मानव निर्माण का केंद्र है सरस्वती शिशु मंदिर संस्थान, शिक्षा कहीं भी मिलेगी, लेकिन संस्कार सिर्फ यहां,,


बालोद। विद्या भारती से संबद्ध सरस्वती शिशु पूर्व. मा. विद्यालय कोबा के तत्वाधान में दस दिवसीय नवीन आचार्य प्रशिक्षण कोबा में हुआ।

जिसका समापन शनिवार की रात्रि में सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ हुआ।

वहीं रविवार को सुबह दीक्षांत समारोह के साथ जिलेभर से आए 50 प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाण पत्र भी वितरित किया गया। नवीन आचार्यों को बौद्धिक एवं शारीरिक रुप से दक्ष बनाने हेतु 10 दिवसीय पूर्णतः आवासीय जिला स्तरीय नवीन आचार्य प्रशिक्षण वर्ग का आयोजन किया गया था। समापन के मुख्य अतिथि जागृत सोनकर (अध्यक्ष जनपद पंचायत डौंडीलोहारा ) थे।

अध्यक्षता यामिनी कोठारी (सरपंच ग्राम पंचायत कोबा) ने की। विशेष अतिथि पार्वती नायक (सरपंच ग्राम पंचायत बुन्देली), महेन्द्र देशमुख (समिति प्रबंधक पापरा)
संजय दुबे (अध्यक्ष माँ दन्तेश्वरी शिक्षण समिति दुधली), जीवन लाल कोटेन्द्र (शिक्षक) अनिल रावटे (ग्राम पटेल कोबा), गिरीश निर्मलकर

( सरपंच ग्राम पंचायत द. नवागांव) संत कुमार साहू (शिक्षा विद) थे। समस्त अतिथियों ने सरस्वती शिशु मंदिर के संस्कारों की शिक्षा के संबंध में सराहना की और कहा कि आज शिक्षा तो कहीं भी मिल सकती है लेकिन संस्कार हर जगह नहीं मिलते।

सरस्वती शिशु मंदिर में जो संस्कार दिए जाते हैं उससे कहा जाता है कि यहां इंसानों का निर्माण होता है। लोगों के दिल दिमाग में मानवता भरने का काम इस संस्थान में होता है। बच्चे जो देश के भविष्य होते हैं उन्हें कैसे संस्कारों से हम एक बेहतर इंसान बना सकते हैं इस दिशा में काम सरस्वती शिशु मंदिर में किया जाता है। इसके लिए जरूरी है कि वहां पर पढ़ाने वाले शिक्षकों का स्वभाव कैसा हो? इस बात को ध्यान में रखते इस प्रशिक्षण में उन्हें जीवन के विभिन्न गतिविधियों से जोड़कर प्रशिक्षण दिया गया। आयोजन में प्रधानाचार्य विष्णु प्रसाद सिंघारे ,अध्यक्ष ढालसिंह साहू एवं समस्त स्टाफ सरस्वती शिशु मंदिर कोबा और ग्रामीणों का सहयोग रहा।