
शेखर गुप्ता, दल्लीराजहरा। दल्ली राजहरा के तथा संपूर्ण छत्तीसगढ़ के लिए गौरव का लिम्का बुक के रिकॉर्ड में दर्ज महाभारत के प्रेरणा स्रोत बना महारथी भीष्म और भगवान श्री कृष्ण के युद्ध का चित्रण करता यह भीष्मरथ बहुत ही सुंदर और मनमोहक है। तत्कालीन जीएम श्री एस के सहा की परिकल्पना को साकार रूप दिया था कलाकार अंकुश देवांगन ने। जो कि राजहरा के सुंदर व्यू प्वाइंट जगह में निर्मित है जहां से संपूर्ण राजहरा मनमोहक नजर आता है प्रातः के समय सूर्योदय हो या सांझ के समय सूर्यास्त का दृश्य
। जिसको बेहतर बनाने के लिए नगर पालिका अध्यक्ष शिबू नायर ने लाखों रुपए खर्च किए।
रथ के चारों ओर पेवर ब्लॉक लगवाये । आने वाले दर्शकों के लिए बैठने की व्यवस्था के लिए चेयर, किनारे सुरक्षा घेरा लगाए हैं तथा रथ को गोल्डन कलर से नया पेंट लगाकर सुंदर बना दिए हैं ।सबसे बेहतर है हमारा राष्ट्रीय ध्वज का हमेशा लहराते रहना। रात्रि के समय आने वाले के लिए चारों और बिजली की व्यवस्था की गई है पर इसमें दुखद पहलू यह है कि आने वाले दर्शक जो रथ के ऊपर चढ़कर रथ से छेड़खानी कर रहे हैं । वहां पर चढ़कर आवाज देना, कूदना जैसे बहुत मामूली बात हो गई है ।रथ में लोहे से निर्मित है कई बार स्थिति ऐसा होता है कि टांका छोड़ देने से वहां से गिरने का भी डर बना रहता है। रथ की ऊंचाई जमीन से गुम्बज तक 50 फुट से अधिक है। अगर वहां से कोई व्यक्ति गिरता है तो उनका मृत्यु होना निश्चित है। रथ के ऊपर चढ़ने के लिए सीढ़ी बना हुआ है। जिसमें असामाजिक तत्व वहां पर चढ़ते रहते हैं तथा मौज मस्ती करते रहते हैं। बेहतर होगा यदि सुरक्षा घेरा मजबूत किया जाए ताकि कोई भी व्यक्ति रथ के ऊपर तक ना चढे तथा रथ को छेड़खानी ना कर सके। कई बार रात्रि को भी 12 बजे तक वहाँ पर लड़कों का चिल्लाना जारी रहता है। कई चेहरे वहां नजर आते हैं जो दुर्घटना को आमंत्रण दे रहे हैं यदि दुर्घटना होती है तो विभिन्न सामाजिक संस्था राजनीतिक दल प्रबंधक और नगर पालिका अधिकारी को दोष देते हैं। वास्तविक गलती किनकी है इसको नहीं देखते। कई बार शराब की शीशियां वहां पर मिली है। जिससे यह पता चलता है कि शराब खोरी करने के लिए भी यह स्थान उपयुक्त हो गया है।
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