बालोद। जिला शिक्षा विभाग इन दिनों विवादों के घेरे में हैं ।अनुकंपा नियुक्ति के मामले में एक बड़ी शिकायत सामने आई है
इस मामले में एक सास ससुर ने अपनी बहू के खिलाफ शिकायत कर उसकी अनुकंपा नियुक्ति को रुकवाने की मांग की है।सास ससुर को ऐसा इसलिए करना पड़ा क्योंकि अनुकंपा नियुक्ति से पहले ही बहू उनके साथ प्रताड़ना जैसा व्यवहार करने लगी थी। धमकी देने लगी थी की नियुक्ति हो गई तो फिर तुम दोनों को देख लूंगी, नौकर नौकरानी की तरह बना कर रखूंगी ।जिसके बाद सास ससुर ने अपनी बहू की अनुकंपा नियुक्ति पर रोक लगाने के लिए जिला शिक्षा अधिकारी व कलेक्टर तक भी शिकायत की थी लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई है। तो वही शिक्षा विभाग बहू को नियम से अनुकंपा नियुक्ति देने की बात करके अपनी जिद पर अड़ा हुआ है। तो इधर अब मामले की शिकायत सांसद मोहन मंडावी से भी की है।जिसमें इस परिवार ने जिला शिक्षा अधिकारी की कार्यशैली पर भी उंगली उठाई है। सांसद को सौंपे गए 2 पेज के आवेदन में विस्तृत समस्या बताते हुए आवेदक मेघराज गंगराले निवासी पीपरछेड़ी ने बताया है कि मेरा पुत्र भावेश कुमार गोड़री प्राथमिक शाला में सहायक शिक्षक के पद पदस्थ था 23 अप्रैल को वह स्वर्गवासी हो गया। जिसके बाद उनकी पत्नी भुनेश्वरी गंगराले के द्वारा 31 मई 2021 से अनुकंपा नियुक्ति हेतु आवेदन पत्र प्रस्तुत किया गया है।उक्त आवेदन पत्र के साथ आवश्यक दस्तावेज के रूप में सहमति पिता मेघराज , माता सुशीला की सहमति प्रस्तुत थी। लेकिन बहुत बहु लड़ाई के झगड़ा करने के बाद सास-ससुर को देख लेने की धमकी देने के बाद व एक ऐसा मोबाइल रिकॉर्ड भी सामने आया जिसमें बहू सास ससुर के खिलाफ बातें कर रही थी, इस संबंध में बालोद थाने में भी रिपोर्ट दर्ज कराया गया था, इन सब हालातों को देखते हुए सास ससुर ने अपनी सहमति वापस लेने के लिए आवेदन दिया व नियुक्ति को निरस्त करने के लिए आपत्ति लगाई लेकिन इसके बाद भी शिक्षा विभाग ध्यान नहीं दे रहा। मेंघराज गंगराले ने आरोप लगाया कि विकास खंड शिक्षा अधिकारी को जबसे जिला शिक्षा अधिकारी का प्रभार दिया गया है तब हमें शिक्षा अधिकारी के माध्यम से पता चला कि अनुकंपा नियुक्ति में किसी प्रकार की सहमति की आवश्यकता नहीं होती है और मैं उन्हें नौकरी दे रहा हूं। जब मैंने पूछा कि इस सहमति की आवश्यकता नहीं थी तो पूर्व में सहमति क्यों मांगा गया था तो उन्होंने बताया कि तब जानकारी नहीं थी तो बोल दिए थे। लेकिन अब माता-पिता के सहमति की आवश्यकता नहीं है। इसलिए इस परिवार ने अब सांसद के माध्यम से पूछना चाहा है कि जिला शिक्षा अधिकारी को जब अनुकंपा नियुक्ति के संबंध में जानकारी नहीं है तो उनको इतने बड़े पद पर किस आधार पर बैठाया गया है। जिला शिक्षा अधिकारी का कहना है कि अभी मैं इस पद में हूं, मेरे हाथों में है उसे नौकरी देना है या नहीं देना। जिला शिक्षा अधिकारी बसन्त बाघ के द्वारा हमें बार-बार फोन करके बुलाया जाता था। जिससे मैं व दिवंगत भावेश की माता सुशीला शारीरिक, मानसिक और आर्थिक रूप से परेशान होते रहे। जिला शिक्षा अधिकारी और वहां के कर्मचारी रवि यादव जो कि अनुकंपा नियुक्ति को देख रहा है उससे हमारी बात हुई तो उनका कहना है कि मैं अभी पद में नया-नया हूं, मुझे इसकी कोई जानकारी नहीं है। जबकि उन्हीं के कहने पर वहां के कर्मचारी हमें बुलाते थे। वहां के लोगों के जरिए पता चला कि बहुत सारे अनुकंपा नियुक्ति रुके हुए हैं पर उस पर ध्यान न देकर शिक्षा अधिकारी के द्वारा बहु भुनेश्वरी को अनुकंपा नियुक्ति पर विशेष ध्यान क्यों दिया जा रहा है, जिसके चलते हमें आशंका व लगता है कि पैसे की लेनदेन की बात अनुकंपा नियुक्ति के संबंध में की गई है।हमारे द्वारा विभाग में पत्र दिया गया है। उसमें किसी भी प्रकार की जांच अब तक नहीं हुई है। क्योंकि जिला शिक्षा अधिकारी इस प्रभाव पर है, जिनके द्वारा जांच रुकवा दी जाती है। पिता के रूप में सांसद से उन्होंने निवेदन किया है कि इस मामले की तत्काल जांच की जाए व नियुक्ति रोक कर जो इस प्रकरण में दोषी पाए जाते उन पर सख्त कार्रवाई की जाए।
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