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बड़ी खबर – पाटेश्वर धाम का कब्जा हटाने के मामले में हुई प्रशासन व संत राम बालक दास के बीच बैठक, देखिये क्या फैसला लिया गया है, अब क्या होगा आगे, संत व डीएफओ किस बात पर अड़े?

बालोद/ रायपुर| छग के बालोद जिले के डौंडीलोहारा के जामड़ी पाटेश्वर धाम से कब्जा हटाने को लेकर वन विभाग द्वारा दिए गये नोटिस के मामले में अब नया मोड़ सामने आया है. संत राम बालक दास को नोटिस के बाद उनकी व जिला प्रशासन के बीच एक बैठक हुई है. जिसमें इस मसले का रास्ता निकालने का प्रयास किया जा रहा है. कुछ बातों पर सुलह की दिशा नजर आ रही है. लेकिन अंतिम परिणाम अभी सामने नही आया है. संत राम बालक दास का कहना है कि विश्व के एकमात्र माँ कौशल्या मन्दिर निर्माण स्थल डौंडीलोहारा विकासखंड जिला बालोद छत्तीसगढ़ में स्थापित जामड़ी पाटेश्वर धाम को षड्यंत्र पूर्वक नष्ट करने एवं लाखों भक्तों की आस्था को ठेस पहुंचाने का प्रयास कर किया जा रहा है.वन विभाग बालोद के द्वारा लगातार पत्राचार कर दबाव बनाया जा रहा है. जिससे वनवासी क्षेत्र में अराजकता फैलने की संभावना है । जामड़ी पाटेश्वर धाम में साल भर उत्सव मनाया जाता है। जहां व्यापक पैमाने पर जनसैलाब उमड़ पड़ती है। इस बार वैश्विक महामारी कोरोना काल होने के कारण शासन के नियमों का पालन करते हुए उत्सव नहीं मनाया गया। ऑनलाइन सत्संग के माध्यम से श्रद्धालु भक्तों को जोड़ने में पाटेश्वर धाम सफल रहा। वैसे की वर्षों से वन विभाग के द्वारा पत्राचार किया जाता रहा है तथा उनका जवाब संस्थान के द्वारा भी दिया जाता रहा है। मगर अचानक से एक समाचार पत्र में पाटेश्वर धाम से अवैध कब्जा हटाया जाने का प्रकाशन हुआ तो छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश ,महाराष्ट्र एवम भारत भर में के संत समाज व भक्त समुदाय में अचानक आक्रोश फूट पड़ा है। संत राम बालक दास ने कहा हमेशा प्रतिवर्ष होने वाले मेला महोत्सव में शासन प्रशासन के द्वारा ही आवश्यक सेवाएं भी पाटेश्वर धाम को उपलब्ध कराई जाती है। रहा सवाल अवैध कब्जा निर्माण का तो वहां बने अधिकतर निर्माण कार्य शासकीय है, जिनका उपयोग आम जनता श्रद्धालु भक्तों के लिए खुला है। प्रतिदिन सामुदायिक भवन के सीता रसोई में निशुल्क भोजन की व्यवस्था की जाती है।रोज पूजा पाठ ,सत्संग के माध्यम से समाज में अमन-चैन लाने का प्रयास किया जा रहा है। अहिंसा वादी बनाने ,धर्म के मार्ग में चलने की शिक्षा दी जाती है, इसके पूर्व पाटेश्वर धाम में गुरुकुल की शिक्षा भी दी जाती थी जो कि सरस्वती शिशु मंदिर डौंडीलोहारा से संचालित था.

ये है इतिहास

संत के मुताबिक सन 1975 से यह आश्रम स्थापित है। लेकिन आदिवासियों के पूजित देवता जमडी पाट का यहां पहाड़ी पर स्थित मंदिर हजारों वर्षों से पूजित है
सन 1976 में हनुमान मंदिर, शिव मंदिर आदि का निर्माण भक्त समुदाय द्वारा किया गया है। घर तथा समाज से प्रताड़ित व्यक्ति भी पाटेश्वर धाम में आश्रय लेते है उसे सत्संग के माध्यम से जीवन जीने की कला सिखाकर पुनः परिवार व समाज में सामंजस्य स्थापित किया जाता है। यह सभी कार्य यदि गलत है तो शासन प्रशासन अपने स्तर पर कार्य करें यदि जनाक्रोश भड़कता है ,किसी प्रकार की क्षति होती है तो संपूर्ण जवाबदारी शासन प्रशासन की होगी। सन 2018 में स्ट्रक्चर खड़ा किया गया है यह कहना गलत है क्योंकि 29 जनवरी 2005 को पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के मुख्य आतिथ्य में मंदिर का शिलान्यास हुआ था जिनकी आप सभी साक्षी हैं।संत राम बालक दास ने कहा कोरोना काल में जहां एक दूसरे की मदद करने की जरूरत है ऐसे समय में डीएफओ बालोद और वन विभाग द्वारा संतों को प्रताड़ित किया जाना निंदनीय है.

बैठक में इन मुद्दों पर हुई चर्चा क्या बोले संत ?
पाटेश्वर धाम के संत राम बालक दास, बालोद कलेक्टर, डीएफओ, एसपी, एडिशनल एसपी की उपस्थिति में बैठक रखी गई, जहां पर डीएफओ द्वारा पाटेश्वर धाम को दिए गए नोटिस पर चर्चा की गई, जिसमें दोनों ही पक्ष को सुना गया. जहां डीएफओ ने बार-बार मंदिर क्षेत्र के सामुदायिक भवनों में महिलाओं को प्रशिक्षण देने की बात कही. बाबा जी ने इस विषय को स्पष्ट करते हुए कहा कि हमने नंदी शाला के प्रशिक्षण शेड में प्रशिक्षण करने अनुमति आपको दी है और मंदिर क्षेत्र के किसी तरह के प्रशिक्षण देना मंदिर प्रांगण की शांति एवं पवित्रता को भंग करना है, यह दर्शनार्थियों की श्रद्धा केंद्र है जहां प्रशिक्षण के नाम पर कुछ दूसरा कार्य भी हो सकता है जो कि मंदिर के लिए उचित नहीं होगा. मंदिर के आसपास भवन जो बने हैं वहां मंदिर के दर्शनार्थियों के उपयोग हेतु बने हैं आंगनबाड़ी को बच्चों को पढ़ाने हेतु आप ले सकते हैं परंतु अन्य किसी कार्य के लिए वन विभाग को कोई भी भवन नहीं सौंपा जाएगा, किसी भी कार्यक्रम या प्रशिक्षण हेतु भवन अवश्य दिया जाएगा परंतु उसे स्थाई कब्जा वन विभाग को नहीं दिया जाएगा क्योंकि यहां लाखों लोगों का श्रद्धा केंद्र है तो बाबा जी का कहना है कि वे अपने भक्तों से इस विषय पर चर्चा करके ही आगे का निर्णय लेंगे, अभी चाहे तो आंगनबाड़ी केंद्र को बच्चों को पढ़ाने हेतु अवश्य दिया जाएगा एवं भवनों को भी प्रशिक्षण हेतु दिया जाएगा महिलाओं को प्रशिक्षण के लिए नंदी शाला के शेड उपलब्ध है आप वहां प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करवा सकते हैं

By dailybalodnewseditor

2007 से पत्रकारिता में कार्यरत,,,,,कुछ नया करने का जुनून, कॉपी पेस्ट से दूर,,,

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