दिवाली मिलन पर हुई मधुर काव्य गोष्ठी का आयोजन
बालोद। मधुर साहित्य परिषद् तहसील इकाई बालोद के तत्वाधान में दिवाली मिलन समारोह पर काव्य गोष्ठी कबीर आश्रम करहीभदर में आयोजित किया गया।
काव्य गोष्ठी में सभा के अध्यक्ष मधुर साहित्य परिषद् के जिला बालोद के अध्यक्ष डॉ अशोक आकाश जी थे। युवा साहित्यकार कन्हैया लाल बारले एवं अजय चौहान, पूरनलाल श्रीमाली जी थे।
इस अवसर पर संत श्री दिनेंद्र साहेब नेअखिल साहित्य सभा अमरावती द्वारा ‘अरुणिमा’पुस्तक जिसमें दिनेंद्र दास, डॉक्टर अशोक आकाश सहित 61 साहित्यकारों की आत्मकथा लिखी हुई है। डॉ. अशोक आकाश को भेंट किये और दिनेंद्र दास ने अपनी पुस्तकें खजाने की चाबी एवं सुखमय जीवन की प्रेरक कहानियां दी ।
मधुर साहित्य परिषद् के सदस्यों द्वारा संत श्री दिनेंद्र साहेब को वस्त्र एवं श्रीफल से सम्मानित किये गये ।
इस अवसर पर डॉ. अशोक आकाश ने
सुरहोती के दिया जी,
सुम्मत के अंजोर बगरागे।
कवि अजय चौहान ने
कैसे बताऊं मन की पीड़ा को, बिटिया की हो रही विदाई।
गीत प्रस्तुत की।
पूरन श्रीमाली ने
हे मानव तू प्रकृति का, सबसे अनमोल कृति है।
पर मधुर कविता प्रस्तुत की।
चट्टान का महत्व बताते हुए कन्हैया लाल बारले ने कहा,
आज हरित यह पृथ्वी, चट्टान का ही स्वरुप है। चट्टान से ही मिट्टी,
मिट्टी से ही चट्टान।
चट्टान के दो रूप हैं।
संत श्री दिनेंद्र साहेब ने आए हुए सभी साहित्यकारों का आभार व्यक्त करते हुए अपनी कविता सोना चांदी पड़ा रहेगा, क्या हीरे क्या मोती कफन में जेब नहीं होती। द्वारा संसार की असारता का दिग्दर्शन कराया।
संत श्री जिवेन्द्र साहेब, ब्रह्मचारी मीतेश साहेब ने
तन से सेवा मन से राम,
करले बंदे निज का काम। स्वरचित सुंदर भजन सुनाए। प्रसाद वितरण के साथ कार्यक्रम समाप्त हुआ।