ओलावृष्टि से सेमरडीह के सभी किसानों की धान की फसल खराब, बालियां खेतों में झड़ी, पैरा बचा, देखिये तस्वीरें
डौंडीलोहारा – ग्राम सेमरडीह व आस-पास के गांव में शनिवार की शाम रात को हुई ओलावृष्टि से किसानों की फसल तबाह हो गई। जब दूसरे दिन सुबह किसान अपने खेतों का हाल जानने के लिए पहुंचे तो वे सर पकड़ लिए क्योंकि पकी हुई धान की फसल पूरी तरह से झड़कर मिट्टी में मिल गई और सब कुछ बर्बाद हो गया। किसानों ने कहा कि रात में गरज चमक के साथ काफी बारिश हुई। ओला भी बहुत गिरा और देखते देखते धान जो काटने के लायक हो गई थी वह पूरी तरह से झड़ गई। अब हमें कोई उत्पादन नहीं मिलेगा। गांव में लगभग ढाई सौ एकड़ खेत में धान की फसल ली जा रही है पर अब उत्पादन कुछ हासिल नहीं होगा।
अधिकतर खेतों में अब सिर्फ पैरा बचा है किसानों को उस वक्त आश्चर्य हुआ जब उन्होंने देखा कि ओलावृष्टि से फसल कहीं झुकी नहीं है फसल पूरी तरह से खड़ी है पर इस तरह से ओले से धान की पिटाई हो गई की बालियां झड़कर नीचे आ गई और सिर्फ पैरा ही बचा रहा। किसानों ने शासन प्रशासन से मुआवजे की मांग की है। गांव स्तर पर बैठक करके किन किसानों को कितने एकड़ में नुकसान हुआ है इसकी लिस्ट बनाकर कृषि विभाग को सौंपने की तैयारी कर रहे हैं तो वहीं किसानों में शामिल ग्रामीण सचिव चुन्नीलाल प्रीतम उपाध्यक्ष दूज राम साहू सरपंच भगवती बाई ग्राम पटेल चंद्रहास भूआर्य किसान मनोहर नायक कन्हैया निषाद हेमलाल धनेश्वर साहू ने बताया कि जब हमने मामले की जानकारी पटवारी को दी तो उनके द्वारा कहा गया कि ओलावृष्टि में मुआवजा नहीं मिलेगा। इससे किसान और निराश हुए। पर उन्हें उम्मीद है कि कृषि विभाग व सरकार इस पर ध्यान देगी और उन्हें मुआवजा दिलाया जाएगा। क्योंकि फसल को प्राकृतिक आपदा से नुकसान हुआ है। किसानों का कहना है कि रबी सीजन में कृषि विभाग की योजना के तहत फसल बीमा भी नहीं होती है इसलिए शासन को प्राकृतिक आपदा के तहत हमारे फसल नुकसान का आकलन करके मुआवजा दिया जाए ताकि कुछ राहत मिले। किसानों को इस फसल लगाने में जितनी लागत आई थी वह तो अब मिलना मुश्किल ही लग रहा है। क्योंकि अधिकतर खेतों में 70 से 80% तो कई जगह 90% तक बालियां झड़ गई है। सिर्फ पैरा बचा है। किसानों को इस ओलावृष्टि से काफी नुकसान हो गया। किसानों की मांग है कि जल्द से जल्द ही सर्वे करके उन्हें मुआवजा दिया जाए।