November 21, 2024

लिपिक वर्गीय कर्मचारी के वेतन विसंगति सहित सात सूत्रीय मांगों को लेकर सौंपा गया ज्ञापन

बालोद। छत्तीसगढ़ लिपिक वर्गीय शासकीय कर्मचारी संघ जिला शाखा बालोद के द्वारा अपनी विभिन्न मांगों को लेकर 7 सूत्री ज्ञापन बिंदुओं के साथ कलेक्टर के नाम से ज्ञापन सौंपा गया जिसमें प्रमुख रूप से लिपिक वर्गीय कर्मचारी के वेतन विसंगति सहित विभिन्न समस्याओं को लेकर मांग रखी गई है। ज्ञापन के माध्यम से बालोद जिला के अध्यक्ष राजेश घोड़ेसवार ने बताया कि छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण से लिपिक संवर्ग के वेतनमान में निरंतर क्षरण को दूर करने तथा लिपिक वर्गी कर्मचारी के समान हितों का संरक्षण एवं लिपिक के हितों के लिए लिपिक संघ द्वारा निरंतर संघर्ष किया जा रहा है। वर्तमान में राज्य शासन द्वारा सभी वर्ग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के वेतन विसंगति का मामला निराकृत किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ शासन द्वारा लिपिक संवर्गों की वेतनमान की निराकरण करने हेतु उच्च स्तरीय समिति गठित की गई है। समिति द्वारा अनुशंसित अनेक संवर्गों के वेतनमानों का उन्नयन कर निराकरण किया गया। किंतु जिस संवर्ग लिपिक के लिए समिति का गठन किया गया समिति द्वारा अनुशंसा के पश्चात भी लिपिकों के वेतनमानों में उन्नयन नहीं किया गया है lउक्त समिति द्वारा जिन संवर्गों के वेतनमान के उन्नयन के लिए अनुशंसा नहीं भी की गई थी उन संवर्गों के वेतनमानों का उन्नयन शासन द्वारा किया जा चुका है। जिसके कारण लिपिक संवर्ग में कुंठा एवं निराशा का वातावरण है।

ज्ञापन के माध्यम से विभिन्न डाटा भी पेश किए गए जिसमें वेतन विसंगति नजर आ रही है।साथ ही समस्याएं भी बताई गई । संघ के अध्यक्ष राजेश कुमार घोड़ेसवार, जिला सचिव अश्वनी नायक, महिला प्रकोष्ठ जिला सचिव रजनी वैष्णव, रत्ना ठाकुर, केके रामटेक, एके उके, एमके चंद्राकर, महेश पिस्दा ,देवलाल निषाद, रविकांत यादव, संतोष देशमुख, सचिन शर्मा, विष्णु राम साहू टीएस देशमुख सहित अन्य लिपिको ने बताया कि शासकीय कार्यालय में लिपिक के कार्य विभिन्न प्रकार के होते हैं। महत्वपूर्ण अभिलेख भी लिपिक पास शासकीय धरोहर के रूप में होते हैं। राष्ट्रीय महत्व के कार्य जैसे निर्वाचन, जनगणना आवश्यक योजनाओं के दस्तावेज भी लिपिक के संरक्षण में होते हैं। जिसकी गोपनीयता की जिम्मेदारी भी लिपिक की होती है। लिपिक को अपने कार्य से संबंधित कानून एवं नियमों का पर्याप्त ज्ञान होना आवश्यक है। लिपिक प्रशासनिक ढांचे की प्रथम सीढ़ी है। जिसका अनुत्तरदायी होना पूरे प्रशासन के लिए सही नहीं कहा जा सकता है। किसी प्रकरण का निर्धारित समय एवं उचित निपटारा लिपिक की सक्षमता एवं कार्य की गति पर निर्भर करता है। जिसका सीधा प्रभाव विभाग की प्रशासनिक क्षमता पर पड़ता है। इसके बावजूद शासन प्रशासन उनकी मांगों को नजर अंदाज करती है। जो उचित नहीं है। संघ के द्वारा लिपिकों के वेतनमान में परिवर्तन, लिपिकों की परीक्षा अवधि समाप्त करने, विभागीय सेटअप का पुनरीक्षण करने, विभागीय परीक्षा प्रारंभ करने , लिपिकों के कार्य एवं दायित्वों का निर्धारण करने आदि मांगे भी रखी गई।

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