पहले भी कलेक्ट्रेट, जिला पंचायत सहित प्रमुख दफ्तर जा चुका है बालोद से 5 किलोमीटर दूर, अब कोर्ट के चले जाने से लोगों को होगी परेशानी, व्यापार भी होगा प्रभावित
बीती रात को पुराना बस स्टैंड बालोद में हुई नागरिकों और व्यापारियों की संयुक्त बैठक, हुई बालोद बंद करने और कलेक्टर को ज्ञापन सौंपने को लेकर चर्चा
बालोद। वर्तमान में बालोद जिला मुख्यालय में जिला सत्र न्यायालय के सिवनी में भविष्य में शिफ्ट किए जाने का मुद्दा चर्चा में है। शासन द्वारा इसके नए भवन के निर्माण के लिए राशि स्वीकृत हो चुकी है। टेंडर भी हो चुका है। सिवनी में स्थित कलेक्ट्रेट के सामने में ही जिला सत्र न्यायालय का भवन बनना है लेकिन कोर्ट के भी अब बालोद से लगभग 5 किलोमीटर दूर चले जाने से लोगों को परेशानी होने वाली है। जब जागे तब सवेरा के कहावत को चरितार्थ करते हुए बालोद के कई जागरूक नागरिकों ने बालोद बचाओ संघर्ष समिति बनाकर उजड़ते बालोद को बचाने के लिए पहल शुरू की है। बालोद बचाओ संघर्ष समिति बालोद नगर के विनोद जैन ने बताया कि समिति सहित संयुक्त व्यापारी संघ के द्वारा इस मुद्दे को लेकर 2 दिसंबर सोमवार को बालोद बंद का आह्वान भी किया गया है। जिला एवं सत्र न्यायालय के सिवनी ले जाने के फैसले का हम विरोध कर रहे हैं। हमारी अपील है कि लोग इस समर्थन में साथ दें और आंदोलन को सफल बनाएं ताकि शासन प्रशासन तक हम अपनी बात मजबूती से पहुंचा सके और जिला कोर्ट भवन का निर्माण सिवनी के बजाय बालोद में ही कहीं पर हो।
क्या होगा अगर कोर्ट भी चला जाएगा सिवनी में
बालोद बचाओ संघर्ष समिति सहित नागरिकों का भी मानना है और वकीलों की भी यही राय है कि अगर बालोद कोर्ट भी कलेक्ट्रेट की तरह सिवनी चला जाए तो काफी प्रभाव पड़ेगा। इससे जहां पक्षकारों सहित वकीलों को अत्यधिक दूरी तय करनी पड़ेगी। तो वहां आने जाने की सुविधा भी नहीं है। नियमित कोई बस भी नहीं चलती। लोगों को अपने साधन से जाना पड़ता है। वर्तमान में बालोद जिला मुख्यालय के बीचो-बीच कोर्ट संचालित है। जिससे बस या ट्रेन किसी भी जरिए से लोग आसानी से पहुंच जाते हैं। पर सिवनी चले जाने पर वहां पहुंचने में भी दिक्कत होगी। जैसा कि वर्तमान में कलेक्ट्रेट जाने में भी लोगों को आज भी मुसीबत का सामना करना पड़ता है। भले ही प्रशासन ने सड़क बनवा दी है पर वहां पहुंचने के लिए आवागमन के साधन नहीं है। तो वहीं सबसे ज्यादा असर बालोद के व्यापार पर पड़ेगा। जिला मुख्यालय के हृदय स्थल जय स्तंभ चौक के आसपास लोक सेवा केंद्र, तहसील कार्यालय संचालित है। जहां रोजाना हजारों लोगों का आना-जाना होता है। इससे आसपास करीब 30 से 40 छोटी बड़ी दुकान संचालित हो रही है। कई नगर पालिका के गुमटियों में संचालित है तो कोई अपनी व्यवस्था के तहत संचालित हो रहे हैं। बालोद नगर का चौपाटी भी पास में ही है। जिससे कई व्यापारियों और छोटे फुटकर विक्रेताओं की रोजी-रोटी चल रही है। रोज तहसील कार्यालय और कोर्ट आने वाले लोगों के कारण ही उनकी ग्राहकी भी होती है तो वही यहां की रौनकता भी रहती है। अगर कोर्ट यहां से सिवनी चला गया तो पूरा व्यापार ठप हो जाएगा और रौनकता भी खत्म हो जाएगी।
भाजपा हो या कांग्रेस कोई भी नहीं दे रहा ध्यान
नागरिकों में इस बात को लेकर भी नाराजगी है कि चाहे बीजेपी की सत्ता रही हो या कांग्रेस की। कोई भी जिला मुख्यालय के दफ्तरों को बाहर जाने से नहीं रोक पाया है। जब बालोद जिला बना उस समय भाजपा की सत्ता थी और कलेक्ट्रेट भी उन्हीं के कार्यकाल में बालोद से बाहर चला गया। उस समय भी कुछ लोगों द्वारा इसका विरोध किया गया। लेकिन सभी विरोध को दरकिनार करते हुए ताँदुला डैम के पास कलेक्ट्रेट बना दिया गया और जो शुरुआत में कुछ सालों तक नगर पालिका के टाउन हॉल में चल रहा था। जिससे लोगों को सुविधा हो रही थी। वह सुविधा भी दूरी के कारण छीन गई। वर्तमान में भी कलेक्ट्रेट में लगभग 30 से ज्यादा विभाग संचालित हो रहे हैं। वहीं एसपी कार्यालय है तो रोजगार पंजीयन के लिए भी युवाओं को वहीं जाना पड़ता है। जिला पंचायत भी सिवनी चला गया है। यह सभी कार्यालय पहले बालोद जिला मुख्यालय में ही आसपास चंद कदमों की दूरी पर ही संचालित हुआ करते थे। जो एक-एक करके सिवनी में शिफ्ट हो गए हैं। बालोद नगर पालिका और जिला मुख्यालय नाम कर गया है और सिवनी और आसपास आदमाबाद का क्षेत्र विकसित हो रहा है। पर वहां पहुंचने के उतने साधन नहीं है ना वहां उतनी सुविधाएं हैं। जितनी बालोद में हैं। लोगों का कहना है कि ऐसे में तो फिर जिला बालोद को बनाने का कोई मतलब ही नहीं रह गया है क्योंकि लगातार यहां से प्रमुख सरकारी दफ्तर ही गायब हो रहे हैं। अब वर्तमान में जिला सत्र न्यायालय का भवन भी सिवनी में बनाया जाना प्रस्तावित है। सारी प्रक्रियाएं पूर्ण हो गई है। पैसा स्वीकृत होने की बात सामने आई है लेकिन इसको लेकर भी राजनीतिक पार्टी के लोग चुप्पी साधे हुए हैं। ऐसे में बालोद बचाओ संघर्ष समिति बनाकर और व्यापारियों को लेकर लोगों को एकजुट कर रहे हैं ताकि कोर्ट को सिवनी में ना बनाकर बालोद में ही कहीं उचित जगह तलाश कर बनाया जाए।
इन दफ्तरों के लिए भी जाना पड़ता है दूर
वर्तमान में बालोद से करीब सात किमी दूर पाकुरघाट में आरटीओ दफ्तर हैं। तो पांच किमी दूर सिवनी में अन्य प्रमुख कार्यालय स्थानांतरित हो चुके हैं। जिसके लिए लोगों को बालोद से फिर अन्य साधनों से पहुंचना पड़ता है। जिनके पास खुद का साधन नहीं है उन्हें बस या ऑटो रिक्शा के भरोसे रहना पड़ता है। सिवनी तक सीधी कोई बस भी नहीं जाती है। लोगों को झलमला के घोटिया चौक से या सिवनी मोड़ के पास से पैदल चलकर जाना पड़ता है। जनता में नाराजगी है कि एक-एक करके जिला मुख्यालय से सरकारी दफ्तर गायब हो रहे हैं और नेता अपनी रोटी सेक रहे हैं। कोई भी जनप्रतिनिधि और राजनेता इस मुद्दे को लेकर आगे नहीं आए हैं। बालोद की जनता राजनीति का बस शिकार हुई है। आने वाली भविष्य की पीढ़ी को देखते हुए बालोद को विकसित करने के लिए बालोद में ही इन दफ्तरों का रहना आवश्यक है। ना कि इन्हें एक-एक करके बालोद से गायब करना। इसी बात का विरोध करते हुए अब कोर्ट को सिवनी जाने से रोकने का प्रयास बालोद बचाओ संघर्ष समिति कर रही है। जिसके तहत ही 2 दिसंबर सोमवार को बालोद बंद का आह्वान किया गया है।
जानिए बालोद जिला कोर्ट का इतिहास
जानकारी के अनुसार जब बालोद जिला नहीं बना था तो 1970 से यहां सिविल कोर्ट संचालित हो रहा था। वर्तमान में जो तहसील कार्यालय है उसी भवन में जज बैठा करते थे। फिर 199-96 में वर्तमान में जो भवन है वहां लोकार्पण के साथ पूरा अमला शिफ्ट हुआ। यह भवन भी अब काफी जर्जर हो चुका है। जिला बनने के बाद बालोद में जिला एवं सत्र न्यायालय का उद्घाटन 2 अक्टूबर 2013 को हुआ था। 2012 में बालोद छत्तीसगढ़ का 19 वा जिला बनाया गया था। सिविल न्यायालय का विकास की बात करें तो बालोद में जिला एवं सत्र न्यायालय का उद्घाटन 2 अक्टूबर 2013 को माननीय श्री न्यायमूर्ति सुनील कुमार सिन्हा न्यायाधीश, छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय एवं माननीय श्री न्यायमूर्ति पी. सैम कोशी न्यायाधीश, छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय एवं पोर्टफोलियो न्यायाधीश जिला बालोद द्वारा किया गया था। श्री दीपक कुमार तिवारी प्रथम जिला एवं सत्र न्यायाधीश के रूप में पदस्थ हुए थे ।
क्या कहते हैं अधिवक्ता दीपक सामटकर
इस मामले को लेकर जब हमने अधिवक्ता दीपक सामटकर
से बातचीत की तो उन्होंने भी बताया कि वर्तमान में जिस भवन में कोर्ट संचालित हो रहा है वहां जगह की कमी भी हो रही है। स्थिति यह है कि रिकॉर्ड रखने के लिए भी जगह कम पड़ रहे हैं। पुराना जिस भवन में अभी बैठ रहे हैं वह लगभग 1995-96 में बना हुआ है। बरसात में भी दिक्कत होती है। यहां सिविल न्यायालय, परिवार न्यायालय, पोक्सो न्यायालय सहित विशेष न्यायालय संचालित हो रहे हैं। जिला बनने के बाद से अब केसेस भी बढ़ चुके हैं। इससे रोजाना पक्षकारो की भीड़ भी रहती है। अधिवक्ता दीपक सामटकर का कहना है कि जब कलेक्ट्रेट सिवनी जा रहा था तो उस समय भी हम अधिवक्ताओं ने विरोध किया था। लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। वर्तमान में भी अगर कोर्ट को सिवनी में शिफ्ट किया जाता है तो पक्षकारों को आवागमन में दिक्कत होगी। तो वही हम सभी वकीलों को भी दूरी का सामना करना पड़ेगा । बेहतर होगा कि बालोद में ही कहीं उचित जगह की तलाश कर कोर्ट भवन को बालोद में ही बनाया जाना चाहिए। जिससे लोगों को सुलभ न्याय मिल सके। वर्तमान में पुराना जिला अस्पताल भवन स्थल, कोर्ट भवन हेतु उपयुक्त हो सकता है या नया जिला अस्पताल के आसपास उचित स्थान देखकर कोर्ट भवन का निर्माण किया जा सकता है। प्रशासन को इस दिशा में विचार करना चाहिए। यदि कोर्ट ग्राम सिवनी जाता है तो पक्षकारों एवं अधिवक्ताओं को सुविधा के बजाय परेशानी ही होगी। तथा बालोद का संपूर्ण व्यवसाय भी काफी प्रभावित होगा।