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शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला मड़ियाकट्टा में हुआ गुरु पूर्णिमा उत्सव का आयोजन

बच्चों ने ग्रीटिंग कार्ड निबंध लेखन गीत कविता नारा स्लोगन लेखन वाचन कर किया प्रस्तुतिकरण

गुरु वह दीपक है जो आत्मा तक जाने का मार्ग रोशन करता है।गुरु कोई व्यक्ति नहीं, बल्कि चेतना की एक अवस्था है : राज्यपाल पुरस्कृत प्रधान पाठक दयालूराम पिकेश्वर

डौण्डीलोहारा। ब्लॉक के आदिवासी वनांचल ग्राम मड़ियाकट्टा स्कूल में गुरु पूर्णिमा के अवसर पर गुरु पूर्णिमा उत्सव मनाया गया। कार्यक्रम की शुभांरभ वीणा वादिनी मां सरस्वती पूजा अर्चना कर सरस्वती वंदना गुरु वंदना एवं दीप प्रज्ज्वलित एवं माल्यार्पण किया गया। इस अवसर पर राज्यपाल पुरस्कृत प्रधान पाठक दयालूराम पिकेश्वर ने गुरु पूर्णिमा के महत्व एवं पारस्परिक गुरु शिष्य संस्कृति पर प्रकाश डाला । गुरु पूर्णिमा आषाढ़ माह की पूर्णिमा को हर साल मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार इस अवसर पर स्नान दान और गुरु पूजा करने से जातक को जीवन में सभी प्रकार की समस्याओं से निजात मिलती है। गुरु शिष्य परंपरा भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण और प्राचीन हिस्सा है


यह परंपरा शिक्षा, ज्ञान और आचरण के उच्चतम आदर्शो को स्थापित करती है। इस परंपरा का उद्भभव वैदिक काल में हुआ था और इसे भारतीय सभ्यता के विभिन्न काल खण्डों में महत्वपूर्ण स्थान रहा है।

गुरु का महत्व बताया

कार्यक्रम के दौरान शिक्षकों ने बच्चों को गुरु का महत्व बताया कि गुरु का अर्थ है गु यानी अंधकार और रु, यानी प्रकाश अर्थात गुरु वह है जो अज्ञान के अंधकार को मिटाकर ज्ञान का प्रकाश फैलाता है। गुरु को भगवान का रुप माना जाता है।इसी तरह शिष्य का महत्व बताते हुए कहा गया कि शिष्य वह होता है जो अपने गुरु से शिक्षा प्राप्त करता है और उसके बताए हुए मार्ग पर चलता है। एक शिष्य के लिए गुरु की आज्ञा का पालन सर्वोपरि होता है। शिष्य का कर्तव्य है कि वह गुरु के प्रति पुर्ण समर्पित होता है। शिष्य के समर्पण और उनकी साधना के बिना शिक्षा का सम्पूर्ण लाभ प्राप्त नहीं हो सकता।

गुरु शिष्य परंपरा का महत्व

गुरु शिष्य परंपरा में गुरु और शिष्य का संबंध अत्यंत महत्वपूर्ण होता है ‌यह परंपरा केवल शिक्षा प्राप्त और ज्ञान में आदान प्रदान तक सीमित नहीं है बल्कि इसमें संस्कार नैतिकता आध्यात्मिकता का विशेष महत्व रहा है। प्राचीन काल में गुरु कुल प्रणाली के माध्यम से शिक्षा प्रदान की जाती थी। जिसमें शिष्य अपने गुरु के साथ रहकर जीवन के हर पहलू की शिक्षा प्राप्त करते थे। उक्त बातें कहते हुए गुरु पूर्णिमा के अवसर पर राज्यपाल पुरस्कृत प्रधान पाठक दयालूराम पिकेश्वर ने बच्चों को शुभकामनाएं दी।

इस अवसर बच्चों ने ग्रीटिंग कार्ड निबंध लेखन गीत कविता नारा स्लोगन लेखन वाचन कर प्रस्तुतिकरण किया गया। गुरु पूर्णिमा के अवसर शिक्षकों का सम्मान किया गया। इस अवसर शिक्षक परसराम साहु दिनदयाल अटल नदारद राम भुआर्य सुनील कुमार अलेन्द्र भूमिका मोवाड़े साधना सिन्हा एवं बच्चों ने सहयोग किया ।

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