जशपुर । कहा जाता है कि किसी कार्य को करने के लिए अगर मन में लगन हो, तो उसके अनुरूप परिस्थितियां भी निर्मित होने लगता है| ऐसा ही अनुभव रखते है आज के हमारे नायक शिक्षक हरिश्चंद्र कुमार चौहान जो शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला दलेसर, संकुल कोल्हेनझरिया, विकासखंड फरसाबहार, जिला जशपुर में पदस्थ है| उनके द्वारा बच्चों को उनके परिवेशीय ज्ञान से जोड़ते हुए नेतृत्व क्षमता, तकनीकी ज्ञान सहित उनके सीखने-सिखाने में निःस्वार्थ सेवाभावना व समर्पित रूप से सहभागिता दे रहे है|
इस नवाचारी शिक्षक की प्रेरणादायक सफलता की कहानी को cgschool.in पोर्टल में पढ़ई तुंहर दुआर कार्यक्रम के राज्य स्तरीय ब्लॉग लेखक श्रवण कुमार यादव, सहायक शिक्षक, शासकीय प्राथमिक शाला कोसा, संकुल केंद्र गोरकापार, विकासखण्ड गुण्डरदेही, जिला बालोद द्वारा लिखा गया है।
पारंपरिक खिलौने निर्माण की परिकल्पना
पढ़ई तुँहर दुआर कार्यक्रम के ब्लॉग लेखक श्रवण कुमार यादव से एक चर्चा के दौरान हरिश्चंद्र कुमार चौहान ने जानकारी दिया कि उनको पारंपरिक खिलौने को बनाने तथा इन खिलौनों से खेलने का शौक बचपन से ही रहा है| किंतु शिक्षक बनने के पश्चात ही बच्चों को खेल-खेल में सिखाने और खेल-खिलौने के द्वारा ही बच्चों को हमारी संस्कृति के बारे में जानकारी देने का विचार आया| इस कार्य को करने में प्रधानपाठक आरजी केरकेट्टा और सहायक विकासखंड शिक्षा अधिकारी सीएस ध्रुव से प्रेरणा मिला| उनके सहयोग से ही खिलौने का स्टाल कार्यक्रम को इतने बेहतर तरीके से प्रर्दशित करने में सफल हुए हैं| उन्होंने आगे जानकारी दिया कि हमारे विद्यालय में अध्ययनरत विद्यार्थियों को उनके घर में ही विभिन्न प्रकार के खिलौने बनाने में बच्चों का सहयोग किया है| उन्होंने आगे बताया कि उनके मार्गदर्शन में बच्चों के द्वारा बांस, मिट्टी और कागज से ही अनेक प्रकार के खिलौने का निर्माण किया गया है| जिसमें बांस से बने पाटा, हल, कुर्री, धनुष-तीर इत्यादि बनाया गया है, जिसका उपयोग किसान खेती करने में करते हैं और धनुष तीर (प्राचीन काल के घटनाओं से संबंधित), लकड़ी का बना गिल्ली डंडा, गेड़ी, मिट्टी के खिलौने में भगवान गणेश का मूर्ति, शिवलिंग, मिट्टी का डीजे, घरेलू बर्तन थाली, फिट्टू, कार, बस इत्यादि खिलौने को भी बनाया गया है|
सर्वेक्षण कार्य के माध्यम से संकलित परिवेशीय वस्तुओं से खिलौने बनाने के लिए बच्चों को देते है प्रोत्साहन
शिक्षक हरिश्चंद्र कुमार चौहान ने बताया कि इन खिलौनों को बनाने में किसी भी प्रकार से आर्थिक खर्च नहीं करना पड़ा है| इन खिलौनों को बनाने में हमने बच्चों को उनके आसपास के परिवेशीय वस्तुओं और कार्यों के बारे में जानने के लिए भ्रमण और सर्वे कार्य को टोली बनाकर दिया| जिसमें बच्चों ने सफलता हासिल किए हैं। हमने सभी बच्चों को प्रोत्साहित करने के लिए पेन और कापी को पुरस्कार के रूप में प्रदान किया है| शिक्षक हरिश्चन्द्र का मानना है कि इन सभी खिलौने के द्वारा बच्चों को खेती-बाड़ी, रहन-सहन भोजन, धर्म, गणितीय संक्रियाओं, यातायात के साधन इत्यादि को सीखने-सिखाने में मदद मिल रहा है|
नवाचार : परिवेशीय पक्षियों के नाम पर टोली बनाकर बच्चों का कर रहे है सर्वांगीण विकास
उन्होंने बताया कि स्कूल के सभी बच्चों में नेतृत्व क्षमता विकसित करने के साथ-साथ उनके सर्वांगीण विकास हेतु विगत पाँच वर्षों से विद्यार्थियों को तोता, मैना, कबुतर और कोयल नाम से चार टोलियों में बांटा गया है, जिसमें बच्चों को पाठयपुस्तक के साथ साथ खेलकुद, व्यायाम, योग, चित्रकला, सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ-साथ अभिव्यक्ति क्षमता के विकास के लिए अंताक्षरी, गीत और नृत्य कार्यक्रम आयोजित किया जाता रहा है|
तकनीकी जानकारी देने लगाते है प्रदर्शनी
शिक्षक हरिश्चंद्र द्वारा बच्चों को कंप्यूटर सम्बंधित तकनीकी ज्ञान देने के लिए लिए कबाड़ से जुगाड़ के अंतर्गत खराब और अनुपयोगी की-बोर्ड, माउस, मॉनीटर, सीपीयू इत्यादि को प्रदर्शनी के माध्यम से प्रत्यक्ष रूप से परिचित कराया जाता हैं|
बच्चों व शिक्षकों को मार्गदर्शन देने बनाया यूट्यूब चैनल
नवाचारी शिक्षक हरिश्चंद्र कुमार चौहान द्वारा बच्चों एवं शिक्षकों के मार्गदर्शन हेतु “Guddu Guruji” नाम से यूट्यूब चैनल भी बनाया गया है, जिसमें नियमित रूप से cgschool, Diksha, Teams-T, Udise इत्यादि विषय में शिक्षा संबंधी विडियो को मोबाईल फोन से ही बनाकर अपलोड किया जाता हैं|