आखिरी उम्मीद की प्रेरणा देती है टेकापार के मंगेश्वर ठाकुर के मिलने की मार्मिक कहानी, तेलंगाना के अनजान मुस्लिम लोगों ने की उनकी मदद, पहुंचाया परिजनों तक
ईशा फाऊंडेशन कोयंबटूर में शिवरात्रि में शामिल होने गया टेकापार का युवक, 8 महीने से था लापता, परिजनों ने लगाई थी छग सरकार से ढूंढने की गुहार, आचार संहिता भी बन गई थी ढूंढने में बाधा
बालोद। बालोद जिले के बालोद ब्लाक के ग्राम टेकापार का रहने वाला एक युवक मंगेश्वर ठाकुर लगभग 8 महीने पहले 14 मार्च से लापता था। जो अब मिल गया है। मंगेश्वर की बहन केसरी ठाकुर ने भाई को ढूंढने की गुहार छत्तीसगढ़ सरकार सहित स्थानीय पुलिस प्रशासन से लगाई थी। तत्कालीन चुनाव के समय आचार संहिता की वजह से भी पुलिस प्रशासन की टीम उसके भाई को ढूंढने नहीं जा पा रही थी। तो स्वयं केसरी ठाकुर कोयंबतूर में अपने भाई को ढूंढने गई थी। पर सफलता नहीं मिली थी । वहां के पुलिस थाने में गुमशुदा की सूचना भी लिखवाई गई थी। वक्त गुजरते रहा। बहन केसरी की शादी भी हो गई। इधर इस आश में माता-पिता की आंखें भी पथरा गई की कभी उनका बेटा वापस आएगा। कहते हैं भगवान के घर देर है अंधेर नहीं और शायद वैसा ही हुआ। जीवन में कभी भगवान पर भरोसा और उम्मीद का दामन नहीं छोड़ना चाहिए, यह सीख मंगेश्वर की मार्मिक कहानी देती है। 8 महीने से जिस भाई की कहीं कोई खबर नहीं आ रही वह अब सही सलामत घर पहुंच रहा है। तेलंगाना के मुस्लिम सरपंच और उनके साथियों ने मंगेश्वर को सही सलामत उनके भाई तक पहुंचा दिया है। जल्द ही अब वह अपने घर टेकापार पहुंच जाएगा।
क्या है मामला
जानकारी अनुसार वह तमिलनाडु के कोयंबटूर में स्थित ईशा फाउंडेशन में होने वाले महाशिवरात्रि मेले में शामिल होने गया था। जहां से वह लापता हो गया था। इसकी खोजबीन के लिए बहन केसरी ठाकुर सहित अन्य परिजन भी फाउंडेशन स्थल पर जाकर तलाश कर चुके थे। तो वहीं स्थानीय थाने में रिपोर्ट भी दर्ज कराई गई थी। छत्तीसगढ़ सरकार सहित बालोद पुलिस प्रशासन से भी उनके भाई की खोजबीन की मांग उठ रही थी। लेकिन किसी की ओर से सार्थक प्रयास नहीं दिखाई दे रहा था सिर्फ आश्वासन मिल रहा था। भाई इस दुनिया में है या नहीं इस बात की भी पुष्टि नहीं हो पा रही थी।
मानसिक स्थिति बिगड़ने से हुआ था लापता
ऐसे में फिल्मी कहानी की तरह 8 महीने बाद आखिर मंगेश घर वालों को मिल गया। मंगेश्वर की मानसिक स्थिति थोड़ी खराब होने की बात भी सामने आई है। ईशा फाउंडेशन के महाशिवरात्रि मेले में जाने के बाद से उसकी मानसिक स्थिति बिगड़ी थी। जिसके बाद उसे ज्यादा कुछ याद नहीं रहा और वह रास्ता भटक गया। भटकते भटकते वह कोयंबटूर से निकलकर तेलंगाना की ओर आ पहुंचा। कुछ आसामाजिक तत्वों ने उससे मोबाइल पैसे सहित अन्य सामान तक भी छीन लिए थे।
भटकते हुए मुस्लिम समाज के एक दावत कार्यक्रम तक आ पहुंचा
लोगों की दुत्कार और तिरस्कार झेलते मंगेश्वर जैसे-तैसे भटकते हुए हैदराबाद से 120 किलोमीटर दूर तेलंगाना के ग्राम पंचायत दादापुर, डोमा मंडल, जिला विक्राबाद आ पहुंचा। जहां पर मुस्लिम समुदाय के तहत दावत का कार्यक्रम चल रहा था। लोगों को खाना खिलाया जा रहा था। इस बीच मंगेश्वर भी वहां आया। लोगों ने उसकी हालत देखकर उसकी मदद की इच्छा के साथ उसे खाना खिलाया। यहां के सरपंच अब्दुल गफ्फार सहित उनके साथियों ने मंगेश्वर से पूछताछ कर उसके घर वालों का पता लगाने की कोशिश की। उसे ज्यादा कुछ याद नहीं था।
याद था बंद हो चुका पुराना मोबाइल नंबर, उसी के जरिए घर वालों का चला पता
एक पुराना मोबाइल नंबर उसे पता था। उस नंबर को ट्रूकॉलर पर सर्च किया गया और नियर बाय सर्च करके एक बालोद जिले के ट्रैवल एजेंसी का नंबर पता किया गया। जिससे फिर टेकापार के मंगेश्वर के ही पड़ोसी का नंबर मिल गया और बात घर वालों तक पहुंची । फिर उनके भैया विशाल ठाकुर जो दंतेवाड़ा पुलिस में पदस्थ हैं, का नंबर लेकर सरपंच अब्दुल गफ्फार ने वीडियो कॉल के जरिए बात की और मंगेश का चेहरा दिखाया।
आठ महीने से लापता भाई को वीडियो पर देख भावुक हो गया बड़ा भाई विशाल
8 महीने से लापता भाई की हालत और हुलिया/चेहरा काफी बदल चुका था। वीडियो कॉल पर अपने भाई को इस हालत में देखकर और सुरक्षित पाकर विशाल भावुक हो उठा। उन्होंने कहा कि वह दंतेवाड़ा पुलिस में है । उनके भाई को दंतेवाड़ा तक पहुंचाने में मदद कर दीजिए। सरपंच सहित उनके साथियों ने इस मदद के लिए तत्काल हामी भरी। मंगलवार 12 नवंबर को मंगेश्वर उनसे मिला था। रात को करीब 3 बजे नंबर जुगाड़ कर वीडियो कॉल के जरिए उसकी भाई से बात कराई गई फिर दूसरे ही दिन करीब 650 किलोमीटर का कार से सफर तय करके मंगेश्वर को दंतेवाड़ा में उनके भाई विशाल से मिलवाया गया।
दंतेवाड़ा पुलिस सहित बड़े भाई ने तेलंगाना के सरपंच और साथियों को दिया ₹10000 इनाम राशि
जहां पर सरपंच सहित उनके साथियों के इस प्रयास की दंतेवाड़ा पुलिस ने सराहना की और प्रोत्साहन/ ईनाम राशि भी उन्हें 10000 रुपए भेंट की गई। तेलंगाना के दादापुर, डोमा, जिला विक्राबाद के सरपंच अब्दुल गफ्फार, मोहम्मद सद्दाम, बी. चेनाई, के. महेश, सी. मलेश. के द्वारा मंगेश्वर को लाया गया। 8 महीने से लापता भाई मंगेश्वर अब सही सलामत अपने बड़े भाई विशाल तक पहुंच गए हैं। इधर मंगलवार को भाई के मिलने की खबर बहन केसरी ठाकुर ने बालोद थाने में जाकर दी। वर्तमान में दंतेवाड़ा में मंगेश्वर का इलाज चल रहा है। वह काफी कमजोर हो चुका है। उसकी मानसिक स्थिति भी थोड़ी ठीक नहीं है । हालांकि पहले से काफी सुधार आ रहा है। याददाश्त पर कुछ असर पड़ा है। धीरे-धीरे वह लोगों को पहचान रहा है। उम्मीद कर रहे हैं कि जल्दी सब ठीक हो जाएगा।
आपबीती: धक्के , ठोकर खाता भूख से तड़पते भटक रहा था,,,,
मंगेश्वर ने अपनी आप बीती में विशाल ठाकुर अपने बड़े भैया को बताया कि ईशा फाउंडेशन के महाशिवरात्रि मेले में शामिल होने के बाद उसे ज्यादा कुछ याद नहीं कि उसके साथ क्या हुआ था। उसकी मानसिक स्थिति अचानक से बिगड़ गई और वह सब कुछ भूल सा गया ।अपने आप इधर-उधर चलने लगा। अकेला पाकर कुछ लोगों ने उनके साथ शायद लूटपाट भी की। उसका मोबाइल पैसे सब छीन कर ले गए। वह भटकते भटकते कोयंबटूर से हैदराबाद की ओर आ गया। दर-दर की ठोकर खाता रहा। कोई तरस खाकर उसे खाना देता था तो कोई दुत्कार देता था। कुछ जगह पर वह छोटा-मोटा काम तक भी करने लगा था। उसकी मानसिक स्थिति दिनोंदिन बिगड़ती जा रही थी। उसे उम्मीद भी नहीं थी कि वह कभी अपने लोगों तक पहुंच पाएगा बस याद था तो एक घर का मोबाइल नंबर जो की बंद भी हो चुका था। पर तेलंगाना के दादापुर पंचायत के सरपंच अब्दुल गफ्फार खान ने सूझबूझ के साथ बंद हो चुके मोबाइल नंबर के जरिए भी ट्रूकॉलर और इंटरनेट/ गूगल का इस्तेमाल करते हुए बालोद छत्तीसगढ़ के एक ट्रैवल एजेंसी का नंबर जुगाड़ कर उनके घर वालों का पता लगा लिया और वीडियो कॉल से इसकी पुष्टि भी हो गई। अंततः अब मंगेश्वर सही सलामत अपने घर आ जाएगा। मंगेश्वर को अभी याद भी नहीं है कि उसकी बहन की शादी हो चुकी है। अभी भी वह यही बात करता है कि मेरी बहन की शादी होने वाली है। घर जाकर उसकी शादी में शामिल होना है। उसे महीने भी अभी याद नहीं है। धीरे-धीरे उसकी याददाश्त वापस लाने और पुरानी बातें याद कराने की कोशिश उनका बड़ा भाई विशाल ठाकुर कर रहा है। तो वही उनके भाई को सुरक्षित पहुंचाने के लिए मंगेश्वर के बड़े भैया सहित उनके परिवार वालों ने तेलंगाना के लोगों का आभार जताया।