गोबर से 31 प्रकार के पेंट बना रही है यहां की महिलाएं, सात लाख की हो चुकी बिक्री, लाखों आमदनी भी कमा चुकी
बरही की गोबर पेंट इकाई बनी बालोद जिले में मिशाल, दूसरी समूहों को भी दे रही है यहां की महिलाएं प्रशिक्षण
बालोद। इस साल 28 जनवरी से शुरू हुए बरही के गौठान में संचालित गोबर पेंट इकाई जिले में अपनी अलग पहचान बना चुकी है। जहां खुद पहले यहां के गौठान में महिलाओं ने बाहर से आए टीम से प्रशिक्षण प्राप्त कर अपने करियर की नई शुरुआत की। आज वही महिलाएं दूसरे के लिए प्रेरणास्रोत बन बैठी है। दूसरे स्व सहायता समूह को भी ट्रेनिंग दे रही है। गुरूर और गुंडरदेही क्षेत्र में जिला प्रशासन द्वारा गोबर पेंट का यूनिट खोलने की तैयारी की जा रही है। जिसके तहत यहां की समूह की महिलाओं को अन्य ब्लॉक की महिलाओं को ट्रेनिंग देने के लिए आमंत्रित किया जाता है। खपराभाट डौंडीलोहारा, साल्हे डौंडी में बरही की महिला समूह के द्वारा ट्रेनिंग दिया जाता है। जो अपने आप में बड़ी बात है। जहां महिलाएं पहले खुद सीखी और अब इस स्व रोजगार को दूसरी महिलाओं तक फैला रही है और गोबर से पेंट बनाने का तरीका समझा रही है। वर्तमान में यहां 31 तरह के रंग के पेंट तैयार किए जा रहे हैं। समूह के सभी सदस्य द्वारा मशीन से पेंट तैयार किया जा रहा है। उन्हें अब काफी अनुभव हो गया है और यहां जुड़ कर लाखों रुपए की आमदनी भी कमा चुकी है। लगभग 6 महीने में सात लाख से ज्यादा के गोबर पेंट महिलाओं ने बेचे हैं।
महिला समूह के अध्यक्ष शैल कुमारी सिन्हा का कहना है कि वे डेढ़ लाख की आमदनी अर्जित कर चुकी है। जिसको वे अपने अकाउंट में रखी हुई है और समय आने पर वह उन पैसों की स्कूटी खरीदने की इच्छा जाहिर करते हैं। उन्होंने इस यूनिट के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का भी आभार जताया । लगातार बरही का यह गोबर पेंट यूनिट दूसरों के लिए एक रोल मॉडल बना हुआ है। और बाहर के समूह वाले भी यहां का निरीक्षण करके गतिविधि को सीखने के लिए आते रहते हैं।
जिले का है ये पहला यूनिट
ग्राम बरही में बालोद जिले का पहला गोबर से प्राकृतिक पेंट बनाने का यूनिट चल रहा है। यूनिट के उद्घाटन होने के बाद से लगातार यहां की 12 महिलाओं ने इस यूनिट का जिम्मा संभाल रखा है। जो लगातार गोबर से प्राकृतिक पेंट बनाने में जुटी हुई है। स्वयं जिला प्रशासन भी इस प्रोजेक्ट को बढ़ावा दे रहे हैं। यहीं के बने गोबर पेंट से कलेक्टोरेट सहित अन्य सरकारी भवनों की भी पुताई की जाती है. मां गौरी स्व सहायता समूह की महिलाएं यह पेंट बना रही हैं। पूरी यूनिट में लगभग 40 लाख की लागत आई है। काम को गति देने के लिए महिलाओं ने कुछ कर्ज भी लिए हैं तो कुछ राशि शासन से भी मिले हैं।
ऐसे बनता है गोबर से पेंट
100 किलो गोबर और 100 लीटर पानी को मिलाकर 120 लीटर सीएमसी यानी कारबोक्सी मिथाइल सेल्यूलोज का निर्माण किया जाता है और इनमें फिर मशीनीकरण से प्राकृतिक पेंट तैयार किया जाता है। इमल्शन पेंट बनाने के लिए 20 लीटर सीएमसी से 100 लीटर पेंट तैयार हो जाता है। पेंट का रेट 225 रुपए प्रति लीटर के साथ 18 प्रतिशत जीएसटी है।
पांचवी से स्नातक तक पढ़ी महिलाएं संभाल रही जिम्मा, आर्थिक स्थिति सुधर रही
महिलाओं द्वारा गोबर से पेंट तैयार करने का काम यूनिट में बखूबी ढंग से संचालित किया जा रहा है। समूह में 12 महिलाएं जुड़ी हुई। जो पांचवी से स्नातक तक पढ़ी हुई है। अधिकतर गरीब और मध्यम वर्ग की रोजी मजदूरी करने वाली महिलाएं हैं। जो यहां अपना नया भविष्य गढ़ रहीं हैं। समूह अध्यक्ष शैल कुमारी सिन्हा स्नातक तक पढ़ी हुई है। जो प्रबंधन का काम भी देखती हैं। इसके अलावा मंजू मंडावी,लता बाई, पूर्णिमा बाई,लता बाई साहू, अमरावती, रीना निर्मलकर, खीर बाई, डीलेश्वरी यादव, कीर्ति निर्मलकर, मोहनी, सुनीता सिन्हा भी जुड़े हुए हैं। एक मशीन ऑपरेट करने के लिए महिलाओं ने अपने खर्च पर एक युवक को काम पर भी रखा है। गोबर से कैसे पेंट बनाया जाएगा इसके लिए रायपुर जरवाय की टीम द्वारा उन्हें प्रशिक्षण भी दिया गया है।
28 जनवरी से इस यूनिट का शुभारंभ किया गया है। यूनिट में काम करने वाली महिलाओं का मानना है कि महिलाएं ठान ले तो हर काम मुमकिन है.यहाँ उन्हें काफी कुछ सिखने को मिलता है. कभी सोंचे नहीं थे कम पढ़े लिखे भी आज इस मुकाम पर होंगे. महिलाओं ने कांग्रेस सरकार की रीपा योजना को भी सराहा जिसके जरिए उन्हें आर्थिक स्थिति सुधारने का नया प्लेटफार्म मिला. बरही की रहने वाली जिला पंचायत सभापति धनेश्वरी नरेंद्र सिन्हा भी उन्हें मार्गदर्शन करती रहती हैं. वहीं कलेक्टर कुलदीप शर्मा का कहना है कि प्राकृतिक पेंट से पर्यावरण के रक्षा के साथ-साथ अन्य पेंटों के निर्माण में प्रयुक्त रासायनिक पदार्थों से होने वाले दूष्प्रभाव से रक्षा भी करेगी। उन्होंने कहा कि इस प्राकृतिक पेंट का मूल्य भी बाजार में मिलने वाली अन्य पेंटो से कम है। प्राकृतिक पेंट का उपयोग हम सभी शासकीय कार्यालयों के रंगाई-पोताई में करते हैं। बरही गौठान में प्राकृतिक पेंट इकाई की स्थापना होने से बरही एवं आसपास के गाॅव के लोगों को पेंट खरीदने के लिए बरही से बाहर नहीं जाना पड़ता है। इस पेंट के उपयोग से किसी प्रकार की हानि नहीं होती तथा बरही में प्राकृतिक पेंट इकाई के निर्माण होने से ग्रामीणों को रोजगार भी मिला है। दूसरे ब्लॉक में भी अब इस तरह के यूनिट लगाए जा रहे।