विश्व गौरैया दिवस विशेष : वनांचल की शिक्षिका मोना रावत ने की नई पहल, विभिन्न स्थानों पर बांटे सकोरे ताकि पक्षी भी बुझा सके अपनी प्यास और भूख

बालोद। विश्व गौरैया दिवस के अवसर पर वनांचल की शिक्षिका मोना रावत ने नई पहल की शुरुआत की है। उन्होंने विभिन्न स्थानों पर सकोरे वितरित कर लोगों को जागरूक किया ताकि इस तपती गर्मी में पानी के लिए भटकती पक्षियां भी प्यास बुझा सके। इसके अलावा चिड़ियों के दाना-पानी के लिए इंतजाम हो सके। शिक्षिका मोना रावत द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों व शहरी क्षेत्रों के साथ -साथ आंगनवाड़ी, स्कूल, कॉलेज, आईटीआई, नगरपालिका राजहरा, नगर पंचायत, विकासखंड ऑफिस, बीआरसी ऑफिस, जनपदऑफिस, तहसील ऑफिस,एसडीएम ऑफिस, अस्पतालों व थानाओं में भी सकोरा बांटा गया है। शासकीय जगहो में सकोरा बांटने का उद्देश्य यह है,कि बंद व शांत जगहों में ही गौरैया चिड़िया अपना उपयुक्त स्थान समझकर रहन- बसरा करती है। मोना ने बताया मैंने अपनी शाला मरदेल आते -जाते, शाम को और छुट्टी के दिनों में सकोरा बाँटने का कार्य किया। घर में भी कबाड़ से जुगाड़ कर चिड़ियों के लिए घोसला तैयार किया है | इस सत्र में मैंने 300 सकोरा बांटने का लक्ष्य बनाया था और मेरा लक्ष्य 18 मार्च को पूर्ण भी हो गया है।

गौरैया पक्षी की संक्षिप्त जानकारी

गौरैया हमारे घर आंगन की पक्षी है, जो दुनिया भर में पाई जाती है गौरैया पक्षी पारिस्थितिक संतुलन को बनाये रखने में मदद करती है और पर्यावरण के स्वास्थ्य का संकेतक भी है। ऋषियों ने प्राचीन काल से पक्षियों को संस्कृति से जोड़कर रखा। गौरैया पक्षी को लक्ष्मी के रूप में भी देखा जाता है। अर्थात आर्थिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो गौरैया पक्षी को एक शुभ संकेत माना जाता है। लेकिन अब यह नन्ही सी चिड़िया अपने अस्तित्व संकट का सामना कर रही है। पर्यावरण की अंधाधुंध कटाई, धीरे-धीरे दुनिया भर में कृषि कार्य, पार्क, कंक्रीट के अपार्टमेंट और पक्के मकान में भारी वृद्धि हुई है इसके परिणाम स्वरुप घरेलू गौरैया की संख्या में दुर्भाग्यपूर्ण गिरावट आई है। गौरैया के महत्व को समझाते हुए 20 मार्च को विश्व गौरैया दिवस के रूप में मनाया जाता है।

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