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ऐसा प्यार कहां? पिता का बच्चों की तरह रखता है ख्याल,बेटा मनाता है उनका बर्थडे, रोज बच्चों की तरह देखभाल,,,

रोज पैरालिसिस पिता को नहलाते, खिलाते हैं बेटा, उनके बताए रास्ते पर चलकर परिवार भी संभाला

सार्थक मित्तल, दल्लीराजहरा/ बालोद। हर साल जून महीने के तीसरे रविवार को फादर्स डे मनाया जाता है। हमने भी कुछ ऐसे पिता पुत्र की कहानी सामने लाने की कोशिश की जो आज के समाज के लिए मिसाल और उदाहरण पेश करते हैं। जिससे प्रेरित होकर हमें भी अपने माता-पिता की सेवा में जुटना चाहिए। बात करेंगे दल्ली राजहरा के वार्ड 11 के रहने वाले विजय यादव पुत्र और पिता जयराम यादव की। बचपन में विजय को जिन हाथों ने पकड़कर चलना सिखाया, जिन्हें गोदी में खिलाया, जिन्होंने नहलाया, उनका हर जन्मदिन मनाया। आज वही बच्चा, पिता को भी बच्चा बना बैठा है । हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि आज 35 साल का बेटा अपने 58 साल के पिता को बेटे की तरह देखभाल कर रहा है। अपने पिता को नहलाना, खाना खिलाना आदि कई कार्य इस बेटे की रोजमर्रा में शामिल है। वह इसलिए क्योंकि इस बेटे का पिता चल नहीं सकता। वे लकवा (पैरालिसिस) के शिकार हैं। और यह परेशानी 2017 से झेल रहे हैं। लेकिन एक बेटा अपने पिता का सहारा बन कर उनकी सेवा कर रहा है। जो दूसरों के लिए प्रेरणा स्रोत है। पुत्र विजय यादव बताते हैं कि उनके पिता भी दल्ली के माइंस में वेल्डर थे लेकिन 2020 में उन्हें काम छोड़ना पड़ा। 2017 से उनकी तबीयत बिगड़नी शुरू हुई थी। उनका बायां पैर और हाथ काम नहीं करने लगा पैरालिसिस होने के कारण उन्होंने फिर 2020 में काम छोड़ दिया। विजय ने बताया 2009 से वे भी सर्विस इंजीनियर है और माइंस में ही काम करते हैं। पिता अब घर पर आराम करते हैं और उनकी सेवा और परिवार संभालने पुत्र काम करते हैं। हर साल पिता जयराम यादव का बर्थडे भी बकायदा केक काटकर विजय यादव सेलिब्रेट करते हैं ।फादर्स डे पर भी उन्होंने केक और मिठाई खिलाकर अपने पिता को बधाई दी ।

पिता ने दिखाया रास्ता- बोले हम यादव हैं पर तुम्हें अपनी पहचान कुछ और बनानी है

पिता के बारे में विजय यादव बताते हैं कि बचपन में गरीबी के कारण 10वी तक ही पढ़ पाए इसके बाद गैरेज में काम करने चले गए। उनके पिता कहते थे कि हम ठेठवार यादव हैं, चाहे तो मवेशी को चरा सकते हैं। लेकिन मैं चाहता हूं कि तुम कुछ और करो। अपनी अलग पहचान बनाओ। ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं थे फिर भी उन्होंने कुछ सीखने की ललक से कार गैरेज में काम करते हैं। मैकेनिक का काम सिखा धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगे और अलग-अलग जगह काम करते हुए सर्विस इंजीनियर के पद तक पहुंच गए। आज दल्ली राजहरा ही नहीं है कि बैलाडीला व अन्य खदानों में उन्हें काम करने के लिए बुलाया जाता है।

23 मई को मनाया 58 वा बर्थ डे

इस हालत में बेटे ने उनका साथ नहीं छोड़ा और उनकी सेवा करते हैं। फादर्स डे पर इस बेटे ने पिता के साथ केक काटकर खुशियां बांटी ।तो वहीं पिछले 23 मई को बेटे ने पिता का 58 वा जन्मदिन भी मनाया। बेटा विजय यादव ने कहा कि उनके पिता ने एक बात सिखाई थी कि जिंदगी में अनुभव से काफी कुछ हासिल कर सकते हैं । वह हालातों की वजह से दसवीं तक की पढ़ पाए लेकिन आज अपनी मेहनत की वजह से वह सर्विस इंजीनियर हैं यह सब उनके पिता के आशीर्वाद से है।

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