नागपंचमी विशेष: लोगों के साथ बचाते हैं सांपों की भी जान, 3 साल के भीतर 1000 से ज्यादा सांप पकड़ चुके, लोगों को करते हैं सांप न मारने के लिए प्रेरित
बालोद । बालोद का रहने वाला युवक जागेश्वर ढीमर उर्फ जग्गू नगर सहित आसपास के ग्रामीण क्षेत्र में लोगों के साथ-साथ सांपों की जान बचा रहे हैं। सांपों को सुरक्षित पड़कर जंगल में छोड़ते हैं।
कुछ दिन पहले रात को 10.30 बजे ग्राम खुर्सीपार में एक बाड़ी में करीब 6 फीट का अजगर घुसा हुआ था। ग्रामीण काफी डरे सहमे थे। इस बात की सूचना मिलते ही जागेश्वर ढीमर वहां पहुंचा और सुरक्षित तरीके से अजगर को बाहर निकाला और देर रात को जंगल में ले जाकर छोड़ दिया। लोग जहां घबराए थे ऐसे समय में भी उन्होंने हिम्मत का काम करते हुए सांप के साथ-साथ लोगों की भी जान बचाई। 3 साल के भीतर में लगभग 1000 से ज्यादा सांप को इसी तरह पकड़ कर सुरक्षित स्थानों में छोड़ चुके हैं। वे लोगों को सांप न मारने की अपील करते हैं। अक्सर लोग डर के कारण अपने घर, बाड़ी या अन्य किसी जगह पर घुसे हुए सांपों को खुद के बचाव में मार देते हैं। पर जागेश्वर की सोच अलग है। वह कहते हैं कि सांपों को मारने से प्रकृति का संतुलन बिगड़ता है। खाद्य श्रृंखला प्रभावित होती है। प्रत्येक जीव का होना जरूरी है। इसलिए वे लोगों को सांप न मारने के अपील करते हैं। अगर कहीं भी सांप घुसता है तो उन्हें बुलाने की बात कहते हैं ताकि वह सांपों को बिना किसी चोट पहुंचाए और लोगों की जान बचाते हुए उन्हें सुरक्षित निकालकर जंगल तक छोड़ सके। वर्तमान में बारिश का महीना चल रहा है। ऐसे में सांप बिच्छू सही जहरीले जीव जंतु अक्सर घरों बाड़ियों में घुस जाते हैं। जिससे लोगों की जान को खतरा भी रहता है। पिछले महीने गुण्डरदेही ब्लॉक के एक गांव में महिला को सांप द्वारा डसने से उसकी मौत भी हो गई थी। इस तरह की घटना जरा सी चूक के कारण हो जाती है। ऐसे में सांपों को पड़कर सुरक्षित निकालकर लोगों के साथ सांपों की जान बचाने वाले जागेश्वर कहते हैं कि सांप से डरे नहीं बल्कि उन्हें चुपचाप जाने दे। अगर कहीं ऐसी जगह घुस गए जहां से वह निकल नहीं पा रहा है तो उन्हें उनके मोबाइल नंबर 9630784387 पर सूचना दे सकते हैं। वे जल्द से जल्द मौके पर पहुंच कर सांप को निकाल लेंगे। शिकारी पारा बालोद के रहने वाले जागेश्वर ढीमर अपने इन्हीं काम के कारण स्नेक सेवर के नाम से जाने जाते है।
मछली पकड़ते हुई सांपों से दोस्ती
जागेश्वर ढीमर वैसे तो भवन निर्माण कार्य के तहत मुंशी का कार्य करते हैं। लेकिन वे अपने मूल काम समूह के साथ मछली पकड़ने का काम भी करते आए हैं। जिसके चलते अक्सर अपने समूह के लोगों के साथ तालाब में उतरना होता है। इस दौरान कई बार उन्हें बिना जहर वाले सांप ने डसा है। ऐसे में मछलियों के साथ-साथ सांप को उनको पकड़ने की आदत हो चुकी थी। बिना जहर वाले सांप को पड़कर वे सांप के प्रति खुद का डर भी दूर कर चुके हैं। उनके साथ दोस्तों की तरह खेलते भी हैं। फिर शुरू किया उन्होंने जहरीले सांपों से बचने का तरीका जानना। यूट्यूब के जरिए एक स्नेक सेवर के वीडियो देखकर उन्होंने सांपों को सुरक्षित पकड़ने और जंगलों में छोड़ने का तरीका सिखा। लगभग 2 साल तक वे रोजाना यूट्यूब से वीडियो देखकर ही सीखते रहे। ऑनलाइन उन्होंने सांप पकड़ने की स्टिक भी मंगवा ली। अब इसी के सहारे सांप पकड़ते हैं और जंगल में छोड़ते हैं। उन्हें एक दो बार जहरीले सांप ने डस भी दिया था लेकिन सांप से कैसे बचना है, किस समय तक सांप के जहर का असर होता है, कब एंटी वेनम लेना है इन सब बातों को अच्छे से जानने के कारण वे सुरक्षित हैं।
आखिर सांप घरों में क्यों आते हैं?
कुछ खास मौसम में सांप लोगों के घरों में घुस आया करते हैं। इसके पीछे मूल वजह उनका भोजन है। अधिकतर सांपों का मुख्य आहार चूहा होता है। तो अहिराज नाम का सांप अन्य सांपों को भी खा जाता है। चूहे की तलाश में सांप अक्सर भटकते भटकते जंगल झाड़ियां को छोड़कर लोगों के घरों तक भी घुस आते हैं। क्योंकि अधिकतर चूहों का ठिकाना घर दुकान कोठार खलिहान होते हैं। सांप बचाने वाले जागेश्वर ढीमर का कहना है कि लोगों में सांप के प्रति जागरूकता नहीं है। अक्सर लोग उन्हें बाहर निकालने की खुद कोशिश करते हुए सांप को लाठी या अन्य किसी हथियार से दबाने या छेड़ने का प्रयास करते हैं ऐसे में सांप फिर उन्हें काटने के लिए आगे बढ़ता है और फिर बचाव में लोग उन्हें मार डालते हैं। सांप को अगर कहीं घुसा है और कुछ भी ना करें तो वह अपने आप निकल कर चला भी जाता है। उन्हें भी इंसानों से डर रहता है। उन्होंने जनता से सांपों को ना मारने की अपील की है। ताकि पारिस्थितिक तंत्र में सांपों का अस्तित्व बना रहे और खाद्य श्रृंखला ना टूटे।