जिला पुलिस व बालोद थाने की टीम ने किया सम्मानित, कोरोना काल में भी जान जोखिम में डालकर वह कई राज्यों से गुमशुदा बच्चों व महिलाओं को ढूंढ कर लाई
ईश्वर लाल गजेेंद्र,बालोद| ब्लॉक के ग्राम अरौद की रहने वाली व बालोद थाने में पदस्थ महिला प्रधान आरक्षक नर्मदा कोठारी को सोमवार को महिला दिवस पर जिला पुलिस प्रशासन की ओर से महिला सेल प्रभारी, अजाक टीआई पदमा जगत व बालोद थाने के स्टाफ ने विशेष रूप से सम्मानित किया।
थाना प्रभारी जीएस ठाकुर ने बताया कोरोना काल के दौरान कठिन परिश्रम करते हुए महिलाओं व बच्चों से संबंधित केस को सुलझाने में महिला प्रधान आरक्षक नर्मदा कोठारी की अहम भूमिका रही। जो इस दौरान अपनी जान जोखिम में डालकर कई राज्यों में जाकर गुमशुदा हुए बच्चों व महिलाओं को ढूंढ कर उनके घर लाई। कई केस जो महिलाओं से संबंधित हैं उनमें विवेचना का काम भी बखूबी करती है। जिसके चलते महिलाओं से संबंधित अपराधों की रोकथाम व आरोपियों को पकड़ने में भी मदद मिलती है।
आज महिला दिवस पर थाने की शान के रूप में उक्त महिला प्रधान आरक्षक को सम्मानित करके सभी थाना के स्टाफ गौरवान्वित महसूस हुए। उप निरीक्षक यामन देवांगन सहित अन्य महिला स्टाफ,मेजर सहित अन्य स्टाफ ने नर्मदा को सम्मानित किया।
कार्य कुशलता को देख एसपी भी पहुंचे थे उनके घर
बता दे कि नवंबर में अरौद में उनकी बेटी वर्षा की शादी हुई थी। पूरे बालोद थाने में उक्त महिला प्रधान आरक्षक की कार्यकुशलता की तारीफ होती है। जिसे देखते हुए एसपी जितेंद्र सिंह मीणा भी उनके एक बुलावे पर उनकी बेटी की शादी में आशीर्वाद देने पहुंचे थे। बालोद थाने सहित जिले में महिला विवेचकों की कमी है। बालोद में महिलाओं से संबंधित अपराध को सुलझाने की अहम कमान नर्मदा के ही कंधे पर होती है। 2019-20 व उसके पहले केस के सभी आंकड़ो को मिलाकर लगभग 100 बच्चों और महिलाओं, को जो लापता थी उन्हें दूसरे राज्यों राजस्थान, बेंगलुरु, महाराष्ट्र, हैदराबाद से ढूंढ कर लाने में नर्मदा ने सफलता हासिल की है।
जब 3 बच्चों की मां होने के बाद भी महिला आरक्षक बनी नर्मदा, अपनी काबिलियत से सबको चौकाई थी
विशेष बातचीत में अरौद निवासी नर्मदा कोठारी ने बताया कि वह 2003 में जिला पुलिस बल भर्ती के दौरान महिला आरक्षक पद पर चयनित हुई थी। पहली पोस्टिंग खैरागढ़ राजनांदगांव में हुई। जहां वह 9 साल तक रही। उसके बाद 2008 से वह प्रधान आरक्षक बनी। उनके पति विष्णु कोठारी का 2012 में हार्ट अटैक से निधन हो गया। नर्मदा बताती है कि दोनों पति-पत्नी खेती किसानी करते थे। उनके पति भी पढ़े लिखे थे पर उनकी नौकरी नहीं लग पा रही थी। कई जगह प्रयास करते थे। भर्ती में जाते थे पर सफल नहीं होते थे। इस दौरान उनके तीन बच्चे( दो बेटियां व एक बेटा) भी थे। तब नर्मदा ने अपने पति से कहा कि मैं भी प्रयास करती हूं। पुलिस भर्ती में जाना चाहती हूं। पहले तो पति ने कहा कि क्या तुम्हें यह शोभा देगा? लोग क्या कहेंगे? फिर नर्मदा ने पति से कहा प्रयास तो कर के देखते हैं जो होगा देखा जाएगा। फिर पति राजी हो गए और दोनों रोज सुबह 4 बजे उठकर गांव के बाहर मुख्य मार्ग में जाकर भर्ती के लिए अभ्यास करते थे। पति साइकल में जाते थे और यह पैदल सुबह उठकर दौड़ लगाती थी।
डेढ़ माह तक इनका अभ्यास चला और भर्ती में गई तो सफल भी हो गई। जब वह महिला आरक्षक बनी तो गांव वाले इसकी काबिलियत पर चौक गए। तीन बच्चों की मां महिला आरक्षक बनी यह खबर उस समय चर्चा का विषय रही। जो अन्य महिलाओं व लड़कियों के लिए प्रेरणा रही। आज भी गांव वाले नर्मदा के काबलियत की सराहना करते हैं। वर्तमान में उनकी बड़ी बेटी वर्षा की पिछले नवंबर में शादी हुई। दूसरी बेटी भानुप्रिया दानी टोला में नर्सिंग की छात्रा है। तो बेटा भूपेंद्र कवर्धा मत्स्य विभाग की पढ़ाई कर रहा है। नर्मदा कोठारी आदिवासी परिवार से है। वह दसवीं तक पढ़ी थी। आरक्षण व मेरिट बेस के चलते उसे पहले प्रयास में ही पुलिस भर्ती में सफलता मिली और अब नई मुकाम हासिल कर रही है।