बालोद। गुंडरदेही के विधायक कुंवरसिंह निषाद ने गुंडरदेही विकासखंड के ग्राम पंचायत रुदा में स्वच्छ भारत मिशन अंतर्गत निर्मित फीकल स्लज ट्रीटमैंट प्लांट(FTSP) यानी मल कीचड़ उपचार संयंत्र का लोकार्पण किया। अपने संबोधन में विधायक ने क्षेत्रवासियों एवं ग्रामीणों के लिए इसे बड़ी उपलब्धि बताते हुए कहा कि इस प्लांट की कुल क्षमता 30 कि.ली./सप्ताह है जो कि एक प्राकृतिक आधारित समाधान है,ऐसे उपचारित स्लज का उपयोग बाग-बगीचे एवं कृषि कार्य मे किया जा सकता है।सूखे स्लज का उपयोग जैविक खाद के रूप में किया जा सकता है।
इस अवसर पर ब्लाक कांग्रेस कमेटी गुंडरदेही के अध्यक्ष भोजराज साहू,विधायक प्रतिनिधि तरुण पारकर,सागर साहू, सरपंच भगवान दास देशलहरे,पूर्व सरपंच जागेश्वर बारले,वेदराम टंडन,दिलीप बारले,अतिरिक्त सीईओ महेंद्र जांगड़े,दीनबंधु देशमुख,वीरेंद्र निषाद सहित प्लांट का संचालन करने वाले महिला स्वसहायता समूह के सदस्य एवं ग्रामवासी उपस्थित रहे।
क्या होता है ये तकनीक
फेकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट (FSTP) एक वर्मीफिल्ट्रेशन आधारित व्यापक और टिकाऊ तकनीकी समाधान है जिसे फेकल स्लज को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिए विकसित किया है। FSTP ठोस और तरल अपशिष्टों को अलग करके उन्हें वर्मीकम्पोस्ट और पानी में बदल सकता है, जिसका उपयोग बागवानी, फ्लशिंग और खेती जैसे गैर-पेय उपयोगों के लिए उचित उपचार के साथ किया जा सकता है।
शासन की है विशेष योजना
शहर से लेकर गांव को स्वच्छ सुंदर एवं प्रदूषण से मुक्ति दिलाने के लिए शासन ने यह पहल शुरू की है। फीकल सल्ज ट्रीटमेंट प्लांट के जरिये शौचालय टैंक के गाद से जैविक खाद बनाई जाएगी। अभी तक सेप्टिक टैंक के गाद को टैंकों में भरकर खुले में सड़क के किनारे गिरा दिया जाता है, जिससे जहां बड़े पैमाने पर पर्यावरण प्रदूषित होता है और भयंकर बीमारियां फैलती हैं। ट्रीटमेंट प्लांट से यहां आने वाली गंदगी को निस्तारित कर खाद बनाया जाएगा व पानी को साफ कर दूसरे प्रयोगों में लाया जाएगा। इससे बनने वाली गैस को प्लांट चलाने के लिए ईंधन के रूप में उपयोग किया जाएगा। बड़े पैमाने पर गैस बनने पर भविष्य में इसको रसोई गैस के रूप में भी उपयोग किया जा सकता है। इससे बनने वाली जैविक खाद किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं होगी। अन्य रासायनिक खादों की अपेक्षा यह जैविक खाद 20 गुने ज्यादा गुणकारी होगी। इस खाद को खेतों में डालने से एक तरफ जहां रासायनिक खादों के बढ़ते उपयोग से खेतों की छारीय क्षमता में वृद्धि हो रही है उससे किसानों को निजात मिलेगी।
पाटन से हुई थी इसकी शुरुआत
दुर्ग जिले के पाटन के ग्राम पंचायत पतोरा में 26 लाख लागत से प्रदेश के पहले ग्रामीण फिकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट में डि-स्लजिंग का कार्य की शुरुआत हुई है। यहां नगर निगम रिसाली और नगर पंचायत के अलावा ग्रामीण इलाकों के सेप्टिक टैंक खाली करने वाले वाहनों को डि-स्लजिंग कराया जा रहा है। 2 से 3 साल में सेप्टिक टैंक खाली कराना अनिवार्य किया जाएगा और सेप्टिक टैंक से निकलने वाले अपशिष्ट जल का सुरक्षित डि-स्लजिंग अनिवार्य किया जाएगा।
अपशिष्ट का किया जाएगा सुरक्षित निपटान
प्रत्येक 2-3 वर्ष मेे सेप्टिक टैंक खाली कराने व अपशिष्ट जल की डि-स्लजिंग फिकल स्लज ट्रिटमेंट प्लांट में ही अनिवार्यत: कराया जाना है। सेप्टिक टैंक खाली करने वाली शासकीय व निजी संस्थाओं को डि-स्लजिंग इसी प्लांट में कराया जाएगा। इसके अलावा शासकीय कार्यालयों व भवनों, शालाओं, आंगनबाड़ी केन्द्रों, सामाजिक भवनों आदि में निर्मित शौचालयों के सेप्टिक टैंक को 3 वर्षों में खाली कर सेंटर में सुरक्षित निपटान किया जाएगा।
जानिए क्या है उपयोगिता और भविष्य के लिए क्यों है जरूरी
डि-स्लजिंग के लिए शासकीय व निजी संस्थाओं के संपर्क के लिए व्यक्तियों के नाम, मोबाइल नंबर एवं निर्धारित शुल्क जारी किया जाएगा। शुल्क नामिनल रखा जाएगा। नगर निगम, नगर पालिका निगम, नगर पंचायत, जनपद पंचायत व ग्राम पंचायत फिकल स्जल के सुरक्षित निपटान के लिए जिम्मेदार रहेंगे।
खुले में बहाना प्रतिबंधित, होगी कार्रवाई
सेप्टिक टैंक से निकलने वाले अपशिष्ट जल को बिना ट्रिटमेंट किए मैदान, खेत, तालाब, नाली आदि खुले स्थानों में बहाया जाना प्रतिबंधित किया गया है। फिकल स्लज को खुले में बहाए जाने पर कार्रवाई भी की जाएगी। जल शक्ति मंत्रालय दिल्ली द्वारा फिकल स्लज मैनेजमेंट परियोजना पर कार्य करते हुए अब कई जिले में ऐसे प्लांट लगाए जा रहे। ग्रामीण क्षेत्रों में सेप्टिक टेंक साफ कराने के लिए ग्राम पंचायत को एक वाहन उपलब्ध करने की योजना है। जिसमें न्यूनतम शुल्क लेकर ग्रामों को सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।