शिक्षक एलबी संवर्ग का असली सम्मान पूर्व सेवा अवधि की गणना कर प्रथम नियुक्ति तिथि से वेतनमान व पेंशन प्रदान करने से होगा- रुपेन्द्र सिन्हा

बालोद। नवीन शिक्षक संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष रुपेन्द्र सिन्हा ने बताया कि नवीन शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विकास सिंह राजपूत,टीचर्स एसोसियेशन के प्रदेश अध्यक्ष संजय शर्मा व शालेय शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र दुबे ने कहा पाँच सितंबर को राज्य शासन द्वारा प्रतिवर्ष शिक्षकों का सम्मान किया जाता है। जिसमें शिक्षक एलबी संवर्ग भी शामिल है। सामूहिक नेतृत्व निष्पक्ष बैनर के विकास सिंह राजपूत ,संजय शर्मा व वीरेंद्र दुबे ने कहा शिक्षक एलबी संवर्ग का शासन अगर सही में सम्मान करना चाहती है तो शिक्षक एलबी संवर्ग को पूर्व सेवा अवधि कि गणना कर प्रथम नियुक्ति तिथि से वेतनमान व पेंशन देने का जल्दी ही निर्णय ले। जिससे शिक्षक एलबी संवर्ग के वेतन विसंगति दूर हो सके व पूर्ण पेंशन का लाभ मिल सके। नवीन शिक्षक संघ के प्रदेश पदाधिकारी उमा जाटव,गिरीश साहू,दुष्यन्त कुम्भकार,, अमितेश तिवारी,रुपेन्द्र सिन्हा,संजय साहू,अजय कडव,प्रकाश चन्द कांगे,राजेश शुक्ला,बलविंदर कौर,नंदिनी देशमुख,ज्योति सक्सेना,गंगा शरण पासी,चन्द्र शेखर रात्रे,सतीश टंडन, अमित नामदेव, ब्रिज नारायण मिश्रा ने कहा कि वेतन विसंगति दूर करने व पूर्ण पेंशन शिक्षक एलबी संवर्ग को मिलने का एकमात्र उपाय पूर्व सेवा अवधि कि गणना ही है। जब तक पूर्व सेवा अवधि की गणना कर वेतनमान व पूर्ण पेंशन नहीं देते है तब तक शिक्षक एलबी संवर्ग का असली सम्मान नहीं हो सकता है। ज़िला पदाधिकारी छन्नूलाल साहू,वेदप्रकाश साहू,संजीव मानिकपुरी,अमीन बंजारे, नरेश चौहान,नरेश गुप्ता,रोशन मंसूरे,रमन शर्मा,अनुभव तिवारी,हरिकांत अग्निहोत्री,देवनाथ पटेल ने कहा राज्य में जब कोरोना जैसे भीषण संक्रामक रोग फैले हुए थे तब प्रदेश के शिक्षक एलबी संवर्ग अपने जान व सेहत के परवाह किये बिना प्रदेश के जनता की सेवा किया व ऑनलाइन क्लास, मोहल्ला क्लास, अंगना मे शिक्षा आदि माध्यम से विद्यार्थियों को पढ़ाई से जोड़े रखा। जिसका नतीजा शिक्षा विभाग को राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार मिला। अब राज्य सरकार को जल्दी ही पूर्व सेवा अवधि के गणना कर शिक्षक एलबी संवर्ग के वेतन विसंगति को दूर कर पूर्ण पेंशन देने का निर्णय लेना चाहिए। जिससे शिक्षक एलबी संवर्ग को स्कूल छोडकर सड़क पर उतरकर आंदोलन,धरना प्रदर्शन करने की आवश्यकता नहीं पड़े और स्कूलों में पढ़ाई व्यवस्था सुचारु रूप से अबाधित संचालित होता रहे।

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