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चिरचारी गांव में चलाया जा रहा है सरपंच के द्वारा जल संरक्षण के लिए अनूठा अभियान: एक हफ्ते में बनाएंगे हर घर सोखता ,पंचायत देगी प्रति परिवार को ₹100 प्रोत्साहन राशि

सरपंच ने कहा आज पानी रूपी पैसा बचाएंगे तो भविष्य में भूगर्भ रूपी बैंक से विड्रोल कर पाएंगे

गुरुर। गुरुर ब्लॉक के ग्राम पंचायत अर्जूनी के आश्रित ग्राम चिरचारी में सरपंच यशवंतपुरी गोस्वामी के द्वारा पानी बचाने के लिए अनूठा अभियान छेड़ा गया है। वर्तमान में पूरे छत्तीसगढ़ में गुरुर ब्लॉक भूगर्भ जल स्तर के मामले में डेंजर जोन है। इसके चलते जिला, जनपद पंचायत प्रशासन द्वारा लगातार गांव गांव में अभियान चला कर सोखता गड्ढा और वाटर हार्वेस्टिंग बनवाया जा रहा है। लोगों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। शासन प्रशासन इसमें जोर-जोर से जुटा हुआ है। इस क्रम में सरपंच यशवंतपुरी गोस्वामी ने भी अपने गांव चिरचारी को जल संकट मुक्त बनाने के लिए लोगों को सोखता बनाने के लिए पहल शुरू की है। जिसके तहत गांव में स्व सहायता समूह की महिलाओं सहित ग्रामीणों द्वारा रैली निकालकर जागरूक किया जा रहा है। घर-घर जाकर सरपंच द्वारा गांव के बड़े बुजुर्गों को समझाया जा रहा है कि आने वाले कल के लिए जल जरूर बचाए। रैली के बाद उन्होंने गांव में सभा को संबोधित करते हुए कहा कि आज हम अगर पानी रूपी पैसे को भूगर्भ रूपी बैंक में डालेंगे तभी आगे जाकर भविष्य में विड्रोल कर पाएंगे। वरना भविष्य में ऐसा जल संकट आने वाला है जिसकी कल्पना किसी ने नहीं की होगी। जिस तरह कोरोना काल में हम साफ हवा के लिए तरस रहे थे उसी तरह आने वाले कल में पानी के लिए तरस सकते हैं। ऐसे वक्त में फिर वही गांव या शहर बच पाएंगे जो अभी से जल संरक्षण की दिशा में काम करेंगे। उन्होंने कहा वर्षा के जल को ज्यादा से ज्यादा सहेजना है। हर घर सोखता बनाएं। पंचायत द्वारा प्रति परिवार को 100 रुपए प्रोत्साहन राशि दी जाएगी । इसमें ज्यादा खर्चा भी नहीं है ।उन्होंने खुद कुछ जगह पर ग्रामीणों के समक्ष सोखता गड्ढा बना कर दिखाया और तरीका भी बताया कि कैसे हम तीन बाई तीन का गड्ढा खोदकर ईट और रेती मिलाकर आसानी से सोखता गड्ढा तैयार कर सकते हैं।

2019 में बनाया गया था 170 सोखता गड्ढा, उन्हें कर रहे पुनर्जीवित

सरपंच यशवंतपुरी गोस्वामी द्वारा गांव में 2019 में बनवाए गए सोखता गड्ढों को पुनर्जीवित करने का भी अभियान शुरू किया गया है। उन्होंने बताया कि गांव में 2019 में लगभग 170 सोखता गड्ढा बनाया गया था। जिसे वापस से साफ सफाई करके उपयोगी बनाया जा रहा है। लोगों को अपने घरों में सोखता बनाने के लिए प्रेरित किया जाए। साथ ही प्रत्येक व्यक्ति को यह भी कहा जा रहा है कि वह खुद से अन्य दो लोगों को भी इसके लिए प्रोत्साहित करें और सोखता गड्ढा बनवाएं। इस तरह से लोग एक दूसरे के लिए प्रेरणास्रोत भी बन रहे हैं। जागरूकता रैली के जरिए विभिन्न पोस्टर के साथ महिलाओं ने भी सोखता बनाने, जल बचाने, आने वाला कल बचाने का संदेश दिया ।

पर्यावरण को लेकर भी प्रयास

सरपंच यशवंतपुरी गोस्वामी द्वारा लोगों को पेड़ लगाने के लिए भी प्रोत्साहित किया जा रहा है। ताकि पर्यावरण सुरक्षित हो और जल के साथ पर्यावरण की शुद्धता भी बनी रहे। उन्होंने लोगों को कहा कि वेस्ट हो रहे पानी को तो गर्भ में पहुंचाना है, सोखता गड्ढा बनाना है। आज वाटर लेवल 300 फिर से ज्यादा नीचे जा चुका है। हमारे घरों में नल कनेक्शन तो लगे हैं लेकिन इसमें पानी तभी आ सकता है जब भू गर्भ में पानी बचा हो। अगर वही खत्म हो जाएगा तो नल कनेक्शन किसी काम का नहीं है। भूगर्भ में पानी जाना जरूरी है। तभी आने वाला कल सुरक्षित होगा। एक सप्ताह के भीतर वृहद अभियान चला कर हर घर में सोखता गड्ढा बनाना है। छत के पानी को गर्भ में पहुंचना है ।

किसानों को भी किया उन्होंने धान के बजाय अन्य फसलों पर ध्यान देने की अपील

इसी तरह भू जल संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए पानी के अधिक दोहन को रोकने के लिए सरपंच यशवंतपुरी गोस्वामी ने किसानों से भी अपील की है कि वह सिर्फ धान की फसल लेने की बजाय अन्य दलहन तिलहन फसलों को भी प्रोत्साहन दें। क्षेत्र में वाटर लेवल डाउन होने का बड़ा कारण अधिक रकबे में धान की खेती का होना है। ज्यादातर बोर से लोग गर्मी के सीजन में धान की खेती करते हैं। इससे वाटर लेवल तेजी से नीचे चला जाता है। बरसात में उतना ज्यादा दिक्कत नहीं होता। लेकिन गर्मी में परेशानी बढ़ गई है। ऐसे में किसानों को भी जागरूक होना होगा। सरपंच यशवंतपुरी गोस्वामी ने बताया कि धान की फसल को प्रति वर्ग फीट 16 लीटर पानी की आवश्यकता होती है। अगर आप गर्मी में धान की फसल लेंगे तो सोचिए पानी की कितनी कमी हो जाएगी। आज हमारा गुरूर ब्लॉक किस भयानक जल संकट से गुजर रहा है। कई गांव में पानी की इतनी कमी हो गई है कि ब्लॉक के सैकड़ो हैंड पंप बंद हो चुके हैं। जीवन देने वाले गंगरेल डैम में भी सिर्फ चार टीएमसी पानी पर बचा है। जिससे गुरुर इलाके में सिंचाई होती है। सभी किसान भाइयों से अपील करते हैं कि धान के बदले दलहन तिलहन की खेती करें। जो हमारी मिट्टी उर्वरता को बढ़ाती है। दल्हन की खेती से मिट्टी में नाइट्रोजन, फास्फोरस और अन्य तत्व की मात्रा भी बढ़ जाती है। इसका लाभ लाभ आगामी खरीफ फसलों को मिलता है और उत्पादन में वृद्धि होती है।

जनपद सीईओ ने की सरपंच के कार्यों की सराहना

सरपंच यशवंतपुरी गोस्वामी द्वारा चिरचारी में चलाए जा रहे जल संरक्षण के इस विशेष अभियान की जनपद सीईओ उमेश रात्रे द्वारा विशेष सराहाना की गई है। उन्होंने कहा कि चिरचारी सरपंच का यह प्रयास तारीफेकाबिल है। ऐसा हर पंचायत और ग्रामीणों को करना चाहिए। उनसे प्रेरणा लेकर लोगों को जल संरक्षण की दिशा में काम करना चाहिए। आज के समय में सोखता, वाटर हार्वेस्टिंग बहुत जरूरी हो गया है। जब तक गर्भ में पानी नहीं जाएगा तो बोर से पानी कहां आएगा नलों में पानी कैसे आएगा। इस बात की चिंता अभी से करनी चाहिए और वह इसलिए भी क्योंकि गुरुर ब्लॉक वैसे ही डेंजर जोन में है। अभी जल नहीं बचाएंगे तो आने वाला कल कैसे बचाएंगे ? भावी पीढ़ी को कुछ निशानी देने के लिए आज मेहनत करनी जरूरी है। सरपंच यशवंतपुरी गोस्वामी ने ग्रामीणों से अपील की है कि अपने भविष्य के लिए आज जल बचाइए। वही इस जागरूकता अभियान में गांव के मितानिन, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, स्व सहायता समूह की महिलाएं सहित ग्रामीणों का भी पूरा समर्थन मिल रहा है। इस अभियान के तहत गांव के सार्वजनिक स्थान, जल स्रोतों के पास भी सोखता गड्ढा बनाकर पानी के व्यर्थ बहाव को रोकते हुए भूगर्भ में पहुंचाया जा रहा है। नालियों, हैंडपंप कुओं के आसपास सोखता गड्ढा बनाए जा रहे हैं। साथ ही लोगों को घरों घर सोखता बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।

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