।। बरा सोंहारी रांध के पितर मनावत हस।।
छानी के ओरवाती ल लिप बहार के।
पिड़वा के आसन म,लोटा मुखारी डार के।।
अब का सुग्घर तोरई फूल चघावत हस।
बरा सोंहारी रांध के,पितर मनावत हस।।
बासी संग म कभू आमा चानी नइ दे।
जियत म एक लोटा,कभू पानी नइ दे।।
पांच पसर पानी देके,अब का पुन कमावत हस।
बरा सोंहारी रांध के,पितर मनावत हस।।
दाई ददा के मया ल,कभू पहिचानेस नही।
दुःख पीरा ल,कभू ओखर जानेस नही।।
कऊवा ल काबर अब ददा बतावत हस।
बरा सोंहारी रांध के,पितर मनावत हस।।
करू बोली बोल के,जिंनगी भर रोवा डारे।
पाप ल तुहर गंगा जल,सींच के धोवा डारे।।
अब का श्री नारायण के कथा सुनावत हस।
बरा सोंहारी रांध के,पितर मनावत हस।।
लोकनाथ यादव
ग्राम,दानी कोकड़ी धमधा
जिला दुर्ग छत्तीसगढ़
मो. 6267741572