दिव्यांग बच्चों का 15 साल से भविष्य संवार रही अनिता, पढ़िए उनकी कहानी राज्य स्तरीय ब्लॉग लेखक विवेक की कलम से
बी.आर.पी.सी.डब्ल्यू. एस. एन. द्वारा विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए किए गए कार्य की सफलता की कहानी लिखी है राज्य स्तरीय लेखक विवेक धुर्वे ने
बालोद/ महासमुंद।
छत्तीसगढ़ राज्य शासन शिक्षा विभाग की पोर्टल cgschool. in के “पढ़ई तुंहर दुआर” के राज्य स्तरीय ब्लॉग लेखक विवेक धुर्वे आप आज सभी से एक ऐसी शख्सियत से परिचित करवा रहे हैं | जिन्होंने निःस्वार्थ भाव से वि.ख. स्रोत, केन्द्र रा.गा. शि.मि. महासमुन्द में विशेष शिक्षिका के पद पर रहते हुए बहुत से दिव्यांग बच्चों का भविष्य बनाया। जिनका नाम है, अनिता निर्मलकर । जिन्होंने पिछले कई वर्षो से इस क्षेत्र में अपना समय गुजारा | विगत 15 वर्षों से दिव्यांग बच्चों के साथ कार्य कर रही शिक्षिका | जिसमे पूर्व में आकांक्षा सा मेंटली हैंडीकैप्ड स्कूल अवंती विहार रायपुर में कार्य की शुरुआत के साथ इसी संस्था से इस क्षेत्र में प्रशिक्षित होने के बाद सन् 2009 से रा.गा. शि.मि जिला महासमुंद एवं वर्तमान में विकासखंड स्रोत केन्द्र रा.गा. शि.मि महासमुंद में विशेष शिक्षिका के पद पर विगत 11 वर्षों से दिव्यांग बच्चों के लिए कार्य इनके द्वारा किया जा रहा है | जिसमें विकासखंड के स्कूलों का दौरा कर दिव्यांग बच्चों का चिन्हांकन कर उसे सामान्य बच्चों के साथ स्कूलों में दर्ज कराकर समाज के मुख्य धारा से जोड़कर (CWSN) को समय-समय पर शासकीय योजनाओं से लाभान्वित किया जा रहा है | जिसके अंतर्गत बच्चों को सर्जरी बच्चों को सर्जरी ( आंख, बर्न, सीटीईवी)कराया गया | इनके द्वारा निरंतर दिव्यांग बच्चों को परामर्श दिया परामर्श दिया जाता है | जिससे वे जागरूक होते रहे तथा ऐसे बच्चे जो चल-फिर नहीं सकते उनके घरों में जाकर गृह आधारित शिक्षा प्रदान किया जाता है | आंगनबाड़ी केंद्रों में जाकर कार्यकर्ताओं को भी दिव्यांग बच्चों का चिन्हांकन कैसे किया जाना है,को बताया जाता है | ताकि उन्हें शीघ्र हस्तक्षेप दिया जा सके | शासकीय स्कूलों में अध्य्यनरत बच्चों के शिक्षकों को ब्रेल लिपि, सांकेतिक भाषा, क्षमता निर्माण, उन्मुखीकरण प्रशिक्षण देकर इन बच्चों के शिक्षा में आने वाली समस्याओं को कम किया जा रहा है | साथ ही समाज कल्याण विभाग महासमुंद के द्वारादिव्यांगजनो के लिए किए जाने वाले कार्यो जैसे दिव्यांगजन प्रमाणीकरण शिविर,दिव्यांगजन मतदाता जागरूकता, दिव्यांगजन चुनई मेला में सहयोग प्रदान इनके द्वारा सहयोग किया गया है | जो लोग हकीकत में अपनी जिंदगी में सफल होना चाहते हैं, उन्हें कभी मेहनत करने से कतराना नहीं चाहिए, क्योंकि मेहनत ही इंसान को उसके लक्ष्य को हासिल करने में मदद करती है | जो व्यक्ति प्लानिंग के साथ मेहनत करते हैं, वे अपनी जिंदगी में निश्चय ही सफलता हासिल करते हैं, क्योंकि किसी महान व्यक्ति ने कहा है कि सफलता का कोई भी शॉर्टकट नहीं होता और इसके लिए कड़ी मेहनत की जरुरत पड़ती है | अनिता निर्मलकर ने अपने कठिन प्रयास से दिव्यांग बच्चों में नई उमंग जगा दी | इनका कहना है इंसान की जिंदगी बिना लक्ष्य के किसी काम की नहीं. आपने अपने जिंदगी में न जाने कितने सफल इंसानों को देखा होगा लेकिन क्या आपने कभी जानने की कोशिश की है कि आखिर वह आज सफल क्यों है. इंसान को सफलता की ओर ले कर जाती है लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर वो इंसान दुसरो से अलग क्यो है क्यो की वो इंसान अपने लिए नही बल्कि दुसरो के लिए जीता है |
दिव्यांग का अर्थ शारीरिक दुर्बलता नहीं बल्कि मानसिक अपंगता है।यदि दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो कोई भी अवरोध हमारा मार्ग अवरुद्ध नहीं कर सकता है । ये कथन पूर्णतः सत्य है |
सफलता के लिए ‘जुनून’ आवश्यक है, इनका कहना है कि जिंदगी एक प्रयोगशाला है, जिसमें हर रोज आप कुछ ना कुछ नया सीखते हैं,कभी अपना नाकाम होते हैं | तो कभी आप कुछ ऐसा कर जाते हैं, कि दुनिया सलाम करती हैं, लेकिन सही मायनों में वही इंसान अपनी असफलता और सफलता को एंजॉय कर पाता है, जो दोनों ही परिस्थितियों में बस सीखता जाए और अपना काम जुनून के साथ करता जाए | सफलता सकारात्मक निर्णयो की श्रृंखला होती है | यदि ध्यान से देखें तो पाएंगे कि जितने भी सफल लोग हुए हैं, उनके द्वारा लिए गए निर्णय सही दिशा और अच्छे उद्देश्य से प्रेरित थे | सफल लोग हमेशा लक्ष्य निर्धारित करके आगे बढ़ते हैं | अपना लक्ष्य हासिल करना ही सफलता है, बिना लक्ष्य के सफलता की कल्पना करना कुछ- कुछ ऐसा ही है जैसे किसी राह पर चलते जाना! अनिता निर्मलकर ने अपने जीवनकाल में सिर्फ लोगो की सहायता की |