November 23, 2024

Big News- हाई वोल्टेज ड्रामे के बाद भी पुलिस और प्रशासन की मौजूदगी में जगन्नाथपुर में हटाया गया अवैध कब्जा, देखिये वीडियो, कैसे विरोध में बैठी रही महिला तो पुलिस उठा के ले गई, पढ़िए पूरा मामला, दिन भर रहा गहमागहमी माहौल, ग्रामीण कब्जा हटवाने की जिद पर अड़े रहे

बालोद। बालोद ब्लॉक के ग्राम जगन्नाथपुर में लगभग 10 साल पुराने गलत तरीके से आबादी वितरण का विवाद इतना बढ़ेगा, यह किसी ने नहीं सोचा था। एसडीएम कोर्ट से केस खारिज होने के बाद गांव के कुछ लोगों द्वारा सरकारी जमीन पर रातों-रात कब्जा किया जा रहा था।जिससे अन्य ग्रामीणों में नाराजगी थी। इस नाराजगी के चलते ग्रामीणों ने मोर्चा खोलते हुए शासन प्रशासन से कार्रवाई की मांग की। सरपंच अरुण साहू के नेतृत्व में सोमवार को ग्रामीण बड़ी संख्या में कलेक्टोरेट पहुंचे।

जहां अपर कलेक्टर से मिलकर इस गड़बड़ी पर रोक लगाने की मांग की गई। अपर कलेक्टर एके वाजपेई ने कहा कि हम स्टे आर्डर दे देते हैं। बाकी अतिक्रमण हटवाने का काम पंचायत खुद कर सकते हैं। मामले की जानकारी मिलने के बाद पूर्व विधायक भैया राम सिन्हा भी वहां पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि अतिक्रमण हटवा देते हैं। बाकी कार्रवाई प्रशासन करती रहेगी। फिर क्या था मामला बढ़ा और सरपंच, पंचायत प्रतिनिधि सहित अन्य ग्रामीण गांव आए और पंचायत के अधिकार क्षेत्र में अतिक्रमण हटाना शामिल होने के कारण सरपंच सहित ग्रामीणों ने मिलकर अवैध कब्जा धारियों को खदेड़ना शुरू कर दिया।

जहां जहां पर भी रातों-रात सरकारी जमीन, आबादी भूमि को कब्जा किया गया था, उन्हें वहां से हटाया गया। पहले तो उन्हें स्वेच्छा से हटाने तीन बार नोटिस दिया गया था। लेकिन किसी ने नोटिस स्वीकार नहीं किया। जिसके बाद पंचायत प्रशासन ने पुलिस व तहसीलदार रश्मि वर्मा की मौजूदगी में अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की। कुछ जगह कब्जाधारियों द्वारा विरोध किया गया एक महिला तो अतिक्रमण नहीं हटाने की जिद कर बैठ गई। उक्त महिला को पुलिस कर्मियों द्वारा बड़ी मुश्किल से से हटाया गया।

महिला द्वारा कहा गया कि मैं कब्जा नहीं हटाऊंगी। हटाना है तो खुद से हटा दो। जिसके बाद ग्रामीण महिलाएं ही उनके घर से सामान बाहर निकालने लगे तो वहीं पुरुष ईट गिराने लगे। देखते देखते अस्थाई रूप से बना मकान भी धराशाई हो गया और कब्जा हटाया गया।

कब्जा हट जाने के बाद महिला यह कहकर भी हंगामा करने लगी कि इस घर में मेरे ₹50000 थे। अगर वह चोरी हुआ या गुम हुआ तो कब्जा हटाने वाले जिम्मेदार होंगे, वह पैसा मुझे दे दो। जहां- जहां पर भी इस तरह का कब्जा किया गया था वहां पर पुलिस प्रशासन और पंचायत प्रशासन की टीम ने हटाने की कार्रवाई कर दी।

इस दौरान प्रमुख रुप से थाना प्रभारी जीएस ठाकुर सहित अन्य अमला पहुंचा था। जो अतिक्रमणकारियों को चेतावनी भी देती रही कि कब्जा हटा दो वरना बड़ी कार्रवाई हो सकती है। प्रशासन द्वारा कब्जा हटाने के साथ-साथ उनके सामानों की जब्ती भी बनाई गई। जो कब्जा स्थल पर रखा गया था। कई लोगों के तार घेरा और अन्य सामान भी जब्त हुए। यहां तक कि जो मकान बनाने रेत गिट्टी रखे गए थे उन्हें भी जेसीबी के जरिए समेटकर पंचायत ने जब्त करवा दिया।

गांव में बिगड़ रहा था महज इसलिए कार्रवाई जरूरी

सरपंच अरुण साहू ने कहा कि लगातार आबादी भूमि व अन्य प्रयोजन के लिए सुरक्षित रखे गए भूमि पर लोग मनमाने तरीके से कब्जा कर रहे थे। इससे गांव का माहौल बिगड़ रहा था। अगर कार्रवाई न होती तो बलवा जैसी स्थिति बन जाती। लगातार अन्य ग्रामीण इसका विरोध कर रहे थे। प्रशासन से हम मांग कर रहे थे कि कब्जा हटाया जाए। जो पुराना केस चल रहा है उस पर भी स्टे आर्डर दिया जाए। पहले तो ग्राम पंचायत के नेतृत्व में कलेक्ट्रेट जाने के लिए निकले लेकिन पूरी भीड़ को तिराहे पर ही रोक दिया गया। वहां पर प्रशासन सुलह कराने का प्रयास करती रही। फिर पूर्व विधायक भैया राम सिन्हा भी मौके पर पहुंचे ।जिसके बाद तय हुआ कि प्रमुख ग्रामीण मिलकर जिला प्रशासन से चर्चा करने के लिए जाएंगे। कलेक्ट्रेट पहुंचकर अपर कलेक्टर को पूरे मामले से अवगत कराया गया।

एसडीएम कोर्ट में केस हुआ है खारिज, सिविल कोर्ट में कर सकते हैं अपील

मामले की पूरी फाइल पढ़ने के बाद अपर कलेक्टर ने भी तर्क दिया कि यह एसडीएम कोर्ट का फैसला है। जिसमें उन्होंने केस को खारिज किया है और सलाह भी दिया है कि सिविल कोर्ट में मामला अपील कर सकते हैं। उन्होंने सरपंच सहित ग्रामीणों को सलाह दी कि वकील के माध्यम से विधिवत स्टे के लिए आवेदन लगाइए। हम स्टे आर्डर दे देते हैं। बाकी अतिक्रमण पंचायत स्तर पर हटाया जा सकता है। अपर कलेक्टर के इस आश्वासन के बाद पंचायत प्रशासन अलर्ट मोड पर आ गई और तत्काल गांव पहुंचकर पुलिस प्रशासन की अगुवाई में कब्जा हटाने की कार्रवाई शुरू हो गई। जब धीरे-धीरे कब्जा हटने लगा तो कुछ कब्जा धारी समान जब्ती के डर से खुद से ही कब्जा हटाने लग गए थे।

गलत ढंग से आबादी वितरण का है आरोप

सरपंच सहित गांव के जागरूक ग्रामीणों ने बताया कि 2009 में गांव के तत्कालीन सचिव शांतनु देशमुख, सरपंच सुंदर सिंह नागवंशी द्वारा गलत तरीके से आबादी पट्टा वितरण कर दिया गया है। जो परिवार सक्षम है, जिनके अधिकतम जमीन जायदाद हैं, उन्हें भी आबादी भूमि आवंटित कर दी गई है। जिसका विरोध उस समय से हो रहा है और मामला एसडीएम कोर्ट में लंबित था।

स्टे आर्डर के चलते उसी समय से आबादी वितरण पर रोक लगा दी गई थी। कुछ दिन पहले ही एसडीएम कोर्ट से इसमें यह निर्णय सामने आया कि यह शिकायत आवेदन था जो प्रचलन योग्य नहीं है। इसलिए इसे दोनों की तरफ से खारिज किया जाता है और उभय पक्ष यानी दोनों पक्ष सिविल कोर्ट में इस मामले को ले जा सकते हैं। एसडीएम द्वारा दिए आदेश से स्पष्ट है कि इस केस में ना किसी की हार हुई है ना किसी की जीत हुई है। मामला राजस्व से संबंधित होने के कारण इसे सिविल कोर्ट में ले जाने की सलाह दी गई है। लेकिन कब्जा धारी केस जीत लेने की बात मानकर रातों-रात जमीन पर कब्जा कर रहे थे। जिसे गांव का माहौल खराब होने लगा था।

झलमला तिराहे पर भी होता रहा हंगामा

बता दे जब जगन्नाथपुर के ग्रामीण बड़ी संख्या में कलेक्टोरेट जाने के लिए निकले तो अफसर यह समझ गए कि वह घेराव करने की तैयारी कर रहे हैं। लेकिन वे सिर्फ अपनी बात रखने जा रहे थे। क्योंकि कोरोना के चलते कलेक्ट्रेट में भीड़ ले जाना भी प्रतिबंध था। इसलिए प्रशासन तुरंत अलर्ट होकर उन्हें झलमला तिराहे पर ही रोकने के लिए पहुंच गया। वहां पर भी ग्रामीण आज के आज कब्जा हटाने के लिए अड़े रहे और हंगामा करते नजर आए।

ग्रामीणों के आगे प्रशासन को भी झुकना पड़ा और टीआई जीएस ठाकुर, तहसीलदार रश्मि वर्मा सहित अन्य मौजूद अमले के बीच पंचायत प्रशासन ने अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए अतिक्रमण हटवाया और ग्रामीणों ने भी साथ दिया। ग्रामीण खुद ही मिलकर अवैध कब्जा तोड़ने के लिए भीड़ गए। जहां जहां पर भी बांस बल्ली और तार का घेरा लगाया गया था, उन्हें उखाड़ने लग गए ।देखते-देखते शाम तक जहां जहां पर आबादी भूमि में कब्जा किया गया था उसे हटाकर खाली कर दिया गया।

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