रेडियो वाले गुरु जी के नाम से भी जाने जाते हैं तामेश्वर प्रसाद कौशल, बड़े मंचों पर करते हैं मंच संचालन
बालोद। आज शिक्षक दिवस पर हम झलमला के रहने वाले एक ऐसे शिक्षक की बात कर रहे हैं जिनका रूप तो एक है लेकिन काम अनेक है। शिक्षक तामेश्वर प्रसाद कौशल शिक्षा के साथ सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक क्षेत्र में भी विशेष कार्य कर रहे हैं। बढ़ती उम्र में भी उनकी कर्मठता, काम और दायित्व के प्रति तत्परता देखने को मिलती है। वे पूरी स्फूर्ति के साथ और लगन के साथ अपने उद्देश्यों की प्राप्ति में लगे हुए हैं। हाल ही में हुए सिवनी क्षेत्र के सपेरा बस्ती के बच्चों को शिक्षा के मुख्य धारा से जोड़ने के लिए भी प्रयास कर रहें हैं। साथ ही गरीब तबके के बच्चों को भी पढ़ाई या अन्य तरह की जरूरत पर आर्थिक मदद भी करते हैं। वनांचल क्षेत्र तालगांव व आसपास के इलाकों में भी ये गुरुजी समाज सेवक के रूप में जाने जाते हैं और जरूरतमंदों की समय-समय पर मदद करते आ रहे हैं। श्री कौशल भोला पठार मंदिर समिति के उपाध्यक्ष भी हैं। मंदिर के जरिए जुड़कर वे धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों को भी बढ़ावा देते हैं। हाल ही में उनके प्रयासों से भव्य कावड़ यात्रा का आयोजन भोला पठार में किया गया था। इसके पूर्व नवरात्रि के समय भी सम्मान समारोह का आयोजन उनके विशेष दिशा निर्देशन में हुआ । समय-समय पर भोलापठार में इस तरह के आयोजन करते रहते हैं और क्षेत्र की प्रतिभाओं को तराश कर उन्हें उचित मंचों पर सम्मान दिलाते हैं। खुद जामगांव बी मिडिल स्कूल में उच्च वर्ग शिक्षक के पद पर पदस्थ हैं। लेकिन एक शिक्षक होने के साथ-साथ में समाज सेवा, धार्मिक क्षेत्र और सामाजिक क्षेत्र में भी अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं। अपने महार समाज में वे जिला सचिव के पद पर भी सुशोभित कर रहें है और समाज सेवा में भी लगे हुए हैं। छोटे बच्चों से उनका विशेष लगाव देखते ही बनता है। जिस गांव में भी पढ़ाते हैं इसके अलावा आसपास के गांव में जब भी वे जाते हैं तो छोटे बच्चे उनके पास आ जाते हैं। उनसे विशेष लगाव के साथ मिलते हैं। बेटियों को बढ़ावा देने के लिए भी उनके द्वारा लगभग 3 साल से पहल जारी है ।
बेटियों की शादी 21 वर्ष करवाने के लिए चला रहे वनांचल में जागरूकता अभियान
शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला जामगांव विकासखंड बालोद में उच्च वर्ग शिक्षक के पद पर पदस्थ तामेश्वर कौशल एक अच्छे शिक्षक के साथ-साथ समाज सेवा में भी अग्रणी है। तो साथ ही उनकी बुलंद आवाज के चलते उन्हें “रेडियो वाले गुरु जी” के नाम से एक नई पहचान मिली है। यह नाम तब मिला जब कुछ साल पहले शिक्षकों की हड़ताल चल रही थी। हड़ताल सभा स्थल पर उन्होंने मनसंचालन, उद्बोधन किया। उनके आवाज के लोग इतने कायल हो गए कि शिक्षक संगठन ने उन्हें ये नाम दे दिया। ऐसा नहीं है कि उनमें अभिव्यक्ति की प्रतिभा हाल ही में उभरी है। वर्षों से वे एक राजनांदगांव के सांस्कृतिक संगठन से भी जुड़े हुए हैं और विभिन्न मंचों पर प्रस्तुति दे चुके हैं।वर्तमान में सांस्कृतिक लोक कला मंच धरोहर संस्कार धानी राजनादगांव के मंच संचालन का कार्य विगत 14 वर्षो से कर रहे हैं। गायकी की बात हो चाहे मंच संचालन में वे हमेशा आगे रहे हैं। शिक्षा के क्षेत्र में स्कूल के बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए हमेशा तत्पर रहे हैं। तो वही वनांचल क्षेत्र में लोगों को खासतौर से बेटियों की शादी की सही उम्र को लेकर जागरूक भी करते हैं। बेटियों की शादी 21 वर्ष में हो इसके लिए वे वनांचल क्षेत्र में “लाडली की लड़ाई, शादी बाद में, पहले पढ़ाई” नाम का अभियान भी चला रहे हैं।
“अभिव्यक्ति कौशल” में निपुणता ने दिलाई “तामेश्वर कौशल” को “रेडियो वाले गुरुजी” के रूप में पहचान
उनके मंच संचालन, अभिव्यक्ति कौशल की प्रतिभा को देखते हुए जिला प्रशासन द्वारा उन्हें जिला स्तरीय छत्तीसगढ़ी ओलंपिक के आयोजन के लिए मंच संचालन एवं ओलंपिक परेड करवाने का दायित्व भी सौंपा गया था। इसके पहले भी विभिन्न मंचों पर उन्हें संचालन की जिम्मेदारी दी जा चुकी है। तामेश्वर कौशल का मानना है कि वनांचल जहां शिक्षा का अभाव देखा जाता है ऐसे जगहों पर बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ के संदेश को एक सकारात्मक तरीके से प्रचारित करने की जरूरत होती है। जिसमें वे अहम भूमिका निभा रहे हैं। उनका मानना है कि वनांचल में आज भी लड़कियां कम उम्र में ब्याही जाती हैं। कई बार जल्दी शादी होने की वजह से बेटियों की आकांक्षाएं दबी रह जाती है और वे कुछ नहीं कर पाती और उनकी शादी हो जाती है। कई प्रतिभाशाली बच्चे होते हैं जो आगे पढ़ नहीं पाते। ऐसे में वे वनांचल में बेटियों और पालकों को भी जागरूक करने का प्रयास कर रहें हैं और उनके जरिए प्रधानमंत्री के नाम पत्र लिखवाकर कर उनकी पीड़ा व उनके सपनों को सरकार तक पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं। यह अपनी तरह का एक अनूठा प्रयास है। कोरोना काल में भी मोहल्ला क्लास के जरिए बच्चों की नियमित पढ़ाई करवाते रहे तो वहीं उनके कार्यशैली व व्यवहार शैली के बच्चे कायल हैं। स्कूल के बच्चे हो या गांव के उनसे प्यार से सब लिपट जाते हैं।