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अजब गजब: यहां सरकारी विभाग के केंद्र ने ही कर रखा था अवैध कब्जा, सीमांकन में सामने आया सच, 3 एकड़ जमीन पर पाया गया कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा अवैध अधिग्रहण

बालोद। अब तक आपने गांव, शहर में जनता द्वारा अवैध कब्जे की बात सुनी होगी। लेकिन बालोद जिले में एक सरकारी विभाग के केंद्र द्वारा सरकारी जमीन को अवैध अधिग्रहण किए जाने का मामला सामने आया है। बात हो रही है अरौद में संचालित कृषि विज्ञान केंद्र की। जिनके द्वारा तीन एकड़ सरकारी जमीन को अवैध तरीके से अधिग्रहण किया गया था। इसका सच सीमांकन में सामने आया है। दरअसल में ग्राम विकास समिति के द्वारा एसडीएम को ज्ञापन सौंप कर यह मांग की गई थी कि कृषि विज्ञान केंद्र के जमीन की सीमांकन कर हमें जानकारी दी जाए। इसके बाद विगत दिनों राजस्व विभाग की टीम मौके पर पहुंची और जमीन का नाप हुआ तो 3 एकड़ अतिरिक्त जमीन केंद्र के कब्जे में पाया गया। ज्ञापन में कहा गया रहा कि ग्राम पंचायत अरौद में कृषि विज्ञान केंद्र को जमीन समस्त ग्राम वासियों की सहमति से दिया गया था। लेकिन आज की स्थिति में कृषि विज्ञान केंद्र के द्वारा मनमानी पूर्वक लगभग 50 एकड़ जमीन पर कब्जा कर लिया गया है। जिसके संबंध में ग्राम के आम जनता में आक्रोश है। जिसके कारण ग्रामीण जन भविष्य में आंदोलन करने हेतु बाध्य हो सकते हैं। इसलिए कृषि विज्ञान केंद्र में राजस्व की टीम उपस्थित होकर ग्राम वासियों को बताएं कि कृषि विज्ञान केंद्र का कितना जमीन दिया गया है और उक्त जमीन कहां से कहां तक है और निस्तार हेतु जमीन ग्रामवासियों के लिए कितना बाकी है। इसका सीमांकन कर ग्राम वासियों को जानकारी देने की मांग एसडीएम से की गई थी। जांच में तीन एकड़ अतिरिक्त जमीन केंद्र के कब्जे में पाया गया। जिसे मुक्त किया जाएगा। सरपंच बिमलेश्वरी साहू ने बताया कि ग्रामीणों की सहमति से राजस्व विभाग द्वारा कृषि विज्ञान केंद्र की जमीन की जांच कराई गई है। जिसमें लगभग 3 एकड़ जमीन केंद्र द्वारा अवैध अधिग्रहण पाया गया है।

चारागाह के लिए जगह नहीं

ग्रामीणों से मिली जानकारी के अनुसार अरौद में मवेशियों के लिए चारागाह के लिए पर्याप्त जगह नहीं होने के साथ ही कृषि विज्ञान केंद्र के द्वारा झटका तार से अपनी भूमि को सुरक्षित करने के कारण आवागमन में दिक्कतों का सामना करना पड़ता था ।इसके कारण ग्रामीणों में आक्रोश था। वहीं अन्य जमीन के संबंध में जांच होगी या नहीं उसे ग्रामीणों द्वारा तय किया जाएगा। जिस जमीन पर ग्रामीणों को ज्यादा संदेह था फिलहाल इसकी जांच पटवारी और आर आई के माध्यम से कराई गई है।

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