गोरेलाल सोनी, डौंडी। आदिवासी विकासखंड डौंडी के ग्रामीण अंचल के किसानों के कृषि भूमि में जलाशय से पानी पहुंचाने के लिए जलसंसाधन विभाग द्वारा नवनिर्मित माईनर नहर नाली निर्माण में बरती गई अनियमिताओं की पोल निर्माण के एक माह में ही पहली बरसात में खुलने लगी है । कार्य में ऐसा भ्रष्टाचार किया गया कि करोड़ों की लागत से बनाई गई माईनर नहर नाली जर्जर हो रही है। नवनिर्मित नहर नाली निर्माण में भारी अनियमितता बरती गई,जबकि नहर नाली में अभी डेम (बांध) का पानी भी नहीं छोड़ा गया है और माईनर नहर नाली अभी से जगह जगह टूटकर उखड़ गया है। ग्रामीण किसान शासन प्रशासन की ओर टकटकी लगाए बैठे है कि हमारी कृषि कार्य की सुविधा के लिए राशि तो स्वीकृत हो गई किंतु राशि का बंदरबाट कर गुणवत्ताहीन निर्माण कार्य की जांच कराकर निर्माण एजेंसी व विभागीय अधिकारी पर कोई ठोस कार्यवाही होगी तथा संधारण कार्य होगा। इस संबंध में संबंधित विभाग के जिम्मेदार अधिकारी और सब इंजीनियर गोलमोल जवाब देने में लगे हुए है। गौरतलब है कि जलसंसाधन विभाग डौंडी द्वारा क्षेत्र के ग्राम मरकाटोला तुलुपारा ( तुलुबांध ) डेम से दर्रीपारा गुदुम होते हुए आवारी नाला तक पांच किमी दूरी पर 2 करोड़ 48 लाख की लागत राशि से माईनर नहर नाली निर्माण कार्य इसी सत्र के गर्मी में ठेकेदार द्वारा पूर्ण कराया गया है। ग्रामीणों के अनुसार उक्त नहर नाली निर्माण कार्य एक महीना भी बीत नही पाया कि प्रथम बारिश से ही यह माईनर नहर नाली दर्रीपारा (गुदुम) से तुलुपारा जाते तक जगह जगह से टूटकर उखड़ गया है। जो कि निर्माण कार्य में डाली गई मटेरियल सामग्री में भारी अनियमितता बरते जाने की बात को स्पष्ट रूप से प्रदर्शित कर रहा है। वही भारी अनियमितता के चलते नवनिर्मित माईनर नहर नाली निर्माण पूर्णतः भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुका है। ग्रामीणों द्वारा संबंधित विभाग के उच्चाधिकारियों से इसकी निष्पक्ष जांच कराए जाने की मांग कर रहे हैं। चर्चा है कि करोड़ों का निर्माण कार्य आखिर इतनी जल्दी धराशाई कैसे हो गया। लोगों का कहना है कि ज्यादा कमीशन के चक्कर में ठेकेदार और संबंधित विभाग के जिम्मेदारों द्वारा साठगांठ कर लिया जाना प्रतीत लग रहा है। जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण जगह जगह से टूटे हुए माईनर नहर नाली निर्माण कार्य स्वत: दिखा रहा है। इस संबंध में निर्माण कार्य से संबंधित जलसंसाधन विभाग के सब इंजीनियर एस के ठाकुर से जानकारी लिए जाने पर उन्होंने कहा कि यह ठेका पांच साल तक ठेकेदार से अनुबंध रहता है। इस दौरान जो भी टुटफुट होगा उसे ठेकेदार बनाकर देगा, उन्होंने गांव वालो पर ही इसका ठीकरा फोड़ते हुए कहा कि गांव वालो ने ही खेतों की ओर से आने वाली बरसात के पानी को नवनिर्मित माईनर नहर नाली में छोड़ा गया है। जिसका भार यह नहर नाली सहन ना करते हुए भरभराकर गिर या टूट गया। इसमें यह ज्ञात रहे कि नवनिर्मित माईनर नहर नाली में अभी बांध से पानी नहीं छोड़ा गया है। जलसंसाधन विभाग डौंडी के एसडीओ गौर से सवाल किए जाने पर उन्होंने कहा कि नवनिर्मित माईनर नहर नाली निर्माण जगह जगह से टूट जाने की जानकारी ग्रामीणों द्वारा उन्हें भी दी गई है। बरसात बाद इस पर कार्य किया जाएगा। यही राग कार्यपालन अभियंता भी अलाप रहे। इस तरह अपनी अपनी मूल जिम्मेदारी से सब इंजीनियर और एसडीओ द्वारा पल्ला झाड़ लिया गया है। जबकि जो तर्क इंजीनियर द्वारा दिया जा रहा कि किसानों द्वारा अपनी खेतों का पानी छोड़े जाने से ही नवनिर्मित माईनर नहर नाली टूट गई,यह बात ग्रामीणों को हजम नही हो रहा है तथा वे कह रहे है कि निर्माण कार्य में बरती गई भर्राशाही को इंजीनियर द्वारा चतुराई से ढकने की कोशिश की जा रही है। ग्रामीणों ने सवाल खड़ा किया है कि क्या खेतों के पानी छोड़े जाने से मजबूत नहर नाली टूट सकता है। और यदि बांध का एक्स्ट्रा पानी छोड़ा जाता तो यह नहर नाली टूटता ही नही। दोनो स्थिति में सवाल यही उभर रहा कि माईनर नहर नाली कितनी मजबूती से बनाई गई जांच इसी विषय की की जानी चाहिए। क्या इस भ्रष्ट निर्माण कार्य की सूक्ष्म जांच कार्यपालन अभियंता अधिकारी द्वारा पारदर्शिता से कराई जाएगी, इस पर क्षेत्र के किसानों की निगाहे टिकी हुई है।
हर एंगल से होगी जांच
“पीयूष देवांगन, कार्यपालन अभियंता जलसंसाधन विभाग जिला बालोद” ने कहा “मरकाटोला तुलुपारा से आवारी नाला तक नवनिर्मित माईनर नहर नाली में मुझे यह बताया गया है कि किसानों द्वारा अपनी खेतो का एक्स्ट्रा पानी इस नहर नाली में छोड़ा गया जिसके कारण ऐसी स्थिति निर्मित हुई है। फिर भी नवनिर्मित माईनर नहर नाली टूट जाने की हर एंगल से जांच करवाकर आपको बताता हूं।”