयारी की जा रही है. घटना स्थल पर तत्काल एम्बुलेंस पहुंच गई है. एम्बुलेंस की मदद से घायल जवानों को अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती करवाया जा रहा है.
डीजी नक्सल ऑपरेशन अशोक जुनेजा ने नारायणपुर में तीन जवानों के शहीद होने की पुष्टि की है. नक्सलियों ने कडेनार और कन्हार गांव के बीच अपने मंसूबों के अंजाम दिया है. जबकि इससे पहले नक्सलियों ने सरकार से शांति वार्ता की बात कही थी. उसके बाद ही बड़ी नक्सली वारदात को अंजाम दिया है.

जानकारी के मुताबिक बस में डीआरजी के 40 जवान सवार थे. सभी डीआरजी के जवान बस में सवार होकर कडेनार से मंदोड़ा जा रहे थे. तभी घात लगाए बैठे नक्सलियों ने आईईडी ब्लास्ट कर बस को उड़ा दिया. जिस जगह पर यह ब्लास्ट हुआ है, वो घना जंगल है.

नारायणपुर में नक्सली हमले के बाद पुराने पीएचक्यू में बैठकों का दौर शुरु हो गया है. डीजी नक्सल ऑपरेशन अशोक जुनेजा बैठक ले रहे है. बैठक में डीआईजी नक्सल, डीआईजी ओपी पाल सहित आलाधिकारी मौजूद है.


जानकारी के मुताबिक, जिले के कड़ेनार इलाके में धौड़ाई और पल्लेनार के बीच घना जंगल है। नक्सलियों ने यहीं पर घात लगाकर बस को निशाना बनाकर IED ब्लास्ट किया है। बताया जा रहा है कि यह जवान मंदोड़ा जा रहा थे। यह आशंका जरूर जताई जा रही है कि शहीद जवानों की संख्या बढ़ सकती है। फिलहाल जवानों को रेस्क्यू करने का ऑपरेशन जारी है।

नक्सलियों ने 6 दिन पहले भेजा था शांति वार्ता का प्रस्ताव
नक्सलियों ने 17 मार्च को शांति वार्ता का प्रस्ताव सरकार के सामने रखा था। नक्सलियों ने विज्ञप्ति जारी कर कहा था कि वे जनता की भलाई के लिए छत्तीसगढ़ सरकार से बातचीत के लिए तैयार हैं। उन्होंने बातचीत के लिए तीन शर्तें भी रखीं थीं। इनमें सशस्त्र बलों को हटाने, माओवादी संगठनों पर लगे प्रतिबंध हटाने और जेल में बंद उनके नेताओं की बिना शर्त रिहाई शामिल थीं।

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